भारत और पानी की मारामारी

शहरीकरण - नगर/ऊर्जा
29-07-2020 09:15 AM
भारत और पानी की मारामारी

वर्ष 2005 में 35 भारतीय शहरों में, जिनकी आबादी 1 मिलियन से अधिक थी, में पर्याप्त आधारिक संरचना के बावजूद प्रतिदिन कुछ घंटों से ज्यादा पानी की आपूर्ति नहीं होती थी। अपर्याप्त दबाव के कारण लोगों को पानी के होते हुए भी उसे प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ता था। यह समस्या बहुमंजिला इमारतों में पानी की पहुंच को लेकर प्रमुखता से थी क्योंकि शहरों के नक्शों में इनकी संख्या तेजी से बढ़ रही थी। बहुमंजिला इमारतों में पानी का दबाव किस तरह व्यवस्थित होता है, पानी प्रबंधन प्रणाली किस तरह काम करती है, पानी की अपर्याप्त आपूर्ति के विकल्प क्या है और भारत में पानी की आधिकारिक संरचना में प्रमुख कमियों पर चिंतन जरूरी है क्योंकि यह समस्या महामारी के समय ज्यादा उभर कर सामने आ रही है।

पानी का दवाब क्यों महत्वपूर्ण है?
पानी बहुत दुर्लभ होता है, जिसे अमूमन बहुत हल्के में लिया जाता है। जब हम नल खोलते हैं तो यह उम्मीद होती है कि तुरंत पानी बहना शुरू हो जाएगा, ज्यादातर ऐसा ही होता है। लेकिन जब पानी बूंद बूंद कर टपके, तितर बितर होकर बिखर जाए या एकदम तेज बहाव से निकल कर रुक जाये तो समझना चाहिए कि पानी का दबाव सही नहीं है। अगर यह बहुत ज्यादा होता है तो पानी लीक करने लगता है, बहुत कम होता है तो शरीर को गिला करने के लिए भी जूझना पड़ता है। पानी के सही दबाव से ही पानी का सही प्रवाह बनता है।

क्या होता है पानी का दबाव?
पानी का दबाव वह माप है, जिससे पानी को पाइप के जरिए घरों तक पहुंचाया जाता है। इसका यह मतलब है कि जिस दर से पानी नल से बाहर आता है, उससे पानी के दबाव का हाल पता चलता है।

बहुमंजिला इमारतों में पानी प्रबंधन
नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भारत इस समय अपने इतिहास में पहली बार गंभीर जल संकट से जूझ रहा है। लगभग 600 मिलियन लोग इस संकट से प्रभावित हैं। एक अनुमान के अनुसार, अगर ऐसी ही स्थिति चलती रही तो 2050 तक देश की GDP में 6% की गिरावट आ जाएगी। एक देश में जहां पानी सबसे सस्ती उपलब्ध वस्तु है, चरम जलवायु परिवर्तन, बढ़ती आबादी, वायु प्रदूषण और जीवनशैली संबंधी रुचियां इस प्राकृतिक संपदा को प्रभावित कर रहे हैं। विकास और जनसांख्यिकी विस्तार को इसका जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिसके कारण आवास की बढ़ी हुई मांग सामने आई है। जगह की कमी और जमीन की बेतहाशा बढ़ती कीमत का नतीजा है दिनोंदिन बढ़ती गगनचुंबी इमारतों की संख्या। इसका सीधा असर पानी प्रबंधन पर पड़ता है। मुंबई में 2500 हाई राइज बिल्डिंग(High Rise Buildings) बन चुकी हैं; 1000 मध्य ऊंचाई की इमारतों के अलावा दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में भी भारी तादात में हाईराइज का निर्माण हो रहा है।

बहुमंजिला इमारतों में पानी की सप्लाई के लिए जो प्रणाली प्रयोग होती है, उसमें इस बात का ध्यान रखना होता है कि 1 मंजिल से दूसरी मंजिल के बीच पानी की आपूर्ति में पानी का दबाव ज्यादा बदलना नहीं चाहिए। ऊपरी मंजिलों का दबाव 1.5-2 bars से नीचे नहीं होना चाहिए और सबसे नीचे की मंजिल में पानी का दबाव 4-4.5 bars से ज्यादा नहीं होना चाहिए। ऊंची इमारतों में पानी के दबाव को बनाए रखने के लिए, पानी के टैंक का उपयोग एक पुराना तरीका है। इसके अलावा pressurized प्रणाली भी एक तरीका है, जिसमें कई बूस्टर पंप जरूरी दबाव बनाये रखते हैं और पानी के पूरे बहाव को जांचना आसान हो जाता है। हालांकि 1 दिन के उतार-चढ़ाव को नापना बड़ी चुनौती होती है। हालाँकि अच्छी गुणवत्ता के पंप और डिजिटल सेवाओं के जरिए हम बेहतर परिणाम, ऊर्जा, सक्षमता, कम कठिनाइयां आदि कम दर पर प्राप्त कर सकते हैं।

कोविड-19 के मध्य शहरी भारत की पानी संबंधी चुनौतियां
एक तरफ भारत के शहर पानी के लिए तरस रहे हैं, उधर कोविड-19 से बचाव के लिए बार-बार पानी से हाथ धोना, जीने मरने का प्रश्न बना हुआ है। जगह-जगह चेतावनी लिखी है कि कोरोना वायरस से बचने के लिए कम से कम 20 सेकंड तक साबुन से हाथ जरूर धोएं। इस महामारी ने शहरी आबादी को और असंतुलन से पीड़ित कर दिया है। इसी प्रकार शहरी गरीबों के पास पर्याप्त पीने के पानी की सुविधा नहीं है, हाथ धोने की बात तो दूर की है। मुंबई में पानी की आपूर्ति का आंकड़ा बताता है कि 46% शहरी लोग 95% पानी का उपयोग करते हैं, जबकि मलिन बस्ती में रहने वाले 54% लोग सिर्फ 5% पानी पर गुजारा कर रहे हैं। धारावी मलिन बस्ती में लोग ₹25 में 1 गैलन पानी खरीदते हैं। नीति आयोग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार-’ गंभीर नीति संबंधी कदम उठाए बिना, 2030 तक पानी की मांग बढ़ जाएगी, परिणाम स्वरूप तीस शहर जिनमें चेन्नई, दिल्ली और बेंगलुरु शामिल हैं, 2030 में पानी से वंचित हो जाएंगे। भीषण और अनियोजित शहरीकरण, आर्द्रभूमि और झीलों के विस्थापन ने शहरों की पानी की मांग के वैकल्पिक स्रोतों को भी समाप्त कर दिया है। आगे आने वाले समय में प्रशासन को पानी की बेहतर व्यवस्था सब तक पहुंचाने के लिए संस्थागत सुधार, राज्य स्तरीय प्रशासन को विकेंद्रीकृत जिम्मेदारियां सौंपने, टैरिफ युक्तिकरण मानव संसाधन विकास और सामाजिक सहभागिता को एकजुट कर साथ में लेकर चलना होगा।

चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में पानी के लिए पंक्ति में लगी महिलाओं को दिखाया गया है। (Flickr)
दूसरे चित्र में मुंबई में पानी की किल्लत को प्रदर्शित करता हुआ चित्र दिखाया गया है। (Wallpaperflare)
अंतिम चित्र दिल्ली में पानी की किल्लत को दिखा रहा है। (Publicdomainpictures)

सन्दर्भ:
https://www.dutypoint.com/news/2016/06/32-why-is-water-pressure-important
https://www.nbmcw.com/tech-articles/others-article/40211-water-management-in-high-rise-buildings.html
https://www.reddit.com/r/explainlikeimfive/comments/1ix976/eli5_how_do_they_get_water_up_large_skyscrapers/
https://thediplomat.com/2020/04/unraveling-urban-indias-water-challenges-amid-covid-19/