विलुप्‍तप्राय कली गर्दन वाले सारस के विषय में कुछ रोचक तथ्‍य

मेरठ

 10-09-2020 08:54 AM
पंछीयाँ

आप एक प्रकृति प्रेमी हों या रोमांचक सफर में रूची रखते हों, अपनी किसी भी यात्रा के दौरान यदि आपको रास्ते में कोई सुन्दर पक्षी जल क्रीड़ा करते हुए या शिकार करते हुए दिख जाए तो वह नज़ारा बहुत ही मन्त्रमुग्ध करने वाला होता है, और यदि वह पक्षी दुर्लभ, काली गर्दन वाला सारस, जिसके काले पंख, चमकदार लाल पैर, एक सुन्दर सफेद शरीर, और पूंछ हो तो निश्चित तौर पर वह यात्रा जीवन भर के लिए एक यादगार सफर बन जाती है। हम आज इसी कली गर्दन वाले सारस के बारे में विस्तार से कुछ रोचक बातें जानेंगे।

भारतीय उपमहाद्वीप में सारस की 8 प्रजातियां पाई जाती हैं। यह प्रजाति उन्हीं में से एक है। 7 फ़ीट के पंख वाला यह विशालकाय सारस लगभग 130 सेंटीमीटर ऊंचा होता है। मेंढक, कछुए के अंडे, मछलियाँ, सरीसृप, और पानी में रहने वाले पक्षी इनका भोजन हैं, यह बहुत ही तेजी से एक शिकार को मुंह में और एक को पंजों से पकड़ने में माहिर हैं। यह प्रायः तराई के दलदल, तालाबों और नदियों के साथ-साथ कृषि क्षेत्रों (चावल, गेहूं और बाढ़ से घिरे खेतों में) में पाए जाते हैं। उन्हें फ्लैप-शेल (Flap-shell) कछुओं को खाते हुए भी देखा गया है। काले गर्दन वाले सारस प्रजनन के मौसम में और कभी कभी उसके बाद भी जोड़ों में दिखाई देते हैं।

वे उत्तर में सूरजपुर पक्षी अभयारण्य, केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और पूर्वोत्तर में दीपोर बील वन्यजीव अभयारण्य में पाए जाते हैं। वे प्रायद्वीपीय और दक्षिणी भारत में बहुत कम पाए जाते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर, वे दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों जैसे कंबोडिया, म्यांमार, वियतनाम तथा दक्षिण में पापुआ न्यू गिनी (Papua New Guinea) और ऑस्ट्रेलिया में भी पाए जाते हैं। ऑस्ट्रेलिया में तो इनकी संख्या अपेक्षाकृत अधिक है। इसे कभी-कभी एक जाबिरू कहा जाता है, हालांकि यह नाम अमेरिका में पाए जाने वाले उस सारस प्रजाति को कहा जाता है।

उत्तर भारत में रहने वाला एक मुस्लिम समुदाय 'मिरशिकर' जो पारंपरिक रूप से शिकारी, पक्षियों और छोटे जानवरों का शिकार करते थे। यह नाम फारसी और मुगल शासकों की सभा में सेवा करने वाले "मुख्य शिकारियों" को भी दिया गया था, जो उन्हें शिकार करना सिखाते थे। इस समुदाय में एक प्रथा थी कि नौजवान को शादी करने हेतु अपनी योग्यता को प्रदर्शित करने के लिए एक काले गर्दन वाले सारस को जीवित पकड़ना पड़ता था। हालांकि, 1920 के दशक में इस प्रथा को तब पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया था, जब एक काले गर्दन वाले सारस (जिसे स्थानीय रूप से लाह सारंग कहा जाता था) ने एक युवक को मार दिया, जो प्रथा के अनुसार शादी के लिए इस पक्षी का शिकार करने गया था।

आज के बदलते मौसम और तीव्र शहरीकरण ने इस सुन्दर प्रजाति को लुप्त होने की कगार पर पहुंचा दिया है। उन्हें आवासों का क्षतिग्रस्त होना, जल स्रोतों का क्षरण और जल निकासी, अपशिष्ट पदार्थों का जलाशयों में निष्कासन, मनुष्यों द्वारा अत्यधिक मछली पकड़ना एवं बिजली की तारों से टक्कर आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सारस की यह प्रजाति अपनी विचित्र क्रीड़ाओं के लिए विख्यात है। इस प्रजाति के नर तथा मादा दोनों एक-दूसरे के आमने-सामने खड़े होकर, जोर-जोर से अपने पंख फड़फड़ाते हैं और अपनी ऊंची गर्दन को इस प्रकार आगे बढ़ाते हैं कि वह एक दूसरे से मिल जाए। फिर वे अपने बिलों/चोंच (Bills) को बंद कर लेते हैं। यह क्रिया एक मिनट तक चलती है और कई बार दोहराई जाती है।

यह प्रजाति अपने घोंसले कृषि क्षेत्रों के निकट बनाती है तथा मानसून के चरम पर अर्थात सितंबर से नवंबर महीनों में बड़े-बड़े वृक्षों पर बनाना शुरू करती है। कुछ घोंसले जनवरी के बाद भी बनाए जाते हैं। इनके घोंसले लकड़ी, शाखाओं, पानी के पौधों और किनारों पर मिट्टी के प्लास्टर से बने होते हैं, जो 3 से 6 फ़ीट ऊंचे होते हैं। सामान्यतः इस प्रजाति के अंडे हल्के सफ़ेद रंग के और आकार में चौड़े होते हैं। इनके चूजे सफ़ेद रंग के होते हैं, जिनकी गर्दन का रंग एक सप्ताह के भीतर गहरे भूरे रंग में परिवर्तित हो जाता है। कुछ माह तक वयस्क पक्षी चूजों के लिए घोंसले में भोजन लाता है परन्तु उसके बाद युवा पक्षियों को स्वयं ही परिश्रम करना पड़ता है। वयस्क जोड़ा चूजों की देखरेख साथ में करता है परन्तु एक वर्ष के बाद यह सभी अलग-अलग हो जाते हैं। आम तौर पर एक घोंसले से एक से तीन छोटे सारस निकलते हैं परन्तु भारी वर्षा के मौसम में इनकी संख्या पांच तक भी पाई गयी है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3jASVmP
https://en.wikipedia.org/wiki/Black-necked_stork
https://bit.ly/32P2eZA

चित्र सन्दर्भ :
मुख्य चित्र में काली गर्दन वाला सारस (मादा) दिखाया गया है। (Wikimedia)
दूसरे चित्र में काली गर्दन वाला सारस (व्यस्क नर) दिखाया गया है। (Publicdomainpictres)
अंतिम चित्र में काली गर्दन वाला सारस दिखाया गया है। (Pexels)

RECENT POST

  • चलिए अवगत होते हैं, भारत में ड्रॉपशिपिंग शुरू करने के लिए लागत और ज़रूरी प्रक्रियाओं से
    संचार एवं संचार यन्त्र

     15-01-2025 09:30 AM


  • आध्यात्मिकता, भक्ति और परंपरा का संगम है, कुंभ मेला
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     14-01-2025 09:26 AM


  • भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लचीलेपन का श्रेय जाता है, इसके मज़बूत डेयरी क्षेत्र को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     13-01-2025 09:26 AM


  • आइए, आज देखें, भारत में पोंगल से संबंधित कुछ चलचित्र
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-01-2025 09:30 AM


  • जानिए, तलाक के बढ़ते मामलों को कम करने के लिए, कुछ सक्रिय उपायों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     11-01-2025 09:26 AM


  • इस विश्व हिंदी दिवस पर समझते हैं, देवनागरी लिपि के इतिहास, विकास और वर्तमान स्थिति को
    ध्वनि 2- भाषायें

     10-01-2025 09:31 AM


  • फ़िनलैंड के सालाना उपयोग से अधिक विद्युत खपत होती है, क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग में
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 09:27 AM


  • आइए जानें, भारत और अमेरिका की न्यायिक प्रणाली के बीच के अंतरों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:26 AM


  • आइए जानें, हमारी प्रगति की एक प्रमुख चालक, बिजली के व्यापार के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:43 AM


  • भारत में परमाणु ऊर्जा का विस्तार: स्वच्छ ऊर्जा की ओर एक सशक्त कदम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:30 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id