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2019 की सर्दियों में मेरठ में हुई बारिश ने पिछले 10 वर्षों के रिकॉर्ड तोड़ दिए। सर्दियों में होने वाली इस बारिश का मुख्य कारण पश्चिमी विक्षोभ हैं, यह भूमध्य सागर में आने वाला उष्णकटिबंधीय तूफान है, जो ऊपरी वायुमण्डल में मौजूद नमी के कारण उठता है। यह तूफान जब हिमालय की चोटियों से टकराता है, तो भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भागों में वर्षा होती है। इन तूफानों में नमी सामान्यत: भूमध्य सागर, कैस्पियन सागर और काला सागर से आती है। यह पश्चिमी विक्षोभ मुख्यत: सर्दियों के मौसम में आता है, जो कि रबी की फसलों के लिए लाभदायक होता है, जिसमें गेहूं की फसल प्रमुख है।
पश्चिमी विक्षोभ यूक्रेन (Ukraine) और आस-पास के क्षेत्र में एक उच्च दाब के क्षेत्र से बनना प्रारंभ होता है, जिससे ध्रुवीय क्षेत्रों से ठंडी हवाएं चलती हैं, जो उच्च नमी वाले क्षेत्रों की ओर बढ़ती हैं। पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत में गर्मियों के मौसम (सावन) में आने वाले मानसून से बिल्कुल विपरीत होते हैं। मानसून में आने वाली वर्षा हिन्द महासागर से उठती है, जिसका प्रवाह निचले हिस्सों में होता है। मानसून की बारिश ख़रीफ़ की फ़सल के लिये ज़रूरी होती है, जिसमें चावल जैसे अन्न शामिल हैं। सर्दियों के मौसम में औसतन चार से पांच पश्चिमी विक्षोभ बनते हैं। हर पश्चिमी विक्षोभ में वर्षा होती है किंतु इसकी मात्रा भिन्न-भिन्न होती है। पश्चिमी विक्षोभ के आने से आकाश में बादल छा जाते हैं, रात का तापमान घट जाता है और असामान्य बारिश होने लगती है। पश्चिमी विक्षोभ के कारण अत्यधिक वर्षा से फसल को नुकसान, भूस्खलन, बाढ़ और हिमस्खलन भी हो सकता है।
गंगा के मैदानी इलाकों में, ये कभी-कभी शीत लहर और घने कोहरे का कारण भी बनते हैं। सर्दियों के उत्तरार्ध तक पश्चिमी विक्षोभ की मात्रा घटने लगती है और गर्मियों तक यह पूरे भारत में फैल जाते हैं और इसमें नमी की मात्रा भी घट जाती है। पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत में पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ता है, जिसके परिणामस्वरूप ठंडी हवा का प्रवाह होता है, जबकि दक्षिण-पश्चिम मानसून का प्रवाह आम तौर पर उत्तरी हिमालय क्षेत्र में पूर्व से पश्चिम की ओर बढ़ता है। यह उत्तर पश्चिम भारत में मानसून के विस्तार में मदद करता है। यह विशेष रूप से उत्तरी भारत में पूर्वी मानसूनी वर्षा का कारण बनता है।
सामान्यत: पश्चिमी विक्षोभों के कारण दिसंबर माह में उत्तर भारत में वर्षा होती है किंतु पिछले वर्ष पश्चिमी विक्षोभों की कमी के कारण दिसंबर माह में ना तो बारिश हुई और ना ही शीत लहर चली, जो कि सामान्यत: भारतीय मौसम विभाग के अनुसार 19 दिसंबर तक प्रारंभ हो जाती है। पश्चिमी विक्षोभों की कमी उत्तर भारत में कम वर्षा और विषम सर्दियों का कारण बनते हैं। ये उत्तर के मैदान और दक्षिणी भारत तक नहीं पहुंच पाते हैं।
इसके विपरीत उत्तरी भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में पर्याप्त वर्षा हुई। पश्चिमी विक्षोभों के प्रमुख कारणों में से एक मध्य-उत्तर और उत्तरी अक्षांश का अंतर हो सकता है, जिससे पश्चिमी विक्षोभों का दक्षिणवर्ती प्रसार कम हो जाता है। इसका दूसरा कारण पश्चिमी विक्षोभों में हिंद महासागर और मध्य अक्षांश भूमध्य क्षेत्र से आने वाली नमी की कमी भी है। इसे कई अन्य वैश्विक कारक जैसे उपोष्णकटिबंधीय पश्चिमी हवा, भारतीय महाद्वीपीय सतह और आर्कटिक क्षेत्र में चारों ओर महासागर का गर्म वातावरण, आदि भी प्रभावित करते हैं। किंतु इसके सटीक कारणों को बताना थोड़ा कठिन कार्य है, इसे जानने के लिए अभी शोध जारी हैं।
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