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कांच एक ऐसी वस्तु है, जिसका उपयोग वर्तमान समय में कई अन्य वस्तुओं को सुंदर रूप देने में किया जाता है और इसलिए इसका उपयोग कई आभूषणों में भी किया जा रहा है जिसका महत्वपूर्ण उदाहरण कांच के मोती और चूड़ियाँ हैं। 1000 ईसा पूर्व में मेरठ के पास हस्तिनापुर में काले और भूरे रंग के कांच के मोती और चूड़ियाँ मिली थीं, इन्हें अलग-अलग मात्रा में सोडा-लाइम-सिलिकेट (Soda-lime-silicate) और पोटेशियम (Potassium) और लौह यौगिकों के साथ बनाया गया था। तब से कांच के गहने और आभूषण बनाना एक लंबी प्रक्रिया बन गयी। कांच आमतौर पर भंगूर और अकार्बनिक पदार्थों से बना पारदर्शक और अपारदर्शक पदार्थ है।
कांच में लगभग 75% सिलिका (Silica) होता है और सोडियम आक्साइड (Sodium Oxide) और चूना तथा अनेक चीजें कम मात्रा में मिली हुई होती हैं। किंवदंती के अनुसार, मुनष्य को कांच का पता तब चला जब कुछ व्यापारियों ने सीरिया में फ़ीनीशिया के समुद्रतट पर भोजन के पात्र चढ़ाए। अग्नि के प्रज्वलित होने पर उन्हें द्रवित कांच की धारा बहती हुई दिखाई दी। यह कांच बालू और शोरे के संयोग से बन गया था। परंतु ऐतिहासिक दृष्टि से कांच का आविष्कार मिस्र या मिसोपोटामिया में लगभग 2500 वर्ष ईसा पूर्व हुआ था। इसके साक्ष्य मिसोपोटामिया में कब्रिस्तान से प्राप्त कांच के मोती हैं, जो कि 2100 ईसा पूर्व के है। शुरु में इसका उपयोग साज-सज्जा के लिये किया गया था, फिर ईसा से लगभग 1500 साल पहले कांच के बर्तन बनने लगे, और समय बीतने के साथ-साथ वेनिस (Venice) शहर उत्कृष्ट कांच की चीजें बनाने का केंद्र बन गया। यूं तो हड़प्पा संस्कृति की किसी भी साइट (Site) से कोई वास्तविक कांच के साक्ष्य नहीं मिलते लेकिन अशुद्ध कांच के मोती, चूड़ियां, आभूषण, बर्तन, आदि जैसे चमकीले पदार्थ कई साइटों पर पाए गए जो ज्यादातर चीनी मिट्टी या अशुद्ध कांच से बने हुए थे। भारत में कई प्रदेशों में प्राचीन कांच के टुकड़े प्राप्त हुए हैं। खासतौर पर मेरठ के आस-पास के इलाकों में प्राचीन काल के कांच के अवशेष खुदाई में मिले। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में, लगभग 30 पुरातात्विक खुदाई साइटों में, हरे, नीले, लाल, सफेद, नारंगी और कुछ अन्य रंगों में कई कांच की वस्तुएं पाई गई हैं।
कांच आभूषणों या गहनों के अनेक प्रकार हैं, जैसे फ्युज्ड (Fused) कांच के आभूषण, डाइक्रो-ग्लास (Dichroic-glass), मनका, समुद्री कांच आदि। फ्युज्ड कांच से मुख्य रूप से आभूषण जैसे झुमके, पेंडेंट (Pendant) आदि बनाया जाता है। इस तरह का कांच बनाने के लिए कांच के छोटे-छोटे रंगीन टुकड़ों को भट्टी में करीब 1,200 से 1,700 के तापमान पर गर्म किया जाता है जिसके बाद इसे ठंडा करके विभिन्न आकार में ढाल लिया जाता है। डाइक्रो-ग्लास जिसे फ्युज्ड कांच के गहने के समान ही बनाए जाते हैं किंतु इनका अपना एक अलग प्रकार होता है। इसमें कांच के अन्दर चमकीले टुकड़ों को मिलाया जाता है, जो कांच को झिलमिलाता हुआ परिवेश प्रदान करता है। इस कांच का प्रयोग सर्वप्रथम नासा ने अंतरिक्ष यात्रियों के चेहरे को ढकने के लिए किया था क्योंकि इसमें विभिन्न धातुओं की लगभग 50 सूक्ष्म और पतली परतें होती हैं। कांच के मनके कंगन, हार, झुमके आदि बनाने के लिए प्रयोग में लाये जाते हैं। इनको बनाने के लिए लैंपवर्क (Lampwork) तकनीक उपयोग की जाती है। इसे बनाने के लिए अलग-अलग तरह के कांच की छड़ों को एक नियत ताप पर मशाल की तरह पिघलाया जाता है। पिघलाते समय कांच पानी की बूँद की तरह रिसता है और इस तरह इसे किसी भी आकार में ढाला जा सकता है। इनको मोतियों पर भी पिघलाया जाता है जिससे कांच के मनके प्राप्त हो जाते हैं। समुद्री कांच के अंतर्गत आम कांच को समुद्र में फेंक दिया जाता है और उसे तब तक समुद्र में छोड़ कर रखा जाता है जब तक की वह लहर थपेड़ों आदि से घिस कर चिकना और अपारदर्श ना हो जाए। कांच आभूषण का एक अन्य महत्वपूर्ण प्रकार मुरानो कांच (Murano glass) भी है, जिसे प्राचीन काल से वेनिस (Venice), इटली (Italy) में विकसित किया गया था।
ये अत्यंत ही बहुमूल्य कांच होता है जिसमें कांच के अन्दर कई छोटे-छोटे फूल बनाए जाते हैं। वेनिस शहर को उत्कृष्ट कांच की चीजें बनाने का केंद्र माना जाता है, जहां का कांच वेनिस कांच के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि इसे 1,500 से अधिक वर्षों से बनाया जा रहा है, जिसका उत्पादन 13वीं शताब्दी के बाद से मुरानो के वेनिस द्वीप पर केंद्रित है। आज मुरानो अपनी कांच की कला के लिए जाना जाता है, लेकिन कलात्मक प्रसिद्धि के अलावा इसके कांच निर्माण में नवाचारों का एक लंबा इतिहास है और यह मध्य युग से यूरोप का प्रमुख कांच निर्माण केंद्र भी था। 15वीं शताब्दी के दौरान मुरानो के कांच निर्माताओं ने क्रिस्टालो (Cristallo) बनाया। जो लगभग पारदर्शी था और दुनिया में सबसे अच्छा कांच माना जाता था। मुरानो कांच निर्माताओं ने एक सफेद रंग का कांच (जिसे लैटिमो (Lattimo) कहा जाता है) विकसित किया, जो चीनी मिट्टी के बर्तन जैसा दिखता था। वे बाद में यूरोप के दर्पण के बेहतरीन निर्माता बन गए। वेनिस के मध्य पूर्व के साथ सम्बंधों ने अपने कांच निर्माताओं को अतिरिक्त कौशल हासिल करने में मदद की, क्योंकि सीरिया और मिस्र जैसे क्षेत्रों में कांच निर्माण अधिक उन्नत था। वेनिस के कांच निर्माताओं ने कांच बनाने के लिए गुप्त विधियों और प्रयोगों का विकास किया, और मुरानो द्वीप पर वेनिस के कांच निर्माण की एकाग्रता ने उन रहस्यों पर बेहतर नियंत्रण किया। 15वीं और 16वीं शताब्दी में लोकप्रियता के चरम पर पहुंचते हुए मुरानो यूरोप का कुलीन कांच निर्माण केंद्र बन गया। भूमध्य सागर के साथ व्यापार में वेनिस के प्रभुत्व ने एक धनी व्यापारी वर्ग का निर्माण किया जो कला का एक मजबूत पारखी था। इससे कांच कला की मांग और अधिक नवाचारों की स्थापना में मदद मिली। यूरोप में कांच निर्माण प्रतिभा के प्रसार ने अंततः वेनिस और इसके मुरानो कांच निर्माताओं के महत्व को कम कर दिया। 1797 में नेपोलियन बोनापार्ट (Napoleon Bonaparte) द्वारा वेनिस राज्य पर कब्जे और विघटन ने मुरानो के कांच निर्माण उद्योग के लिए और अधिक कठिनाई उत्पन्न की। लेकिन 1920 के दशक में मुरानो कांच निर्माण का पुनरुद्धार फिर शुरू हुआ। आज, मुरानो और वेनिस पर्यटक आकर्षण हैं, और यहां कई कांच कारखानें और व्यक्तिगत कलाकारों के स्टूडियो (Studios) हैं। मुरानो के विनीशियन कांच निर्माता, कांच निर्माण के लिए कई नवाचारों और परिशोधन के लिए जाने जाते हैं। इन नवाचारों और परिशोधनों में मुरानो बीड्स (beads), क्रिस्टेलो, लैटिमो, झूमर और दर्पण हैं। इसके अतिरिक्त इनमें शामिल परिशोधन या रचनाएं गोल्डस्टोन (Goldstone), बहुरंगी कांच और कांच से बने नकली रत्न आदि शामिल हैं।
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