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विश्व को एक सू्त्र में पिरोने के लिए प्रवासियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, प्राचीन काल से ही विभिन्न प्रवासी समुदाय एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवास करते रहे हैं और एक दूसरे के साथ अपनी संस्कृति और सभ्यता साझा करते हैं। हमारा पड़ोसी देश होने के नाते भारत और चीन के मध्य प्रारंभ से ही प्रवासन हो रहा है और दोनों ने ही एक दूसरे की संस्कृति को बड़ी प्रसन्नता के साथ अपनाया है। चीन में काली माता को पूजा जाता है और इन्हें नूडल्स, सोया चॉप, चावल और सब्जी के व्यंजन आदि चढ़ाए जाते हैं, जो हम दोनों के मध्य एकता को प्रदर्शित करती है। भारत में भी चीनी भोजन अत्यंत लोकप्रिय है, इसके बिना कोई भी भारतीय रेस्तरां अधूरा है।
18वीं शताब्दी में भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) का आगमन हुआ, जिसने कलकत्ता को अपना प्रमुख केंद्र बनाया। यहां से चीनी माल ब्रिटेन पहुंचाया जाता था, कलकत्ता ने चीनी श्रमिकों को अपनी ओर आकर्षित करना प्रारंभ कर दिया। यहां आए चीनियों में अधिकांश हक्का समुदाय के थे। 1901 की भारतीय जनगणना में 1640 चीनी लोग शामिल थे, जो द्वितिय विश्व युद्ध के अंत तक 26,250 हो गये। 20वीं शताब्दी तक कलकत्ता में चाइना टाउन खुल गया था। इन्हीं चीनी प्रवासियों ने भारत में चीनी भोजन की नींव रखी। 1924 कोलकता में पहला चीनी भोजनालय खोला गया। इसके अगले ही वर्ष मुंबई में कई सारे चीनी रेस्त्रां खोले गए और देखते ही देखते चीनी पकवान भारतीयों के मध्य प्रसिद्ध हो गए। 1974 में बॉम्बे में सिचुआन नामक चाइनीज रेस्त्रां खोला गया, जिसने लोगों के मध्य चायनीज व्यंजन को काफी लोकप्रिय बना दिया। चीनी खाने को भारतीयों के स्वाद के अनुकुल बनाने के लिए उसमें तेज मसालों का उपयोग किया जाने लगा। हालाँकि, आधुनिक भारतीय चीनी व्यंजनों के कई व्यंजन पारंपरिक चीनी व्यंजनों के समान ही हैं।
भारतीय चीनी भोजन सिर्फ बड़े और छोटे रेस्तरां द्वारा ही नहीं परोसा जाता था, बल्कि ठेले, हाईवे फूड स्टालों और मोबाइल चाउमीन वैन के द्वारा भी परोसा जाने लगा। क्लासिक मुंबई स्ट्रीट फूड में "चीनी भेल" और "सिचुआन डोसा" चीनी संस्करण ही हैं। पनीर (भारतीय पनीर) में चीनी मसालों का उपयोग कर के सिचुआन पनीर में बदल दिया गया। चिकन करी को चिली चिकन बना दिया गया, इस प्रकार के कई भोजनों में मसालों की अदला-बदली कर के भारतीयों के अनुकुल नए-नए चाइनीज व्यंजन तैयार किए गए।
चिकन मंचूरियन जैसे व्यंजन इसी का ही परिणाम हैं। इसकी शुरूआत नेल्सन वांग (Nelson Wang) नामक एक शेफ ने की थी। यह ताज के रेस्तरां में, फ्रेडरिक (Frederick) के सहायक कुक के रूप में काम कर रहे थे। एक दिन, उन्होंने ग्रेवी को गाढ़ा करने के लिए सोया सॉस और कॉर्नस्टार्च के साथ लहसुन, अदरक, और हरी मिर्च - भारतीय सामग्री को मिलाकर प्रयोग किया। जिसके परिणामस्वरूप चिकन मंचूरियन तैयार हुआ। वांग बॉम्बे में प्रसिद्ध चाइना गार्डन के लिए जाने जाते हैं, जहां से चायनीच भोजन आम आदमी के बीच से निकलकर उच्च वर्ग के समुदाय में पहुंचा। इसने भारत ही नहीं विश्व भर के लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया। आज चीनी भोजन इतना घुल मिल गया है कि इसके बिना भारतीय पकवान अधूरे लगने लगते हैं। अब आप किसी भी भारतीय रेस्तरां में चले जाएं वहां पर चीनी पकवान मिलना आम बात है। जीरा, साबुत धनिया, हल्दी, लाल मिर्च, अदरक, लहसुन, तिल, सूखी लाल मिर्च, काली मिर्च, मक्का और दही चीनी खाने को विशेष जायका देते हैं।
मुख्य चायनीज भोजन हैं:
चीली (Chilly): चीली चिकन, चीली प्रॉन, चीली मटन, चीली फिश, चीली पनीर आदि
गार्लिक (Garlic) या लहसुन: गार्लिक चिकन, गार्लिक प्रॉन, गार्लिक मटन, गार्लिक फिश, गार्लिक पनीर आदि
सेज़वान (Schezwan): सेज़वान चिकन, सेज़वान प्रॉन, सेज़वान मटन, सेज़वान फिश, सेज़वान पनीर आदि
जिंजर (Ginger) या अदरक: जिंजर चिकन, जिंजर प्रॉन, जिंजर मटन, जिंजर फिश, जिंजर पनीर आदि
मंचूरियन (Manchurian): चिकन मंचूरियन, प्रॉन मंचूरियन, मटन मंचूरियन, फिश मंचूरियन, पनीर मंचूरियन आदि
चाउमिन इसे सब्जियों, अंडे, अदरक और लहसुन, सोया सॉस, हरी मिर्च सॉस, लाल मिर्च सॉस और सिरका आदि से बनाया जाता है। जलफ्रेज़ी चिकन, हांगकांग चिकन।
लेमन या निंबू: लेमन चिकऩ, लेमन प्रॉन, चीली मटन, चीली फिश आदि
इस प्रकार के अनेक भारतीय चीनी व्यंजन भारतीय रेस्तरां में परोसे जाते हैं। 2009 में भारतीय भोजन के बाद चीनी भोजन सबसे पसंदीदा भोजन था, जो प्रतिवर्ष 9% की दर से बढ़ रहा है। भारतीय चीनी भोजन भारत में ही नहीं, अमेरिका जापान आदि में भी लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं।
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