5000 साल पहले जब अब्राहम ने अल-काबा का निर्माण किया और हज की आवाज उठाई, मक्का का इतिहास गवाह है कि इसके दरवाजे राजा और शासकों की दिलचस्पी का केंद्र रहे हैं। इतिहासकारों के अनुसार जब मक्का पहली बार बना, काबा में ना छत थी, ना दरवाजा सिर्फ दीवारें थी।
तस्वीरों में काबा के 6 दरवाजे किताब अकबर मक्का(जिसमें मक्का के बारे में रिपोर्ट है) में अल-अरज़ाकी ने इब्न ज़रीर अल तबरी (ibn Jarīr al-Ṭabarī) का जिक्र किया है। यह कहते हुए कि ऐसा दावा है कि तूबा ने सबसे पहले अल-काबा को ढका। उन्होंने जुर्म जनजाति के प्रमुखों को आदेश दिया कि इसकी मरम्मत करके इसके लिए एक दरवाजा और उसकी चाभी बनाएं। तूबा द्वारा बनवाया लकड़ी का दरवाजा शुरुआती इस्लामी समय तक स्थापित रहा। यह तब तक नहीं बदला गया, जब तक अब्दुल्ला इब्न अल-ज़ुबैर (Abd Allah ibn al-Zubayr) ने 11 हाथ लंबा दरवाजा नहीं बनवा दिया। दरवाजे में बदलाव इतिहासकारों का कहना है कि साल 64 AD में दरवाजा बदलने के बाद अब्दुल्ला इब्न अल-ज़ुबैर के समय में दरवाजा दोबारा बना और इसकी ऊंचाई 6 हाथ हो गई। 1045 AD में यह फिर बदला। 2000 पाउंड के चांदी के गहने दरवाजे में लगाए गए और दरवाजे को सोने से पेंट किया गया। यह मुराद IV के कार्यकाल में हुआ। चांदी सोना जडा यह पहला दरवाजा था, जो कि 1356 AD तक बरकरार रहा। आजकल यह दरवाजा लॉवरे म्यूजियम(Louvre Museum), अबू धाबी में संरक्षित है। टूबा के बाद यह चौथा दरवाजा था। सऊदी शासन के दरवाजे तीन शताब्दियों बाद, सऊदी अरब के संस्थापक, बादशाह अब्दुल अजीज अल सौद (Abdulaziz Al Saud) ने 1363 AD में नया दरवाजा अपने खर्च से बनवाया। ऐसा बादशाह अब्दुल अजीज पब्लिशिंग हाउस के ऐतिहासिक दस्तावेज में जिक्र है। इस दरवाजे को बनाने में 3 साल लगे। इसका आधार धातु का था और उस पर दो लकड़ी के शटर लगाए गए थे। चांदी और तांबे से इसकी सजावट हुई और सोने की परत चढ़ाई गई। आखिरी दरवाजा वर्तमान में काबा में जो दरवाजा है, वह सोने का है और उसको बनाने का आदेश बादशाह खालिद बिन अब्दुल अजीज (Khalid bin Abdulaziz) ने सुनार अहमद बिन इब्राहिम बद्र (Ahmad bin Ibrahim Badr) को दिया था। 99.99% गुणवत्ता का 280 किलोग्राम सोना दरवाजों में लगा है। सोने की कीमत को छोड़कर, इसकी कुल लागत 13 मिलियन सऊदी रियाद थी। दरवाजे की एक और कहानी 2017 में साउथ कोरिया के सियोल (Seoul) में लगी एक प्रदर्शनी में सऊदी अरब के ऐतिहासिक स्थलों के नमूनों के साथ-साथ इस्लाम के पवित्र काबा के सबसे पुराने दरवाजे की झलक दर्शकों को देखने को मिली। यह दरवाजा 1630 में ऑटोमान (Ottoman) के सुल्तान मुराद IV ने 400 साल पहले बनवाया था। दरवाजे की कहानी मक्का के प्रिंस इदरीस बिन हसन(Idrīs ibn Ḥasan) के समय से ताल्लुक रखती है, जब मक्का में बाढ़ आई थी। भारी बारिश से पवित्र मस्जिद अल-काबा की आधी दीवार तक धंस गई थी, जिससे उत्तरी दीवार ढह गई थी। पूर्वी दीवार जो दरवाजे को थामे थी, वह भी बारिश से कमजोर हो गई। मक्का के प्रिंस ने सुल्तान मुराद IV से बात की। सुल्तान ने मिस्र के गवर्नर को हुकुम दिया कि काबा की फ़ौरन मरम्मत की जाए। पूर्वी दीवार काफी कमजोर हो गई थी इसलिए उसे हटा दिया गया। सुल्तान मुराद IV ने मिश्री इंजीनियरों को बुलवाकर नया दरवाजा तैयार करवाया, जो कि बिल्कुल पुराने दरवाजे की तरह था। 1630 AD में लगा नया दरवाजा 1947 तक चला।© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.