मेरठ पीतल से निर्मित बैंड (Band) या साज़ का अंतरराष्ट्रीय गढ़ है । यहां से निर्मित बैंड भारत ही नहीं वरन् विश्व भर में प्रसिद्ध हैं (https://prarang.in/meerut/posts/4929/the-brass-instruments-of-meerut)। इन बैंडों का उपयोग शादी समारोह में ही नहीं वरन् सेना द्वारा भी किया जाता है। युद्ध के दौरान सेना द्वारा बिगुल बजाने की परंपरा प्राचीनकाल से ही चली आ रही है, जिसका मुख्य उद्देश्य सेना का मनोबल बढ़ाना होता है। आज सेना में बिगुल के अतिरिक्त अन्य कई वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया जा रहा है, जिनमें से एक है बैंड (Band)। सर्वप्रथम ज्ञात सैन्य बैंड का उपयोग 1756 में किया गया था, जिसमें 1,000 से अधिक व्यक्तियों के साथ बाँसुरी-वादक और अन्य संगीतकारों ने फिलाडेल्फिया के रेजीमेंट आर्टिलरी कंपनी (Regiment Artillery Company of Philadelphia) में मार्च (March) किया था, जिसकी कमान कर्नल बेंजामिन फ्रेंकलिन (Colonel Benjamin Franklin) ने संभाली थी। गृहयुद्ध के दौरान, संघ और संघि सेनाओं दोनों के पास सेना का मनोबल बनाने, सैनिकों की स्थिति की घोषणा करने और नारेबाजी के लिए सैन्य संगीतकार रखे गए थे। क्रांतिकारी युद्ध के संगीतकारों, प्रमुख रूप से ड्रम (Drum) और बांसुरी वादक कई सैन्य लड़ाइयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। इनके द्वारा बढ़ाए गए सैन्य मनोबल के कारण सेना दुश्मनों पर भारी पड़ी। आज, सैन्य बैंड युद्ध की अग्रिम पंक्ति पर बजाए जाते हैं, जो सैनिकों का मनोबल बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
1916 में कांग्रेस (Congress) ने पैदल सेना, घुड़सवार सेना और आर्टिलरी रेजीमेंटों (Artillery Regiments) की मुख्यालय कंपनियों (Companies), साथ ही इंजीनियर्स (Engineers) के सैन्य दल के लिए बैंड दल की स्थापना हेतु एक विधेयक पारित किया। 1917 में प्रथम विश्व युद्ध में अमेरिका (America) के प्रवेश के बाद, जनरल पर्सिंग (General Pershing) को मित्र देशों के अभियान बलों के कमांडर (Commander) के रूप में नियुक्त किया गया था। उनका मानना था कि अपने सैनिकों के मनोबल को बनाए रखने में सैन्य बैंड एक प्रमुख तत्व था। यूरोप पहुंचने के बाद उन्होंने कांग्रेस को 20 अतिरिक्त बैंड अधिकृत करने के लिए मना लिया, उन्होंने बैंड के सदस्यों की संख्या 28 से 48 सदस्यों तक बढ़ा दी, और बैंड वादक और संगीतकारों को प्रशिक्षित करने के लिए फ्रांस (France) के चौमोंट (Chaumont) में एक बैंड स्कूल (Band School) भी बनाया। प्रथम विश्व युद्ध में आर्मी बैंड (Army Band) ने अपनी सेना के लिए बैंड बजाया, सेना के अस्पतालों में घायलों के लिए संगीत कार्यक्रम आयोजित किए गए और अमेरिका और फ्रांस के बीच सकारात्मक संबंधों को बनाए रखने के लिए सैनिकों और स्थानीय फ्रांसीसी शहरों में कई संगीत कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।
भारत में 17वीं शताब्दी में मराठा साम्राज्य के दौरान से सैन्य संगीत भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहा है। भारत में संगठित सैन्य बैंड 1700 के दशक की शुरुआत में ब्रिटिश सेना द्वारा लाए गए। 1813 में, एक सेना के कर्नल ने फोर्ट सेंट जॉर्ज (Fort St. George) के कमांडर-इन-चीफ (Commander-in-chief) के सैन्य सचिव को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी की मूल रेजीमेंटों (Regiments) में सैन्य बैंड के गठन का आग्रह किया, जिसका उद्देश्य भारतीय आबादी के बीच यूरोपीय संगीत (European Music) की उत्कृष्टता को बढ़ाना था। प्रथम विश्व युद्ध से पहले भारतीय सेना की प्रत्येक बटालियन (Battalion) की रेजीमेंट का अपना सैन्य बैंड था। भारतीय सैन्य बलों में पाइप बैंड (Pipe Band) की शुरूआत का कोई सटीक प्रमाण नहीं है। 19वीं सदी में सिख, गोरखा और पठान रेजीमेंट द्वारा इसका प्रयोग किया गया। पहला सिख पाइप बैंड 1856 में स्थापित किया गया था, जब पंजाब में 45वीं रैट्रे रेजीमेंट (Rattray Regiment) की स्थापना की गई थी। तब से, सिख पाइप बैंड सिख रेजीमेंटों का एक हिस्सा बन गया, जिसे ब्रिटिश शासन के तहत स्थापित किया गया था। पाइप बैंड के साथ ब्रिटिश भारतीय रेजीमेंटों में बॉम्बे वालंटियर राइफल्स (Bombay Volunteer Rifles) और कलकत्ता स्कॉटिश (Calcutta Scottish) को भी शामिल किया गया। 50 के दशक की शुरुआत में, पूर्व ब्रिटिश सैन्य बैंड का भारतीयकरण हुआ, भारतीय सेना के तत्कालीन संगीत निर्देशक हेरोल्ड जोसेफ (Harold Joseph) ने भारतीय सेना में स्वदेशी धुनों को फिर से जीवित किया।
आज भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के संगीतकारों द्वारा सेना में विभिन्न वाद्य यंत्रों को संचालित किया जाता है। भारतीय सैन्य बैंड नियमित रूप से अंतर्राष्ट्रीय एवं विभिन्न राष्ट्रीय समारोहों (गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस इत्यादि) में भाग लेते हैं। आज, भारतीय सशस्त्र बलों के पास 50 से अधिक सैन्य ब्रास बैंड (Military Brass Band), 400 पाइप बैंड (Pipe Band) और ड्रम (Drum) के सैन्य दल हैं। तीनों सेनाओं के बैंड एक संयुक्त भारतीय सशस्त्र बल सैन्य बैंड को संदर्भित करता है, जो एक इकाई के रूप में एक साथ प्रदर्शन करते हैं। मॉस्को (Moscow) में स्पास्काया टॉवर सैन्य संगीत समारोह और टैटू (Spasskaya Tower Military Music Festival and Tattoo) में, भारतीय बैंड में 7 अधिकारी और 55 संगीतकार शामिल हुए थे। भारत में सभी रैंकों (Ranks) के संगीतकारों को दिशा-निर्देश सशस्त्र बलों की प्रमुख शैक्षणिक संस्थान मिलिट्री म्यूजिक विंग ऑफ द आर्मी एजुकेशन कॉर्प्स (Military Music Wing of the Army Education Corps) द्वारा दिए जाते हैं। यह निर्देश सैन्य संगीत प्रशिक्षण केंद्र (Military Music Training Center) और भारतीय नौसेना स्कूल ऑफ म्यूजिक (Indian Navy School of Music) द्वारा भी प्रदान किए जाते हैं।
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