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नवरात्रि का पर्व पूरे देश में विविध ढंग से मनाया जाता है। कुछ लोग व्रत रखते हैं। कुछ लोग एक ही देवी मां की पूजा करते हैं, तो कुछ उनके अलग-अलग पक्षों को पूजते हैं तथा कुछ लोग भगवान विष्णु के अवतार राम की पूजा करते हैं। चैत्र नवरात्रि का समापन रामनवमी के रूप में होता है, शरद नवरात्रि दुर्गा पूजा और अंत में दशहरे के त्यौहार के साथ संपन्न होती है। रामनवमी को भगवान राम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इससे पहले के 8 दिन घरों और वैष्णव मंदिरों में राम के भजन गाए जाते हैं। पुराने समय में शाक्त हिंदू चैत्र नवरात्र में देवी दुर्गा के भजन गाते थे लेकिन धीरे-धीरे करके यह परंपरा समाप्त हो रही है। आज के हिंदू परिवारों में चैत्र नवरात्रि की बहुत मान्यता है। बंगाली हिंदुओं और पूर्वी एवं उत्तर पूर्वी राज्यों से बाहर के शाक्त हिंदू, देवी दुर्गा को शक्ति की देवी के रूप में पूजते हैं। नेपाल में नवरात्रि को 'दशैन' कहते हैं। यह नेपाल का प्रमुख पर्व है, जिसमें लोग घर आकर परिवार के साथ इसे मनाते हैं, इसमें टीक पूजा की रसम होती है।
नवरात्रि उत्सव: गुजरात
गुजरात में नवरात्रि बहुप्रतीक्षित त्योहारों में शामिल है। यह अश्विन महीने के पहले 9 दिनों में मनाई जाती है। भक्त 9 दिन उपवास रखते हैं और मां शक्ति की आराधना करते हैं, शाम के समय 'गरबी' नाम के मिट्टी के पात्र में, जिसके अंदर दिए होते हैं, रोशनी की जाती है। महिलाएं इसके साथ आरती करती हैं। अपनी पारंपरिक पोशाक में पुरुष और स्त्री डांडिया रास करते हैं।
नवरात्रि उत्सव: पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम और बिहार
भारत के पूर्वी इलाकों में पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम में नवरात्रि के अंतिम 4 दिन नवरात्रि के रूप में बनाए जाते हैं। यह सप्तमी से शुरू होकर अष्टमी, नवमी और दशमी तक चलता है। उमरा दुर्गा पूजा पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा त्यौहार है, बड़े-बड़े पंडालों में बड़ी भव्यता से मनाया जाता है, जिसमें मां दुर्गा की शेर पर सवार मूर्ति के साथ-साथ महिषासुर, भगवान गणेश, कार्तिकेय, देवी लक्ष्मी और सरस्वती की भी मूर्तियों का श्रृंगार एवं पूजन होता है। स्त्री पुरुष सुंदर वस्त्रों में दिखते हैं। बंगाली महिलाएं अपनी पारंपरिक लाल साड़ी में नृत्य करते हुए दिखती हैं। ढोल, ढाक और धुनुची नाच से पूरा वातावरण ताजगी और पवित्रता से भर जाता है।
नवरात्रि : तमिलनाडु
तमिलनाडु में नवरात्रि में देवी दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती के पूजन की परंपरा है। 9 दिनों में हर देवी का तीन-तीन दिन पूजन होता है। सबसे खास बात यह है कि इस उत्सव की सजावट में कोलू का इस्तेमाल होता है। यह नौ डंडों वाली सीढ़ी होती है। हर पायदान पर गुड़ियों और देवी देवताओं की मूर्तियों से सजावट होती है। सीढ़ी के नौ पायदान नौ रात के प्रतीक होते हैं। इसमें प्रयोग होने वाली गुड़िया पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती हैं।
नवरात्रि: आंध्र प्रदेश
तमिलनाडु का कोल्हू प्रकरण आंध्र प्रदेश में बटुकम्मा पांडुगा नाम से मनाया जाता है, जिसका अर्थ होता है- मां देवी साक्षात दर्शन दें। नौ रातें देवी शक्ति को समर्पित होती हैं। महिलाएं फूलों का एक ढेर बनाती है, जिसे 'बटुकम्मा' कहते हैं। महिलाएं नई साड़ी पहनकर 9 दिन उसके सामने पूजा करती हैं तथा फूलों को पानी में विसर्जित कर देती हैं।
नवरात्रि : केरल
केरल में यह केवल अंतिम दिन मनाया जाता है और केरलवासी इन दिनों ज्ञान को अहमियत देते हैं। अष्टमी को मां सरस्वती के सामने वह संगीत के सारे साज रख देते हैं और दसवीं को वह किताबों और मां सरस्वती की पूजा करते हैं। दशमी को किताबें पढ़ने के लिए बाहर निकाल दी जाती हैं।
नवरात्रि : कर्नाटक
आश्चर्य की बात है कि कर्नाटक में नवरात्रि में नौ रातों का उत्सव उसी प्रकार आज भी मनाया जाता है, जैसा 1610 में विजयनगर राजवंश में मनाया जाता था। नवरात्रि को वहां नड्डा हब्बा के नाम से जाना जाता है। गलियों में हाथियों के जुलूस निकाले जाते हैं। हस्तकला और कलाकृतियों की प्रदर्शनी लगाई जाती है।
नवरात्रि महाराष्ट्र
यहाँ गुजरात की तरह के ही उत्सव होते हैं। नवरात्रि का मतलब महाराष्ट्र में नई शुरुआत से होता है। मकान, वाहन की खरीद, नए व्यवसाय का करार या अनुबंध बहुत आम होते हैं। विवाहित स्त्रियां अपनी सहेलियों को बुलाकर हल्दी कुमकुम का टीका लगाकर उन्हें नारियल और सुपारी की पत्तियों पर सुपारी भेंट करती हैं। महाराष्ट्र के कोने कोने में गरबा और डांडिया उत्सव आयोजित होते हैं।
नवरात्रि: हिमाचल प्रदेश
हिंदुओं के लिए यहां नवरात्रि बहुत बड़ा त्यौहार है। यहां दसवें दिन समारोह शुरू होते हैं, जबकि दूसरे राज्यों में यह समाप्त हो जाता है। भगवान राम की अयोध्या वापसी के अवसर पर इसे कुल्लू दशहरा कहते हैं। इस दिन मूर्तियां मंदिरों से निकाल कर जुलूस में शामिल की जाती हैं। हिमाचल प्रदेश के कई जिलों में देवी दुर्गा की पूजा होती है।
नवरात्रि: पंजाब
पंजाब में पहले 7 दिन लोग उपवास रखते हैं। अष्टमी या नवमी के दिन में छोटे बच्चों की पूजा करके व्रत तोड़ते हैं इस प्रथा को कंजीका कहते हैं। पंजाबी समुदाय जगराता का आयोजन कर रात भर जागकर देवी शक्ति की पूजा करते हैं ।
इस प्रकार अपनी तमाम विविधताओं के बावजूद धार्मिक अवसरों की इस एकता पर हमें गर्व होना चाहिए।
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