इस वर्ष ज्यादातर बहनों ने, जो अपने भाइयों से दूर हैं, रक्षाबंधन पर उन्हें हाथ से बनी या मास्क की शक्ल में राखी डाक से या ई-कॉमर्स वेबसाइट(E-commerce Website) के माध्यम से भेजना पसंद किया है। उन्हें लगता है कि इस बार वे भाई से साक्षात नहीं मिल सकेगी। पारंपरिक राखी बनाने के व्यवसाय पर निश्चित रूप से महामारी का प्रभाव पड़ा है। फिर भी विकल्प के तौर पर डाक, इंटरनेट, दूसरे संचार माध्यमों और संगठनों ने अपने प्रयास किए हैं कि इस वर्ष का रक्षाबंधन महामारी की चुनौती के बीच में भी सुचारू ढंग से संपन्न हो सके।
रक्षाबंधन: इतिहास
रक्षाबंधन को राखी भी कहा जाता है। यह हिंदुओं का पवित्र त्यौहार लगभग 6000 साल पहले शुरू हुआ, जब आर्यों ने दुनिया की पहली सभ्यता स्थापित की थी। उमरा युद्ध में जाने से पहले विजय के लिए ईश्वर का आशीर्वाद लेने के लिए वे यज्ञ आयोजित करते थे। युद्ध पर रवाना होने से पहले उनकी बहने उन्हें राखी बांधकर देश और परिवार के प्रति उनके कर्तव्य और जिम्मेदारियों की याद दिलाती थी। लेकिन 21वीं सदी तक आते-आते यह त्यौहार भी अन्य त्योहारों की तरह व्यापार का एक मौका बन गया है। रक्षाबंधन, जो पहले भाई बहन द्वारा बहुत शिद्दत से इंतजार किया जाने वाला अवसर होता था, अब व्यापारियों के लिए मुनाफे का दिन बन गया है। मिठाई, चॉकलेट, परिधान, भेंट, आभूषण सभी ज्यादा से ज्यादा बिक्री की तलाश में रहते हैं। रक्षाबंधन की महत्ता के प्रश्न पर एक बिजनेस प्रमुख की प्रतिक्रिया थी कि- ’वैलेंटाइन डे और मदर्स डे के बाद रक्षाबंधन पर जमकर बिक्री होती है।’
क्यों खास है रक्षाबंधन इस वर्ष?
मिठाइयों की जगह चॉकलेट ने ले ली है। सिल्क के धागों का रिवाज कुछ साल पहले तक था, अब नए डिजाइन की राखियां बाजार में बिक रही हैं। ज्यादातर परिवारों में बच्चे कार्टून और ताजे फूलों वाली राखी चुनते हैं, तो बाजार में ऐसी राखियों की भी भरमार है। इसके अलावा राखी की थालियां भी हैं, जिनमें फल, मेवा, राखी और फूल होते हैं। यह कॉम्बो पैक(Combo Pack) 499 रुपए से लेकर 4000 रुपए तक मिलता है।
पारंपरिक आभूषणों और फ्यूजन(Fusion) की नई खेप ज्वेलरी दुकानों में उपलब्ध है। आकर्षक मुफ्त उपहार( फ्री गिफ्ट) की भी व्यवस्था कुछ व्यापारियों ने की है। उपभोक्ताओं की खर्च करने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए यह कीमतें तय की गई है।
उपभोक्ता की भावनाएं
ज्यादातर पारंपरिक उपभोक्ता मिठाई और रेशम की राखी इस अवसर पर जरूर लेते हैं। बच्चों की रुचि को ध्यान में रखते हुए फूलों की राखी और चॉकलेट थोड़ी मात्रा में खरीदी जा रही हैं। भेंट में देने के लिए मेवे और फूल की मांग भी बढ़ गई है।
व्यापार पर असर
पिछले वर्ष की तुलना में इस बार चीजों के दाम 15 से 20% बढ़ गए हैं। इसका कारण कच्चे माल की कीमतों पर मुद्रास्फीति का प्रभाव है। एक अनुमान के अनुसार सारी दिक्कतों के बाद भी 5 करोड़ से ऊपर राखियां बिकने का अनुमान है। वास्तव में धागों का यह त्यौहार भाई-बहनों की सुरक्षा और समृद्धि से जुड़ा था, अब भारतीय व्यापारियों के मुनाफे से जुड़ गया है।
रक्षा बंधन 2020 बनाम राखी मेल बॉक्स(Rakhi Mailbox)
2 अगस्त से एक विशेष अभियान चलाने का आयोजन किया गया है। डाकघरों में राखियां पोस्ट करने के लिए लंबी लाइनें लग रही हैं, इसलिए इस रक्षाबंधन से चंडीगढ़ पोस्टल डिविजन ने एक अलग राखी मेल बॉक्स की सेवा चलाने की योजना बनाई है ताकि कोविड-19 महामारी को ध्यान में रखते हुए कम से कम लोगों का आपस में संपर्क हो। विदेश में सिर्फ 35 देशों को राखियां केवल स्पीड पोस्ट से भेजी जा सकती हैं।
रक्षाबंधन और अंबाला शहर
कोविड-19 से प्रभावित अंबाला शहर का व्यापार जगत भारी घाटे में चल रहा है। हर वर्ष रक्षाबंधन के अवसर पर अंबाला 20-30 करोड़ रुपए तक का राजस्व कमा लेता था, जो कि इस साल गिरकर 6 से 8 करोड रुपए रह गया है। राखी की बड़े स्तर पर पैकेजिंग और व्यापार के लिए मशहूर अंबाला के होलसेल मार्केट कोरोना वायरस महामारी के कारण बदहाली के कगार पर पहुंच गए हैं। करीब 10,000 लोग सीधे या परोक्ष रूप से राखी की पैकेजिंग, बॉक्सिंग, और पोस्टिंग से जुड़े हैं। बाजार एक दिन छोड़कर बंद रहता है। दूसरे राज्यों से कोई खरीदार अंबाला नहीं आ रहा, सब लुधियाना जा रहे हैं। राखी बनाने का काम मार्च से शुरू हो जाता है। पहले तो लॉकडाउन के कारण काम प्रभावित रहा, फिर बाजार की बंदी के कारण। मार्केट में एक और प्रभाव यह देखा जा रहा है कि लोग चीन में निर्मित राखी ना लेकर भारत में बनी राखी की मांग कर रहे हैं। राखी संबंधी कच्चे माल के लिए कोलकाता में और निर्माण-पैकेजिंग संबंधी काम अंबाला की 50 से 60 यूनिट में होते हैं।
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