समय - सीमा 266
मानव और उनकी इंद्रियाँ 1048
मानव और उनके आविष्कार 813
भूगोल 260
जीव-जंतु 314
| Post Viewership from Post Date to 29- Oct-2025 | ||||
|---|---|---|---|---|
| City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Messaging Subscribers | Total | |
| 2758 | 273 | 0 | 3031 | |
| * Please see metrics definition on bottom of this page. | ||||
शिरीष का पेड़ शीशम की तरह ऊँचा होता है। इसे सिरस भी कहते हैं। इसका एक दिलचस्प नाम भी है- वुमन’स टंग ट्री (Woman’s Tongue Tree)। इसमें लगने वाली फलियों के भीतर स्थित बीज जब आपस में लड़कर बजते हैं, तो एक प्रकार की आवाज़ पैदा होती है। इस आवाज़ के कारण इसका नाम वुमन’स टंग ट्री रखा गया। पूरी दुनिया में सब जगह आसानी से मिलने- उगने वाला यह पेड़ अल्बिजिया लेबेबेक (Albizia Lebbeck) प्रजाति का होता है। यह 18-30 मीटर ऊँचा होता है। इसके फूल सफ़ेद और बहुत ख़ुशबूदार होते हैं। 15-30 सेमी० लम्बी और 2.5-5.0 सेमी० चौड़ी फली होती है, जिसमें 6-12 तक दानें होते हैं। वेस्टइंडीज़ (West Indies) और दक्षिण अमेरिका में यह पेड़ ‘शाक शाक ट्री (Shak Shak Tree)’ के नाम से जाना जाता है क्योंकि फलियों के अंदर दाने इसी तरह की आवाज़ करते हैं। इस तरह भाषा और भूगोल की भिन्नताओं के बावजूद शिरीष के पेड़ की ख़ूबी उसकी फलियों में बजनेवाला दानों का संगीत है।
उपयोग - पर्यावरण को स्वच्छ रखना, चारे का प्रबंध, दवा और लकड़ी के उपयोग शिरीष के गुण हैं। उत्तर और दक्षिण अमेरिका में इसे छायादार पेड़ का दर्जा मिला है। भारत- पाकिस्तान में इसकी लकड़ी का उपयोग होता है।
वनस्पतिकी फ़ायदे - शिरीष कुछ जगहों पर फोड़े, कफ़, आँखों के रोगों, बुख़ार, फेफड़े सम्बंधी रोगों, पेट सम्बंधी
फोड़ों के उपचार में एक टॉनिक (Tonic) की तरह इस्तेमाल किया जाता है। इसकी छाल से सूजन ठीक हो जाती है। इस प्रकार यह पौधा स्वदेशी स्तर पर बहुतायत से मिलता है। इसके उपयोग भले ही वैज्ञानिक रूप से पूरी तरह सही साबित न हुए हों, इनका समाज में उपयोग बड़े पैमाने पर, बड़े विश्वास से जनमानस करता है। शिरीष शरीर की विषाक्तता को कम करता है। शिरीष की छाल को चाय की पत्ती की तरह इस्तेमाल करने से दमा के रोगियों को आराम मिलता है। दमे के दौरों में भी अंतर आ जाता है। वैसे तो शिरीष स्वास्थ्य सम्बंधी एक नहीं बल्कि तीन दोषों को ठीक करता है- दमा, आर्थराइटिस और ब्रॉंकायटिस (Arthritis and Bronchitis)।
शिरीष नम-शुष्क कटिबंधों में ज़्यादा पाया जाता है, जहां बुनियादी ख़ुराक की कमी और उष्णकटिबँधीय घास के मैदानों की बहुतायत होती है। इस समस्या को शिरीष तीन तरीक़ों से निपटाता है - ख़ुराक, वैकल्पिक खाद्य पदार्थ और घास की गुणवत्ता में सुधार। यह नाइट्रोजन उत्पादन तय करता है, छाया और लकड़ी के उपयोग का अच्छा स्रोत है। व्यापक उथली जड़ों की मदद से शिरीष मिट्टी को बांधकर रखता है, उसका क्षरण रोकता है और मृदा संरक्षण करता है। पेड़ के तमाम हिस्से लोकजीवन के अनेक रोगों का इलाज करते हैं।