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इस कोरोना महामारी के कारण एक लम्बे लॉकडाउन (Lockdown) के बाद देश की अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर आने का प्रयास कर रही है। कुछ दिशा निर्देशों को ध्यान में रखते हुए सरकारी एवं गैर सरकारी कार्यालय खोल दिए गए हैं, उचित दूरी को बनाए रखने के लिए कार्यालयों में कर्मचारियों की संख्या कम कर दी गयी है, जिसका प्रभाव उत्पादन पर पड़ रहा है, अत: उत्पादन प्रक्रिया को बढ़ाने के लिए अधिकांश कंपनियां अब तकनीकी की ओर रूख कर रही हैं। हमारे मेरठ शहर में कोरोना से बचने के लिए कैंट कार्यालय में फाइलों को स्थानांतरित करने हेतु रोबोट का प्रयोग किया जा रहा है, जिसकी लागत मात्र 10 हजार रुपये है।
18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध तथा 19वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में हुई औद्योगिक क्रांति ने विश्व की छवि को बदल के रख दिया। इसके चलते शहरीकरण की प्रक्रिया अपने चरम पर पहुंच गयी तथा रोजगाार के नये-नये अवसर खुल गए। देखते ही देखते बड़ी-बड़ी मशीनों का निर्माण शुरू हो गया, जिसने उत्पादन प्रक्रिया में तीव्रता लायी किंतु इसने हस्तनिर्माताओं के रोजगार पर गहरा प्रभाव डाला। तकनीकी प्रगति के प्रमुख स्वरूप डिजिटलीकरण (Digitization), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence (AI)), 3-डी प्रिंटिंग (3-D Printing) और स्वचालन हैं। मशीनें, कंप्यूटर और रोबोट कई ऐसे संज्ञानात्मक कार्यों के साथ-साथ नियमित और अनियमित कार्य कर सकते हैं और यहां तक कि कई ऐसे कार्य भी कर सकते हैं, जो मनुष्य की छमता से बाहर हैं।
वर्तमान समय में फैली महामारी ने ऑटोमेशन (Automation) को एक विकल्प से हटाकर मूलभूत आवश्यकता बना दिया है। कोविड-19 के चलते व्यवसाय को निरंतरता देने के लिए ऑटोमेशन का प्रयोग अनिवार्य हो गया है। ऑटोमेशन मुख्य रूप से प्रोग्रामिंग (Programming) पर आधारित है और यह स्क्रिप्टेड (Scripted) कार्यों और विभिन्न प्रणालियों को एक साथ एकीकृत करने के लिए एपीआई (APIs) और अन्य एकीकृत समाधानों पर निर्भर रहता है। ऑटोमेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ मिलकर मशीनों को मनुष्य के भांति कार्य करने योग्य बनाता है। जानकार या विद्वान कार्यकर्ताओं के कार्य को करने के लिए रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन (Robotic Process Automation (RPA)) का उपयोग किया जा रहा है, यह मुख्यत: विचारशील व्यावसायिक क्रियाओं पर आधारित होता है, जिसमें इन कार्यकर्ताओं के कार्य को करने के लिए सॉफ्टवेयर बॉट (Software Bot) का उपयोग किया जाता है। बहुमुखी व्यवसायिक प्रक्रियाओं को स्वचालित करने के लिए हाइपरोटोमेशन (Hyperautomation) का उपयोग किया जा रहा है। यह RPA की ही भांति एक उन्नत प्रौद्योगिकी है, इसमें प्रौद्योगिकी उपकरणों के संयोजन का उपयोग शामिल है। गार्टनर (Gartner) की एक रिपोर्ट के अनुसार 2024 तक संगठन पुन: डिज़ाइन की गई परिचालन प्रक्रियाओं के साथ हाइपरोटोमेशन प्रौद्योगिकियों के संयोजन से परिचालन लागत को 30% तक कम कर देंगे। COVID-19 के चलते इसमें तेजी आने की संभावना है।
ऑटोमेशन ने उत्पादन, खपत, परिवहन और रसद प्रणालियों के स्वरूप को बदल कर रख दिया है। ऑटोमेशन के माध्यम से मनुष्य द्वारा दोहराए जाने वाले कार्यों को, कम समय में तीव्रता से उच्च गुणवत्ता के साथ किया जा रहा है, जिससे लागत में कमी आ रही है और उत्पादन बढ़ रहा है। इसके विस्तार को देखते हुए आने वाले समय में बेरोजगारी और असमानता जैसी समस्याएं बढ़ेंगी। हालांकि लागत में कमी और उत्पादन में वृद्धि हो रही है किंतु बेरोजगारी के कारण भविष्य में उपभोग में भी कमी आएगी और जब उपभोक्ता ही नहीं होगा, तो उत्पादन किस काम का।
ऑटोमेशन ने शहरी जीवन को ही नहीं वरन् ग्रामीण जीवन को भी प्रभावित किया है, यह जीवनयापन के तरीके को जितनी सरलता प्रदान कर रहा है, इसके विपरित वहीं मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए जीवनयापन करना उतना ही कठिन भी बना रहा है, इसके विस्तार से इनके रोजगार के अवसर घटते जा रहे हैं। ऑटोमेशन के कारण स्मार्ट शहर (Smart City) शिक्षित लोगों के लिए समृद्ध और आकर्षक हो सकते हैं, लेकिन वहीं नौकरियों की कमी और जीवनयापन की बढ़ती लागत मध्यम वर्ग पर विपरित प्रभाव डाल रहे हैं। जो शहर आज ऑटोमेशन के माध्यम से चल रहे हैं, वहां व्यक्ति के लिए रोजगार प्राप्त करना कठिन हो गया है। आने वाले समय में ऑटोमेशन अमीर और गरीब के बीच पहले से मौजूद खाई को और अधिक चौड़ा कर सकता है। यदि सामाजिक खाई बढ़ती है, तो यह लोकतंत्र के लिए भी खतरा बन जाएगी। अत: राजनयिकों को भी इस भावी खतरे के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है और दोंनो के बीच सामांजस्य बैठाने की जरूरत है।