सोने और चांदी का भोजन में प्रयोग

मेरठ

 04-08-2020 08:45 AM
स्वाद- खाद्य का इतिहास

हम आये दिन तमाम तरीके के भोजन करते हैं, ये भोजन विभिन्न विधियों से सजाये भी जाते हैं, जिनमे से गार्निशिंग (Garnishing) एक भोजन सजाने की विधि है। वर्तमान समय में विभिन्न बड़े होटलों (Hotels) आदि में भी हम लगभग सभी प्रकार के व्यंजनों को विधिवत रूप से सजे पाते हैं। हम अक्सर मिठाइयों आदि को चांदी की पतली परत से सजाया हुआ देखते हैं, चांदी के अलावा सोने को भी विभिन्न व्यंजनों पर चढ़ाया जाता है। मोती, शंख आदि से भी भोजन को सजाने की परंपरा विद्यमान है, जिसका आयुर्वेद में अपना एक अलग ही महत्व है। इस विधि को 'वर्क(Vark)' के नाम से जाना जाता है।

यह शुद्ध धातुओं की एक अत्यंत ही पतली परत होती है, जिसमे चांदी और सोना दोनों शामिल हैं। इनको हम अक्सर मिठाइयों के ऊपर देखने को पाते हैं परन्तु इनका प्रयोग केसर चावल पर भी देखने को मिलता है, यह व्यंजन को और भी स्वादिष्ट बनाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। अब एक प्रश्न जो उठाना लाजमी है कि आखिर सोना और चांदी खाने की वस्तु पर क्यूँ लगाए जाते हैं तथा क्या ये खाए जा सकते हैं? तो इस प्रश्न का उत्तर है कि हाँ, ये दोनों ही धातु खाए जा सकते हैं तथा ये स्वाद में पूर्ण रूप से स्वादहीन होते हैं। अगर इन खाने पर चढ़ाई जाने वाली धातुओं के बारे में बात करे, तो ये करीब 0.2 माइक्रोमीटर (Micrometer) की मोटाई की होती हैं। यह इतनी पतली होती है कि हाथ आदि के संपर्क में आते ही ये हाथों पर चिपकने लग जाती है।

अभी हाल ही में सुरक्षा के कारणों से भारत सरकार ने चांदी के परतों को बनाने वाले निर्माताओं को खाद्य सुरक्षा तथा उत्पाद मानक से सम्बंधित दिशानिर्देश जारी किये हैं। वर्क का उल्लेख कई प्राचीन भारतीय संस्कृत के लेखों में किया गया है, जो कि विशेष रूप से आयुर्वेद से जुड़े हुए हैं। इन लेखों में 'स्वर्ण' सोने के लिए तथा 'तारा' या 'रूपर' चांदी के लिए प्रयोग किया गया है। प्राचीन ग्रंथों में चांदी को रोगाणु रोधी माना गया है, जबकि सोने को कामोद्दीपक माना गया है। भारत ही नहीं बल्कि यूरोप (Europe) में भी सोने और चांदी के औषधीय गुणी होने का दावा किया गया है, जिसे की बाद में अध्ययन करने के उपरान्त सही माना गया। चांदी का प्रयोग बड़ी संख्या में खाने के पदार्थों पर किया जाता है जैसे कि मिठाई, मेवा, चीनी, सुपारी, इलायची आदि। इस वर्क की सालाना खपत करीब 275 टन है, जो की बी डब्लू सी (BWC(Beauty Without Cruelty)) के 2016 के डाटा (Data) से प्राप्त हुआ आंकड़ा है।

चांदी और सोने का प्रयोग मात्र भारतीय उपमहाद्वीप में ही नहीं बल्कि जापान (Japan), यूरोप (Europe) आदि देशों में भी इसका प्रयोग किया जाता है। इसके वर्तमान समय में कम बिक्री का एक बड़ा कारण यह है कि इन धातुओं को जानवरों के ऊतकों के मध्य में रखकर पीटा जाता है, जिसके कारण जानवरों के अंश चांदी के परतों में रह जाते हैं, जिसके कारण शाकाहारी लोग इसका प्रयोग करने से कतराते हैं। इसके अलावा सरकार ने भी कई जानवरों के मांस और खाल पर प्रतिबन्ध लगा दिया, जिसके कारण इसके व्यापार पर काँटा लग गया है। इस पर एक और अन्य कथन सामने आया, जिसमे यह पाया गया कि यह शुद्ध चांदी नहीं है तथा इसको बनाते समय सफाई का ख्याल नहीं रखा जाता है तथा यह बैल के ऊतक में पीटा जाता है, ऐसे अन्य कई मार इस व्यापार पर पड़े हैं। हांलाकि जानवरों के ऊतक की खबर बड़े पैमाने पर एक अफवाह के रूप में ही मानी जाती है।

वर्तमान समय में इसके कारीगर इसे बनाने के लिए जर्मन प्लास्टिक शीट (German Plastic Sheet) का प्रयोग करते हैं। जानवरों से सम्बंधित अफवाह ने इस व्यापार को बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया है तथा एक बड़े पैमाने पर इस क्षेत्र में कार्य करने वाले श्रमिकों की नौकरी इसी कारण से चली गयी है तथा हम वर्तमान में मिठाइयों आदि पर इनके प्रयोग को बड़ी ही सीमित मात्रा में देखने को पाते हैं।

सन्दर्भ :
https://en.wikipedia.org/wiki/Vark
https://en.wikipedia.org/wiki/Gold_leaf#Culinary_uses
https://bit.ly/38V0ekm

चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में भारतीय मिठाइयों पर सजाया गया चाँदी का वर्क दिखाई दे रहा है। (Freepik)
दूसरे चित्र में भारतीय मिठाइयों पर सजाया गया स्वर्ण का वर्क दिखाई दे रहा है। (Wallpaperflare)
तीसरे चित्र में इलायची सौंफ इत्यादि पर लपेटा गया चाँदी का वर्क दिखाई दे रहा है। (Flickr)
चौथे चित्र में स्वर्ण वर्क दिखाई दे रहा है। (Youtube)
अंतिम चित्र में मिठाई पर लगाया गया चांदी का वर्क दिखाया गया है। (Pikist)

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