कला का इतिहास बहुत विस्तृत है। प्रारंभिक गुफा चित्र 27,000 साल पुराने हैं। पूरे इतिहास को एक सूची में बांधा गया है, जिसमें कलाकार, उनकी विशेषता, उनका काम, वे घटनाएं जिन्होंने प्रमुख कला समय बनाए और कैसे कला का आज तक विकास हुआ, यह सारे विवरण दिए हुए हैं। इस सूची से इतिहास समझने का प्रयास किया जा सकता है। इसमें पाषाण युग (30,000 BC-2,500 BC) से लेकर उत्तर आधुनिकतावाद- रचनावाद (1970 से आज तक) के पूरे विवरण संक्षेप में उपलब्ध हैं।
पश्चिमी कला आंदोलन और उनके प्रभाव
कला इतिहास की नीव 10000 साल पहले रखी गई, जब प्राचीन सभ्यताओं ने उपलब्ध तकनीकों और माध्यमों का प्रयोग प्रमुख सांस्कृतिक विषयों को चित्रित करने के लिए किया। शुरुआती उदाहरणों से लेकर बड़ी संख्या में कला आंदोलन चले, हर एक के अपने खास अंदाज और गुण थे, जो उन राजनीतिक और सामाजिक प्रभावों को दर्शाते थे जिनसे होकर यह निकले।
रेनेसां (Renaissance) में कला की प्रभावशाली शैलियों से लेकर आधुनिकता के जन्म तक निसंदेह कला ने इतिहास में अपनी पहचान बनाई है। व्यापक आंदोलन की टाइमलाइन (Timeline) पर उनके अवदान, प्रमुख खासियत, विशेष हस्तियों और कला इतिहास पर इनके प्रभावों के बारे में पूरा विवरण मौजूद है।
मध्यकालीन कला (वर्ष 500 से 1400)
मध्य युग को अक्सर कला युग की संज्ञा दी जाती है क्योंकि 476 AD में रोमन साम्राज्य के पतन के साथ आर्थिक और सांस्कृतिक पतन की भी शुरुआत हो गई थी। इस दौरान के आरंभिक वर्षों में बनाई गई कलाकृतियों में अंधेरे की छाया, विकृत कल्पना और क्रूर दृश्यों के रूप में दिखाई देती है। इस काल में किया गया कला संबंधी काम चर्च के इर्द-गिर्द सिमटा हुआ था। जैसे ही पहली सहस्राब्दी समाप्त हुई, अधिक परिष्कृत और बड़े स्तर पर अलंकृत चर्च उभर कर आए। उनकी खिड़कियों और छाया चित्रों को बाइबल से लिए गए शास्त्री पौराणिक विषयों और दृश्यों से सजाया गया था। इसी काल में प्रकाशित पांडुलिपियों और गॉथिक (Gothic) स्थापत्य शैली का समावेश हुआ।
रेनेसां (Renaissance) (पुनर्जागरण काल) (1400 से 1600)
इस शैली के चित्रों और सजावटी कला की विशेषता प्रकृति और व्यक्तिवाद पर केंद्रित होना थी। इस काल में कलाकार की स्वतंत्र और आत्मनिर्भर विचारधारा देखने को मिलती है। रेनेसां इटली के फ्लोरेंस शहर (Florence, Italy) में अपने शिखर पर था और एक धनी व्यापारी परिवार ने उसका सहयोग किया क्योंकि यह परिवार कला और मानवीय सरोकारों का जबरदस्त समर्थक था। 1490 से 1527 तक जब रेनेसां अपने चरम पर था तब इसने लिओनार्दो दा विंची (Leonardo da Vinci), माइकल एंजेलो (Michelangelo) और रफाल (Raphael) जैसे महान कलाकार दिए। पूरे रेनेसां काल की कला की पहचान थी यथार्थवाद, बारीक विवरण और मानव शरीर रचना का पूरा अध्ययन।
बारोक (Baroque) (1600 से 1750)
इस काल में अलंकृत, ओवर-द-टॉप (Over-the-Top) दृश्य कला और स्थापत्य कला की रचना हुई। इसकी पहचान वैभव, शान, मानवीय बुद्धि का विकास और वैश्विक आविष्कार है। बारोक शैली के कलाकार जटिल स्टाइल का प्रयोग करते थे। इस काल की पेंटिंग में नाटक प्रमुख होता था। चित्रकार अंधेरे और उजाले का तीव्र विरोधाभास दिखाते हुए ऊर्जावान रचनाएं करते थे और प्रचुर रंग पट्टी का प्रयोग करते थे।
यथार्थवाद(1848-1900)
पहला आधुनिक कला आंदोलन, यथार्थवाद, फ्रांस (France) में 1840 में शुरू हुआ। इसके जन्म के पीछे बहुत सी घटनाएं थी, जैसे- जर्मनी (Germany) का एंटी रोमांटिक (Anti-Romantic) आंदोलन, पत्रकारिता का उदय और फोटोग्राफी का आगमन। इन सभी ने जीवन के वास्तविक चित्र लेने को बढ़ावा दिया। इस आंदोलन के दौरान सृजित की गई कलाकृतियों में शुद्धता पर जोर साफ जाहिर होता था। इसमें विस्तृत और जिंदगी जैसी वास्तविकता, रचनाओं में दिखती थी। इतिहासवादी कला आंदोलन के प्रभावी अगुआ एक फ्रांसीसी चित्रकार गुस्ताव कुर्बे (Gustave Courbet) थे।
क्यूबिज़्म (Cubism) (1907-1917)
क्यूबिज़्म की स्थापना पाब्लो पिकासो (Pablo Picasso) और जॉर्जस ब्रेक (Georges Braque) ने की थी, जिन्होंने इस धारणा को खारिज किया था कि कला को प्रकृति की नकल तैयार करनी चाहिए। प्रचलित तकनीक और परीक्षाओं से हटकर इन्होंने उग्र रूप से खंडित चीजें अब्स्ट्रक्शन (Abstraction) के माध्यम से रची। बहुत से ऐसे कलाकारों की रचनाओं में सतही, द्वी आयामी धरातल, ज्यामिति के क्यूबिकल (Cubical) आकार की चीजें और अनेक सुविधाजनक स्थान दिखाई देते हैं।
अति यथार्थवाद (Surrealism) (1916- 1950)
1916 में डाडा कला आंदोलन या अति यथार्थवाद ने जन्म लिया। इसमें ऐसी रचनाएं की गई, जिन्होंने कारण या रीजन (Reason) को चुनौती दी। उन्होंने तर्कवादियों की निंदा की। वे कार्ल मार्क्स (Karl Marx) और सिगमंड फ्रायड (Sigmund Freud) की अवधारणाओं से प्रभावित थे, जिन्होंने मनोविश्लेषण और कल्पना शक्ति का खुलासा किया।
ऑप्टिकल आर्ट (Optical Art) (1950- 1960)
विज्ञान और तकनिकी में हुए विकास से बढ़ावा पाकर, प्रकाश प्रभाव एवं इल्यूजन (Illusion) में दिलचस्पी के कारण ऑप्टिकल आर्ट आंदोलन ने 1955 में एक ग्रुप प्रदर्शनी 'ले मूवमेंट (Le Movement)' पेरिस (Paris) के शहर गैलेरी डेनिस रेने(Galerie Denise René) में शुरू की। इस शैली के कलाकार आकृति, रंग और नमूनों का प्रयोग ऐसी तस्वीरें बनाने के लिए करते हैं, जो चलायमान या धुंधली लगती हैं। अधिकतम विषमता के लिए ज्यादातर चित्र सफेद काले रंग में होते हैं। यह अदृश्य नमूने आंख को भ्रमित और उत्तेजित करते हैं। ब्रिजेट रिले (Bridget Riley) इसकी प्रमुख इंग्लिश कलाकार हैं।
समकालीन कला (1970 से आज तक)
1970 से शुरू हुई कला परंपरा, आज तक चली आ रही है। इस काल में बहुत से स्कूल बने और कई छोटे आंदोलन भी हुए। जैसे कि-
पोस्ट मॉडर्निज़्म (Post Modernism)-
यह आधुनिकतावाद की प्रतिक्रिया में शुरू हुआ। इनकी रचनाओं में संशयवाद, विडंबना और दार्शनिक आलोचनाओं की झलक शामिल होती है।
नारीवाद कला-
यह आंदोलन महिलाओं के विषय में घिसी पिटी अवधारणा और पुरुषवादी कला इतिहास को बदलने के लिए शुरू किया गया था।
अप्प्रोप्रिएशन आर्ट (Appropriation Art)-
इस आंदोलन का लक्ष्य उपयुक्त संशोधन के साथ चित्र को प्रस्तुत करना था।
डिजिटल आर्ट-
कैमरे के आविष्कार से इस कलात्मक प्रक्रिया का समावेश हुआ, जिसने कलाकार को कला में तकनीक को मिश्रित करने और उसे कंप्यूटर, ऑडियो विजुअल सॉफ्टवेयर (Audio Visual Software), ध्वनि और पिक्सेल (Pixel) माध्यमों के इस्तेमाल का मौका दिया।
कला और रोजगार की संभावनाएं
कला के क्षेत्र में रोजगार के अवसर भारत में बहुत सीमित हैं। कला के क्षेत्र के अंतर्गत शामिल है- डिजाइनिंग, मूर्ति बनाना, नाटक, संगीत, पॉटरी, इंटीरियर डिजाइनिंग (Interior Designing), चित्रकारी और इसी तरह की दूसरी कलाएं। हालांकि आज के दौर में कलाओं के बारे में लोगों की समझ बढ़ी है लेकिन दुनिया के मुकाबले भारत की स्थिति बहुत पिछड़ी हुई है।
वेतन
नए उम्मीदवार की शुरुआत ₹10000 प्रति माह से हो सकती है, इसमें भी उसकी प्रतिभा का मूल्यांकन होगा। प्रकाशन समूह में काम करने वालों को 15 से 25000 प्रति माह तक वेतन मिलता है।
चित्र सन्दर्भ :
मुख्य चित्र में आधुनिक कला का एक उदाहरण प्रस्तुत किया गया है। (Flickr)
दूसरे चित्र में प्रागेतिहासिक कला को दिखाया गया है। (Wikimedia)
तीसरे चित्र में मध्यकालीन पश्चिमी कला को दिखाया गया है। (Wikipedia)
चौथे चित्र में पुनर्जागरण काल (रेनेसां, Renaissance) का एक चित्र प्रस्तुत किया गया है, जो माइकल एंजेलो का चित्र दिखाया गया है। (Youtube)
पांचवें चित्र में बारोक (Baroque) शैली का चित्रण दिखाया गया है। (Freepik)
छठे चित्र में यथार्थवादी शैली का एक चित्र है। (Unsplash)
सातवें चित्र में क्यूबिज़्म (Cubism) के चित्रसमूह को दिखाया गया है। (Prarang)
आठवें चित्र में अतियथार्थवाद काल का चित्र है, जो डाली द्वारा चित्रित है। (Flickr)
नौवें चित्र में ऑप्टिकल आर्ट (आभासी कला) को दिखाया गया है, और ब्रिजेट रिले (Bridget Riley) को दिखाया गया है। (Prarang)
दसवें चित्र में पोस्ट मॉडर्निज़्म का एक उदाहरण प्रस्तुत किया गया है। (Freepik)
ग्यारहवें चित्र में फेमिनिज्म आर्ट को दिखाया गया है। (Freepik)
बारहवें चित्र में अप्प्रोप्रिएशन आर्ट (Appropriation Art) को दिखाया गया है। (Prarang)
अंतिम चित्र में डिजिटल कला को दिखाया गया है। (Youtube)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.