वैश्विक खाद्य प्रणालियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं मछली और अन्य जलीय खाद्य पदार्थ

मेरठ

 17-07-2020 06:29 PM
मछलियाँ व उभयचर

मछली और अन्य जलीय खाद्य पदार्थ हमारे वैश्विक खाद्य प्रणालियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं तथा प्रमुख सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व का एक अत्यधिक पौष्टिक भोजन समूह हैं। वर्तमान समय में कोविड (COVID-19) के कारण परिवहन, व्यापार और श्रम में अत्यधिक व्यवधान उत्पन्न हुआ है, जिसके कारण मछली और जलीय खाद्य पदार्थों के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान हो रहा है। इसके प्रभाव से मछली पकड़ने के कम प्रयासों से गिरता हुआ उत्पादन तथा जलीय पालन प्रणाली के स्टॉक (Stocking) में देरी इन खाद्य पदार्थों की कम आपूर्ति, कम पहुंच और कम खपत का कारण बनेंगी। घटती उपभोक्ता मांग और लेन-देन की लागत में वृद्धि से मछली और जलीय खाद्य पदार्थों की कीमत में भी बढ़ोत्तरी होगी तथा गरीब उपभोक्ताओं के लिए इनकी पहुंच कम हो जायेगी। इन आपूर्ति श्रृंखलाओं में कई लोग जैसे मछली विक्रेता, प्रोसेसर (Processors), आपूर्तिकर्ता या परिवहन कर्मचारी अपनी नौकरी खो देंगे। गंगा बेसिन (Basin) की नदी की मछलियाँ दुनिया की सबसे बड़ी मछली पकड़ने वाली आबादी (100 लाख से अधिक लोग) की सहायता करती हैं। हालांकि, इसके मछली संसाधन बड़े बांध, बैराज और पनबिजली परियोजनाएं, गंभीर रूप से परिवर्तित नदी के प्रवाह, प्रदूषण के खतरनाक स्तर, रिवरफ्रंट (Riverfront) अतिक्रमण, बड़े पैमाने पर रेत खनन और मछली संसाधनों के अनियमित दोहन जैसे अनेक कारणों की वजह से तेजी से घट रहे हैं। जबकि दूसरी ओर मछलियां पृथ्वी के मीठे पानी के कशेरुकियों के बीच सबसे अधिक संकट वाला समूह बन गया है। औसतन, मीठे पानी की मछली की आबादी में पिछले 40 वर्षों में 76% की गिरावट आई है। स्थानीय समुदाय और अध्ययन की बढ़ती संख्या इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि जलविद्युत संशोधन, नदियों में पानी की अनुपस्थिति, प्रवास में बाधा, लवणता में परिवर्तन, तलछट में परिवर्तन, जलोढ़ क्षेत्रों की हानि आदि का मुख्य कारण बांधों का निर्माण है जोकि नदी के मत्स्य पालन के निराशाजनक परिदृश्य के पीछे सबसे महत्वपूर्ण कारण है। सेंट्रल इनलैंड फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (Central Inland Fisheries Research Institute -CIFRI) के अनुसार बांधों द्वारा नदी के संपूर्ण जल-विज्ञान चक्र में गंभीर और कठोर परिवर्तन से अधिकांश प्रजातियों की उपलब्धता प्रभावित हुई है। विशेष रूप से बड़े कार्प (Carp), जो बहते पानी को पसंद करते हैं। बड़े बांध जलीय पर्यावरण के क्षरण और नदियों के किनारे मत्स्य पालन पर निर्भर आजीविका समुदायों के विघटन का प्रमुख कारण हैं।

2005 और 2007 के बीच श्रीकाकुलम से हमसाला तक 80 किलोमीटर तक किया गया अध्ययन यह इंगित करता है कि आंध्र प्रदेश में नदी के ऊपर और प्रकाशम बैराज में बांधों के निर्माण ने सिंचाई, औद्योगिक और शहरी उपयोगों के लिए नदी से सारे पानी को अलग कर दिया गया है। मुहाने का ऊपरी हिस्सा ग्रीष्मकाल में सूख जाता है और मीठे पानी की अनुपस्थिति के कारण यह अब उच्च खारी स्थिति में पहुंच गया है। इससे मीठे पानी की कई प्रजातियां जैसे कार्प, कैटफ़िश (Catfish), मुरल (Murrels) आदि गायब हो गए हैं। भारत में प्रायद्वीपीय और हिमालयी नदियों की कई प्रजातियाँ वंश वृद्धि के लिए कम या लंबी दूरी का प्रवास करती हैं। इस समय मार्ग में आने वाली कोई भी बाधा मछलियों की उपलब्धता को प्रभावित करती है। मछली के प्रवास के प्रावधान के बिना बांधों का मत्स्य पालन पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। यह एक स्थापित वैश्विक घटना है और कई देश इस समस्या को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका ने पिछले एक दशक में 1000 से अधिक बांधों का विघटन किया है। वर्ल्ड कमीशन ऑन डैम (World commission on Dam) की रिपोर्ट (Report) 2000 के अनुसार, दुनिया भर में बांधों के परिणामस्वरूप मछलियों के उत्पादन में कमी के कारण बहुत नुकसान हुआ है। उत्तर पूर्व और हिमालय में बांधों और बैराज और आगामी बांधों के कारण महसीर मछली लगभग सभी भारतीय नदियों से गायब हो गयी हैं। भागीरथी पर टिहरी बांध ने पहले ही महसीर के प्रवास को काफी हद तक प्रभावित किया है। 10 वीं पंचवर्षीय योजना के अनुसार, ‘गंगा नदी में प्रमुख कार्पों की औसत उपज पिछले चार दशकों के दौरान 26.62 से घटकर 2.55 किलोग्राम/हेक्टेयर हुई। मछली प्रजातियां अपने जीवन चक्र को पूरा करने के लिए पलायन करती हैं, लेकिन जल-संसाधन विकास नदी के जुडाव और पलायन को बाधित करते हैं, जिससे जैविक विविधता और मत्स्य पालन को खतरा होता है।

भंडारण और सिंचाई, सड़क और रेल परिवहन और जल विद्युत योजनाओं के लिए लाखों बाँध और छोटे अवरोध दुनिया भर में नदियों में मछलियों के प्रवास को रोकते हैं। ये अवरोध मछली के पलायन में बाधा डालते हैं, पारिस्थितिक अखंडता को ख़राब करते हैं तथा खाद्य सुरक्षा को कम करते हैं। मछली पर बांधों के प्रभाव को कम करने के लिए नदी-बेसिन पैमाने पर समस्याओं को हल करने की आवश्यकता है। इसके लिए बाधाओं, पर्यावरणीय प्रवाह और पानी की गुणवत्ता के प्रबंधन में सुधार, बाधाओं को दूर करना, और बेहतर फिशवे डिज़ाइन (Fishway design) विकसित करना आवश्यक है। राष्ट्रीय स्तर पर सुधार में तेजी लाने का एक तरीका नियमित अंतराल पर जलमार्ग अवरोधों को नियमित करने के लिए कानून पारित करना होगा। इसके अंतर्गत पुराने अवरोधों का पुनर्मूल्यांकन किया जाता है और आवश्यक होने पर या तो उन्हें उन्नत किया जाता है या हटा दिया जाता है। इसके लिए फिशवे अवधारणा को भी विकसित किया जा रहा है। यह मौजूदा मछली पकड़ने की तकनीक के साथ सुरक्षित मछली हस्तांतरण के लिए जलीय पालन मछली-पंपिंग (Pumping) विधियों को जोड़ती है। बेहतर मछली पकड़ने के विकास का मतलब होगा कि मछली के प्रवास को बहाल करते हुए आवश्यक पानी को संग्रहित किया जा सकता है और इसकी आपूर्ति की जा सकती है। यह मछली की आबादी के पुनर्वास में मदद करेगा।

संदर्भः
https://theconversation.com/we-can-have-fish-and-dams-heres-how-61424
https://sandrp.in/2014/08/30/dams-fish-and-fishing-communities-of-the-ganga-glimpses-of-the-gangetic-fisheries-primer/
https://www.indiawaterportal.org/articles/damaged-rivers-collapsing-fisheries-impacts-dams-riverine-fisheries-india-article-sandrp
http://blog.worldfishcenter.org/2020/04/addressing-covid-19-impacts-on-fish-and-aquatic-food-systems/


चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में जलीय खाद्य पदार्थों का चित्रण किया गया है।
दूसरे चित्र में जलीय खाद्य पदार्थ दिखाई दे रहे हैं।
अंतिम चित्र में जलीय खाद्य श्रृंखला के विभिन्न तत्व दिखाई दे रहे हैं।

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id