मेरठ अपने कई दर्शनीय स्थलों के लिए जाना जाता है, जिनमें से मुस्तफा महल भी एक है। मुस्तफा महल, मेरठ कैंट (Cantt) के केंद्र में बसा हुआ है तथा मेरठ शहर के सबसे महान और ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। यह उन जगहों में से एक है, जहां मन आसानी से इतिहास के पीले पन्नों की ओर खींचा चला जाता है, और पुरानी यादों में खो जाता है। लगभग हर कोई उन आकर्षक चेहरों को देख सकता है, जो ढके हुए झरोखों के पीछे से झांकते हैं। गहनों से सजी सुंदरताओं की झंकार महल के गलियारों को जीवित कर देती है। घरारों (Ghararas) और दुपट्टों के रूप में रेशम की सरसराहट अनुग्रह के साथ बहती हैं तथा फव्वारे महल की शोभा को और अधिक बढा देते हैं।
इस महल का निर्माण 1900 में नवाब मोहम्मद इशाक खान ने अपने पिता नवाब मुस्तफा खान शेफ्ता की याद में करवाया था, जो उस समय के एक प्रसिद्ध उर्दू कवि थे। अंदरूनी हिस्सों की भव्यता, सजे हुए द्वार, कला और कलाकृतियाँ इस महल के कुछ मुख्य आकर्षण हैं। इस महल ने राष्ट्रवादियों और सम्मेलनों की बैठकों के लिए एक केंद्र के रूप में भी काम किया था जो स्वतंत्रता-पूर्व के युग के दौरान आयोजित किए गए थे। महल को महान वास्तुकला और डिजाइन (Design) का प्रतीक माना जाता है। नवाब मुस्तफा खान शेफ्ता एक देशभक्त, कवि और आलोचक थे, जो मिर्ज़ा ग़ालिब के करीबी दोस्त थे। उनके दादा, इस्माइल बेग, मुगल सेना के कमांडर-इन-चीफ (Commander-in-Chief) थे। उन्होंने आत्मसमर्पण करने के बाद भी अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और बाद में नेपाल चले गए। स्वाभाविक रूप से, अंग्रेजों की नजर नवाब मुस्तफा खान पर थी। उन्होंने अपनी मातृभूमि के समर्थन में बड़े पैमाने पर लिखा, जिस कारण से उन्हें सात साल की कैद हुई। जिस जेल में उन्हें कैद किया था वह आज तक वैसी ही है जैसे पहले थी। नवाब इशाक खान नवाब मुस्तफा खान शेफ्ता के बेटे थे, जो खुद एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ और राष्ट्रीय कार्यकर्ता थे। अपने पिता के सम्मान में, उन्होंने इस महल को खुद डिजाइन करने का विचार बनाया, जिसे वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण माना जाता है। इसमें यूरोपीय, राजस्थानी और लखनऊ वास्तुकला के प्रभाव हैं। दुनिया भर की कला और कलाकृतियां, पेंटिंग (Paintings), लकड़ी की नक्काशी, इंग्लैंड का फर्नीचर (Furniture) इसकी कुछ खासियत हैं। इस महल के आंतरिक कक्षों को रंगों के नाम पर रखा गया है और कमरों का उपयोग वर्ष के मौसम के अनुसार किया जाता है। मुस्तफा महल कुल 30 एकड़ क्षेत्र में खड़ा है। यहां तक कि वर्तमान में भी यह महल दुनिया भर की शैलियों के एक उदार मिश्रण के साथ वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण बना हुआ है। महल के भीतर कई कक्षों का नाम 'बसंती', 'गुलाबी' और इसी तरह के रंगों के नाम पर रखा गया है। उनका उपयोग प्रासंगिक रंग योजनाओं के साथ गर्मियों या सर्दियों के महीनों में विशिष्ट रूप से किया जाता है। विभिन्न सजावटी वस्तुओं को महल में रखा गया है, जिनमें पेंडुलम (Pendulum) की घड़ियाँ, अलंकृत रूप से तैयार किए गए लैंप (Lamps), प्राचीन झूमर, नक्काशीदार लकड़ी की अलमारियाँ, ड्रेसिंग टेबल (Dressing Tables), दराज, प्राचीन लैंपशेड (Lampshades), मोमबत्ती-स्टैंड (Candle-stands), दर्पण और ऐतिहासिक चित्र शामिल हैं। नवाब इशाक खान ने मुस्तफा महल के निर्माण और उसकी सजावट के प्रयासों में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। महल राजस्थान और अवध की इमारतों के साथ प्रमुख विशेषताएं साझा करता है और कहा जाता है कि निर्माण प्रक्रिया में मक्का से लायी गयी मिट्टी का उपयोग किया गया था। महल में कई प्राचीन वस्तुएँ भी हैं, जिनमें से प्रत्येक नवाबों की शानदार जीवन शैली की याद दिलाती है।© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.