लेखन के माध्यम से स्मृतियों या यादों को बनाने में सहायक है, नॉस्टेल्जिया

मेरठ

 13-11-2020 12:07 AM
ध्वनि 2- भाषायें

नॉस्टेल्जिया (Nostalgia) लेखन के माध्यम से स्मृतियों या यादों को बनाने का काम करता है। यह उज्जवल है तथा सुंदर भी। नॉस्टेल्जिया मजबूत है लेकिन फिर भी सुखद भावनाओं को उत्तेजित करता है। यह भावनाओं के भंवर में डूबा हुआ है, और संघर्षों या टकरावों से बचता है। यह वर्णन करता है कि क्या पीछे छूट गया है, और क्या नहीं। हमारे जीवन में अक्सर ऐसे क्षण आते हैं, जब किसी घटना, वस्तु या स्थान को देखने या उसके बारे में सुनने से हमें उससे सम्बंधित बीते क्षणों की याद आने लगती है, जो हमारे जीवन में घटित हो चुके हैं। ये यादें सुखद और दुखद दोनों भावनाओं के साथ जुडी हैं, जो हमें अतीत में ले जाती हैं। इस प्रकार से इन स्मृतियों को हम पुरानी यादें या नॉस्टेल्जिया कहते हैं। कुछ लोग स्मृतियों के माध्यम से बीते क्षणों की यादों से आनंद प्राप्त करते हैं, किंतु कुछ लोग अतीत से ज्यादा वर्तमान को महत्व देते हैं। पुरानी यादें या स्मृतियां वर्तमान के द्वार से अतीत के द्वार में निरंतर गुजरने वाला मार्ग है। उदाहरण के लिए यदि आप किसी बगीचे में बैठे हैं और आपको किसी ऐसे अन्य बगीचे की याद आ जाती है जो इसी के समान हो, किंतु वह नहीं हैं (जहां आप बैठे हैं), तो यही पुरानी स्मृति है। यह वर्तमान के भाव अनुभवों के साथ, अतीत की यादों का स्थिर संबंधपरक स्थान है। यह जगह और समय की स्थिर उलझन है। इसके माध्यम से भले ही हम किसी दूसरे समय और स्थान में होते हैं, किंतु यह स्थान और समय हमारी स्मृतियों को उस स्थान और समय में पहुंचा देते हैं, जो इसी के समान है। यह वो स्थिति है जब एक अलग जगह में जीवन की कल्पना करते हुए व्यक्ति मीठी या सुखद विस्मृतियों में डूब जाता है।
रचनात्मक कल्पना यादों को फिर से ताजा और व्यवस्थित कर सकती हैं। यहां तक कि अतीत के सबसे तात्कालिक द्वेष भी पुरानी यादों की मिठास से शांत हो जाते हैं। लेखन में पुरानी यादें मोहक और मनोरम बन जाती हैं। यह उन क्षणों को फिर से जीवित कर देता है, जिसे हम हमेशा के लिए जीवित रखना चाहते हैं। रामपुरियों द्वारा लिखा गया इतिहास नॉस्टेल्जिया का महत्वपूर्ण उदाहरण पेश करता है। रामपुर का इलाका रामपुरी निवासियों के लिए तब भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जब वे इस शहर को छोड कर जा चुके हैं। पुरानी यादों के इस इतिहास लेखन का एक मुख्य उदाहरण सैय्यद अजहर अली शादानी द्वारा लिखित और रिजवान-उल्लाह ख़ान इनायती द्वारा संकलित और संपादित अवल-ए-रियासत-आई रामपुर : ता रिखि वा मुअशारति पस-मंजर (Aḥvāl-i riyāsat-i Rāmpūr: ta⁠ʾrīkhī va muʿāsharatī pas-manẓar) (टाइम्स ऑफ द रामपुर स्टेट: हिस्टोरिकल एंड सोशल बैकग्राउंड - The Times of the Rampur State: Historical and Social Background) है। 1923 में पैदा हुए, लेखक सैय्यद अजहर अली शादानी विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए किंतु उनका पूर्व का जीवन रामपुर में बीता तथा सभी सुखद यादें रामपुर के साथ जुडी रहीं। रामपुर के अपने क्षणों को उन्होंने अपनी पुरानी यादों में जीवित रखा। पाकिस्तान जाने पर भी वे रामपुर से भावनात्मक रूप से जुड़े रहे और 1986 में रामपुर का इतिहास लिख दिया, जोकि 2006 में प्रकाशित हुआ। यूं तो जब भी किसी स्थान के इतिहास की बात की जाती है तो, उसके शासक, रियासत आदि को ही प्राथमिक रूप से केंद्रित किया जाता है किंतु रामपुर के इस इतिहास में रोजमर्रा के रहने वाले स्थानों और सामान्य रामपुरियों के जीवन और अनुभवों को प्राथमिकता दी गयी है। पुस्तक में लेखक ने अपने उस नुकसान और लालसा की भावना पर प्रकाश डाला है, जो रामपुर और उसके निवासियों के साथ जुडी हुई है तथा भारत को छोड देने के बाद उत्पन्न हुयी है। रामपुर के अधिकांश लेखन नवाबों के जीवन को केंद्रित करते हैं या गौरवान्वित बनाते हैं, लेकिन वे रामपुर वासियों की विशेष विशेषताओं, उनके नैतिक चरित्र, राजनीतिक गतिविधियों, अनुष्ठानों, परंपराओं, खेल, नागरिक और साहित्यिक गतिविधियों आदि की उपेक्षा करते हैं। सजीव इतिहास के स्मरण पर आधारित यह स्थानीय इतिहास रामपुर को एक साझा भावनात्मक भूगोल के रूप में पुनः निर्मित करता है, भले ही यह अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर विभाजित हो। लेखक ने न केवल शासकों और कुलीनों के इतिहास की वैधता पर जोर दिया बल्कि रामपुरी विषयों और उनके रोजमर्रा के जीवन के बारे में भी बताया। वह रोज़मर्रा के इतिहास को आकार देने वाले पारिवारिक इतिहास को महत्व देता है। इसके अलावा, उन्होंने रामपुर में पैदा हुए उन व्यक्तियों को शामिल करके स्थानीयता के अर्थ का विस्तार किया है, जिन्होंने इसकी संस्कृति और इतिहास में योगदान दिया है। यह स्थानीय इतिहास साझा भावनाओं की अवधारणा पर आधारित है इसलिए यह रामपुरियों जोकि सीमाओं के पार विभाजित हैं लेकिन भावनाओं के माध्यम से जुड़े हुए हैं, के भावनात्मक भूगोल और भावनात्मक समुदाय को फिर से बनाने का प्रयास करता है।
पुरानी स्मृतियों पर आधारित स्थानीय इतिहास लेखन की इस परियोजना को इतिहास के अनुशासन के साथ सामंजस्य स्थापित करना होगा जोकि कठिन तथ्यों या वस्तु स्थितियों पर आधारित है। इतिहास और पुरानी यादों के बीच संबंध जटिल है। पुरानी स्मृतियों के तौर-तरीकों और भावनात्मक प्रभावों पर समृद्ध विद्वानों ने इतिहासकारों जो यह समझने की कोशिश करते हैं कि अतीत कैसे ‘गंभीर रूप से विकसित होने के बजाय समझदारी से’ और प्यार से याद किया जाता है, के लिए नई अंतर्दृष्टि प्रदान की। सत्रहवीं शताब्दी से एक नकारात्मक भावना के रूप में पुरानी यादों की चिकित्सा समझ को उदासीनता और प्रतिक्रियावादी भावुकता के द्वारा वर्णित या चिन्हित किया जाता था किंतु बीसवीं सदी में इसके डी-मेडिकलाईजेशन (Demedicalization- वह प्रक्रिया जिसके द्वारा एक व्यवहार या स्थिति, जिसे एक समय में ‘बीमारी’ के रूप में जाना जाता था, प्राकृतिक या सामान्य के रूप में परिभाषित हो गयी) के साथ इसकी समझ नाटकीय रूप से विकसित हुई। नतीजतन, पुरानी यादें अब नकारात्मक भावनाओं के बजाय प्यार, आनंद और खुशी की सकारात्मक भावनाओं से जुड़ी हुई हैं। पुरानी यादों के राजनीति और समाजशास्त्र के अध्ययन ने भी इसकी कथित रूढ़िवादी प्रकृति की आलोचना की है और इसके प्रगतिशील और सकारात्मक आयामों को दिखाया है, जो न केवल अतीत के साथ संबंधित है, बल्कि वर्तमान और संभव भविष्य की ओर भी उन्मुख हैं। पुरानी यादें सार्वजनिक इतिहास और व्यक्तिगत भावनाओं के बीच संबंधों को समझने के लिए एक मूल्यवान संसाधन बनी हुई हैं। इसके अलावा, ये हमें यह समझने की अनुमति देती हैं कि अतीत को एक भावात्मक अनुपातिक-अस्थायी ढांचे में कैसे याद किया जाता है। पुरानी यादें केवल हानि और उदासीन भावनाओं से ही नहीं बल्कि खुशी और आश्चर्य की यादों से भी चिह्नित की जाती हैं जोकि बहु-संवेदी (दृष्टि, गंध और श्रवण से युक्त) हैं।

संदर्भ:
https://www.academia.edu/19495912/Local_Pasts_Space_Emotions_and_Identities_in_Vernacular_Histories_of_Princely_Rampur
https://bottledworder.com/2013/11/26/writing-and-nostalgia/
https://www.jstor.org/stable/23016915?seq=1
चित्र सन्दर्भ:
पहली छवि रामपुर के ऐतिहासिक लेखन में उदासीनता की भूमिका दर्शाती है।(prarang)
दूसरी छवि रामपुर सौलत पब्लिक लाइब्रेरी में पुरानी ऐतिहासिक पुस्तकों को दिखाती है।(shruti)
तीसरी छवि रामपुर में सौलत पब्लिक लाइब्रेरी से पुरानी लेखनी लिपि को दिखाती है ।(script)

RECENT POST

  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, यूपी बोर्ड से लेकर आई बी तक, कौन सा विकल्प है छात्रों के लिए बेहतरीन अवसर?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     11-11-2024 09:35 AM


  • आइए, आनंद लें, काबुकी नाट्य कला से संबंधित कुछ चलचित्रों का
    द्रिश्य 2- अभिनय कला

     10-11-2024 09:32 AM


  • एक प्रमुख व्यावसायिक फ़सल के रूप में, भारत में उज्जवल है भविष्य, गन्ने का
    साग-सब्जियाँ

     09-11-2024 09:30 AM


  • पारिस्थितिकी तंत्र के लिए, अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, 'रामसर सूची' में नामित आर्द्रभूमियाँ
    जंगल

     08-11-2024 09:26 AM


  • प्रोटॉन बीम थेरेपी व ट्रूबीम थेरेपी हैं, आधुनिक कैंसर उपचारों के नाम
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     07-11-2024 09:23 AM


  • आइए जानें, धरती पर क्या कारनामे कर रहा है, प्लूटोनियम
    खनिज

     06-11-2024 09:15 AM


  • भारत का ऑटोमोबाइल उद्योग, आज कहाँ खड़ा है?
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     05-11-2024 09:44 AM


  • आइए, पता लगाएं कि क्या जानवरों के अंग, इंसानों के लिए सुरक्षित हैं
    डीएनए

     04-11-2024 09:25 AM


  • आइए, जानें, क्या होता है एक फ़ुटबॉल ट्रांसफ़र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     03-11-2024 09:28 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id