City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
3623 | 243 | 0 | 0 | 3866 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
लंकेश के नाम से मशहूर रावण ब्रह्मांड के निर्माता ब्रह्मा के पड़पोते थे। उनके पितामह पुलत्स्य, ब्रह्मा जी द्वारा परिकल्पित दक्ष प्रजापतियों में से एक थे। इसके अलावा रावण भगवान शिव के भक्त थे और चार वेदों के प्रकांड विद्वान थे- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। छह शास्त्रों में पारंगत थे- वेदांत दर्शन, योग दर्शन, सांख्य दर्शन, वैशेषिक दर्शन, न्याय दर्शन और मीमांसा दर्शन। सुनने में अजीब लगे लेकिन भारत में ऐसे कई मंदिर, कई जगह हैं जो लंकाधिपति रावण के नाम पर हैं। दशहरे के दिन शाम को रावण के पुतले जलाए जाते हैं, लेकिन भारत में कई स्थानों पर, जिनमें मेरठ शहर भी शामिल है, लोग रावण की पूजा करते हैं। मेरठ में रावण की पूजा के पीछे उनका परम विद्वान होना, अपने युग के सबसे बड़े जानकार होना और भगवान शिव के महान भक्त होने जैसे कई कारण हैं।
रावण की ससुराल है मेरठ:
ऐसा विश्वास किया जाता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी का जन्म मेरठ में हुआ था। इसीलिए मेरठ को रावण की ससुराल कहां जाता है। जब दशहरे पर सारे देश में रावण का पुतला जलाया जाता है, मेरठ में रावण की पूजा भी होती है और साथ ही साथ उसका पुतला भी जलाया जाता है। यहां राम और रावण दोनों को मानने वाले लोग रहते हैं । मेरठ का प्राचीन नाम मायाराष्ट्र था और इसे लंकेश की रानी मंदोदरी का मायका कहां जाता है। मेरठ में रावण की पूजा दामाद के रूप में ना होकर उनके प्रकांड अध्येता और युग के प्रतिनिधि विद्वान के रूप में होती है। सुबह के समय घरों में रावण के 10 सिर बनाकर एक लकड़ी की प्लेट पर रख देते हैं। रावण की विद्वता के प्रतीक 10 सिर गाय के गोबर से बनाए जाते हैं फिर इनका भजन गाकर पूजन होता है। घर में पढ़ने लिखने वाले बच्चे रावण से ज्ञान की शिक्षा लेते हैं। पूजा के बाद इन 10 शेरों का बहते पानी के प्रभाव में विसर्जन होता है। शाम के समय रावण का पुतला भी जलाया जाता है।
अन्य स्थल जहां पूजा होती है रावण की:
दशहरे का त्यौहार अच्छाई की बुराई पर जीत का त्यौहार है राम की विजय और रावण की हार का उत्सव है दशहरा। भारत के बहुत से हिस्सों में रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले फुके जाते हैं। लेकिन भारत में कुछ ऐसे स्थान हैं जहां राम की जगह रावण की पूजा होती है। आइए चलते हैं इन स्थलों की सैर करने
मंदसौर, मध्य प्रदेश
यह स्थल भी मंदोदरी का मायका कहलाता है। यहां रावण की 35 फीट ऊंची मूर्ति है। लोग रावण की मौत का शोक मनाते हैं और पूजा करते हैं।
बिसरख उत्तर प्रदेश
बिसरख नाम रावण के पिता ऋषि विश्रवा के नाम पर रखा गया है। इसे रावण का जन्म स्थान माना जाता है। जहां के लोग रावण को महा ब्राह्मण मानते हैं। विश्रवा ने यहां एक स्वयंभू शिवलिंग खोजा था। ऋषि विश्रवा और रावण के सम्मान में इनकी पूजा होती है। नवरात्री त्योहार के अवसर पर यहां लोग रावण की विदा होती आत्मा के लिए यज्ञ और शांति पाठ करते हैं।
गडचिरोली, महाराष्ट्र-
गोंड जनजाति के लोग दशानन रावण और उसके पुत्र मेघनाथ की देवताओं की तरह पूजा करते हैं। वे मानते हैं कि वाल्मीकि रामायण में रावण खलनायक की तरह नहीं दर्शाया गया है और सीता के साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं किया गया।
कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश-
यहां रावण दहन नहीं होता। बैजनाथ, कांगड़ा में अपनी तपस्या से रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न किया था। शिव ने उसे अपना आशीर्वाद दिया था।
मन्द्य और कोलार, कर्नाटक-
भगवान शिव के भक्तों के रूप में इन दोनों जगहों में शिव मंदिरों में रावण की पूजा होती है। फसल कटाई के समय निकाले जाने वाले जुलूस में भगवान शिव की मूर्ति के साथ-साथ 10 सिर व 20 भुजाओं वाले रावण की भी मूर्ति शामिल होती है।
जोधपुर, राजस्थान
जोधपुर के मुदगिल ब्राह्मण लंका के रावण मंदोदरी के विवाह में शामिल होने आए थे। यहां पर रावण के पुतले जलाने के बजाय मुदगिल ब्राह्मण हिंदू रीति रिवाज से उनका श्राद्ध और पिंडदान करते हैं।
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.