रोजगार के लिए अक्सर लोग अपने निजी स्थान से किसी दूसरे स्थान की ओर पलायन करते हैं। इससे नये क्षेत्र में लोगों की आबादी बढ़ने के साथ नये व्यवसाय भी पनपते हैं। जिस प्रकार से नवाचार, विविधता और विभिन्नता के माध्यम से फलता-फूलता है, ठीक उसी प्रकार से उद्यमशीलता में विविधता और विभिन्नता की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ऐसा माना जाता है, कि जो लोग व्यवसाय के लिए एक नए देश में जाते हैं, वे उस देश के मूल नागरिकों की तुलना में अधिक उद्यमी होते हैं, या फिर उनके अधिक उद्यमी होने की संभावना होती है। उदाहरण के तौर पर, उन महान भारतीय उद्यमियों को ही देख लीजिए, जो उन देशों की अर्थव्यवस्थाओं को लाभान्वित कर रहे हैं, जहां वे पलायन कर चुके हैं, विशेष रूप से अमेरिका (America), ब्रिटेन (Britain), कनाडा (Canada), ऑस्ट्रेलिया (Australia), दक्षिण अफ्रीका (South Africa) और सिंगापुर (Singapore) जैसे देशों में। वर्तमान समय में, इस दृष्टिकोण का समर्थन करने के लिए अनेक प्रमाण मौजूद हैं। भारत से अमेरिका गये लोग, अमेरिकी विज्ञान और अभियांत्रिकी रोजगार में वृद्धि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। अमेरिका में, औसत व्यापार आय, भारत से अमेरिका गये प्रवासियों के बीच सबसे अधिक है। इसके अलावा अमेरिका में, विभिन्न व्यवसायों के भारतीय मालिक बहुत अधिक शिक्षित हैं, तथा शिक्षा का ये उच्च स्तर उद्यमशीलता की आय के उच्च स्तर का लगभग आधा हिस्सा बनाता है। जिस प्रकार भारत से विदेशों में गये लोग वहां की उद्यमशीलता को लाभांवित करते हैं, वहीं ऐतिहासिक रूप से, भारत को भी बाहर से आये उद्यमियों से फायदा हुआ है। इन उद्यमियों में, औपनिवेशिक काल के दौरान, भारत आये स्कॉटलैंड (Scotland) और इंग्लैंड (England) के लोग ही नहीं, बल्कि वे गैर-ब्रिटिश (Non british) भी शामिल हैं, जिन्होंने लार्सन एंड टुब्रो (Larsen & Toubro), रैलिस (Rallis) और फैबइंडिया (FabIndia) जैसे उद्यमों को स्थापित किया।
व्यवसाय, उद्यमशीलता और प्रवासी नागरिकों के बीच गहरा संबंध है, तथा यह संबंध विभिन्न अध्ययनों के माध्यम से प्रदर्शित होता है। उदाहरण के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य देशों में, प्रवासी नागरिक सभी उद्यमियों के 27.5% हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि उनकी आबादी केवल 13% ही है। वे न केवल अधिक व्यवसायों का निर्माण करते हैं, बल्कि उन्हें सफल भी बनाते हैं। हार्वर्ड बिजनेस स्कूल (Harvard Business school) के अध्ययन के अनुसार, तीन और छह साल से अधिक की समय-सीमा के भीतर, रोजगार वृद्धि के मामले में प्रवासी नागरिकों द्वारा स्थापित उद्योगों ने, मूल नागरिकों द्वारा स्थापित उद्योगों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। एक अन्य अध्ययन के अनुसार प्रवासी नागरिकों के उद्योग अपेक्षाकृत तीव्र दर से वृद्धि करते हैं, तथा उनके लंबे समय तक बने रहने की संभावना भी अधिक होती है। सर्वे ऑफ बिज़नेस ओनर्स (Survey of Business Owners) और अमेरिकन कम्युनिटी सर्वे (American Community Survey) के द्वारा एकत्रित किये गये आंकड़ों के अनुसार, जहां प्रवासी नागरिकों ने अमेरिका की आबादी का 13% हिस्सा बनाया है, वहीं छोटे व्यवसायों के मालिकों के रूप में उनकी 18% की भागीदारी रही। अध्ययन में यह भी पाया गया कि, वे उद्योग जो अल्प या पूर्ण रूप से प्रवासी नागरिकों के स्वामित्व में हैं, उन्होंने 2007 में निजी क्षेत्र के रोजगार का 14% हिस्सा बनाया तथा एक भारी आय उत्पन्न की। इसके अलावा यह भी आंका गया कि, 1990 की तुलना में 2010 में 539,000 से भी अधिक प्रवासी नागरिक छोटे व्यवसाय के मालिक थे। इस प्रकार व्यवसाय का स्वामित्व मूल निवासी श्रमिकों की तुलना में प्रवासी श्रमिकों के बीच अधिक पाया गया। आर्थिक विकास और नवाचार के लिए उद्यमशीलता अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह श्रम बाजार एकीकरण को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है तथा उच्च कुशल प्रवासी नागरिक, नवाचार में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। इनके योगदान की भूमिका को इस बात से समझा जा सकता है कि, विकसित देशों ने प्रवासी उद्यमियों को आकर्षित करने के लिए विशेष वीजा (Visa) और प्रवेश कार्यक्रम बनाए हैं। अधिकांश विकसित देशों में उद्यमिता को बढ़ावा देना एक राष्ट्रीय प्राथमिकता है तथा प्रवासी उद्यमी अपने मेजबान देश की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण सकारात्मक योगदान देते हैं। इस प्रकार प्रवासी नागरिक व्यवसायों और उद्यमशीलता को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं। इस संबंध को बनाने में विभिन्न कारकों की परस्पर भूमिका होती है। इन कारकों में विकसित मानसिकता, अनुकूलन, विविधता और समावेशन, वैश्विक तत्परता आदि शामिल हैं। वे व्यक्ति जिनकी मानसिकता विकसित होती है, वे मानते हैं, कि उनकी प्रतिभा स्थिर नहीं है। वे कड़ी मेहनत करके, अच्छी रणनीतियां अपनाके और दूसरों से निवेश लेकर अधिक काम करते हैं। ऐसे लोग निश्चित मानसिकता वाले व्यक्तियों की तुलना में अधिक सफलता हासिल करते हैं। प्रवासी नागरिक मानसिकता, भी इसी विकसित मानसिकता से संबंधित है। प्रवासी नागरिक, व्यापार के जोखिम के लिए तैयार या अधिक सहिष्णु होते हैं। उनमें उच्च स्तर का विश्वास और अनिश्चितता के लिए उच्च स्तर की सहिष्णुता होती है। वह चीजों को प्राप्त करने के लिए अपनी अनुकूलन क्षमता पर विश्वास करता है, और इसलिए चुनौतियों से अनजान होने के बाद भी वह निरंतर प्रयास करता है, जो किसी भी व्यापार के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। वे उद्योग या संगठन, जो प्रौद्योगिकी में प्रगति और समाज में बदलाव के साथ-साथ निरंतर नवाचार और अनुकूलन नहीं करते हैं, वे अपने उत्पादों या सेवाओं के महत्व में गिरावट का अनुभव करने लगते हैं। एक नई जगह पर अकेले पनपने के लिए अनुकूलन कौशल की आवश्यकता होती है।
यह एक दर्दनाक और कठिन प्रक्रिया हो सकती है, जिसके लिए व्यक्ति को अपने सोचने और कार्य करने के तरीके में परिवर्तन की आवश्यकता होती है। प्रवासी नागरिक, व्यवसाय में अनुकूलन क्षमता की संगठनात्मक शक्ति का निर्माण करने में मदद कर सकते हैं, जो उद्योगों को निरंतर हो रहे परिवर्तन के लिए तैयार करती है। प्रवासी नागरिक, उद्योग या संगठनों की जातीय और भाषाई विविधता में भी सुधार करते हैं। वे कार्यस्थल पर अद्वितीय अनुभवों, पृष्ठभूमि और अत्यधिक ज्ञान को साथ लेकर आते हैं। वे संगठन, जहां कर्मचारियों की विविधता अत्यधिक होती है, वह अपेक्षाकृत बड़े पैमाने पर अधिक स्वस्थ वित्तीय प्रदर्शन करते हैं। लगभग हर व्यवसाय को एक बिंदु पर नुकसान का सामना करना पड़ता है, तथा उसे बढ़ते रहने के लिए सीमाओं से परे विस्तार करने की आवश्यकता होती है। क्योंकि, प्रवासी नागरिकों के पास अंतर्राष्ट्रीय अनुभव होता है, इसलिए वे इस कार्य में व्यवसायों की मदद करते हैं। इस प्रकार प्रवासी नागरिकों को स्थिर अर्थव्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करने के लिए चमत्कार के रूप में देखा जा रहा है।
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