नई दिल्ली-देहरादून राष्ट्रीय राजमार्ग-58 से 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मेरठ शहर का कुल क्षेत्रफल 2,590 स्क्वायर किलोमीटर है। यहां की मुख्य नदी गंगा है। यहां प्रति वर्ष औसतन 800 से 1000 मिलीमीटर बारिश होती है। गर्मियों का तापमान न्यूनतम 19 से 21 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 40- 43 डिग्री सेल्सियस और जाड़े में न्यूनतम 03-05 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 20-23 डिग्री सेल्सियस रहता है। मेरठ में 667 गांव और तीन तहसील हैं। मेरठ की आबादी 34,47,405 है। यहां की मुख्य उपज गन्ना, गेहूं, चावल, अरहर और सरसों हैं। मेरठ की मिट्टी में नाइट्रोजन और फास्फोरस की मात्रा कम होती है, जबकि पोटाश की मात्रा सामान्य है।
मेरठ की ज्यादातर भूमि में चिकनी बलुई मिट्टी और उसके विभिन्न रूप पाए जाते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा इसे AES-1 वर्ग में वर्गीकृत किया गया है। चिकनी बलुई मिट्टी कई प्रकार की मिट्टियों से मिलकर बनी होती है और पौधों की बढ़वार के लिए यह आदर्श माध्यम है। वास्तव में यह एक मिश्रित मृदा है, जिसमें बराबर मात्रा में चिकनी मिट्टी, गाद और रेत मिले होते हैं। चिकनी मिट्टी घनी होती है, यह अच्छी मात्रा में पानी और पोषक तत्वों को अपने में रोक कर रखती है। यह फूल वाले पौधों की बढ़वार के लिए बहुत उपयुक्त होती है क्योंकि उन्हें पानी की ज्यादा जरूरत होती है। गाद, चिकनी मिट्टी और रेत के लगभग बीच में होती है और दोनों को मिलाने में सहायक होती है। गाद बहुत महीन होती है और पानी के रुकने से यह बहुत ठोस हो जाती है। इससे कभी-कभी पानी की निकासी में दिक्कत होती है। रंगीन फूल और लताएं इसमें बहुत अच्छे से बढ़ते हैं। रेतीली मिट्टी भुरभुरी होती है, जिससे मिट्टी को हवा मिलती है और पानी की निकासी हो जाती है। सूखा पसंद पौधों के लिए यह मिट्टी बहुत उपयुक्त होती है, जैसे- नागफनी, ट्यूलिप झाड़ियां आदि। नए मालियों को यह शिक्षा दी जाती है कि भुरभुरी और चिकनी बलुई मिट्टी बगीचों के लिए बहुत उपयुक्त होती है। यह पानी रोकती भी है और आसानी से बाहर निकालती भी है। स्वस्थ-उपजाऊ बगीचे के लिए इसकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। चिकनी मिट्टी का इस्तेमाल भवन निर्माण में भी होता है। दीवारों के भीतरी हिस्से में इसकी परत लगाने से सीलन को नियंत्रित किया जा सकता है। चूने के साथ इसका मिश्रण बनाकर इसे दीवारों की मजबूती के लिए कठोर निर्माण सामग्री के रूप में प्रयोग किया जाता है। भवन निर्माण की दुनिया की सबसे पुरानी तकनीकों में से यह एक प्रणाली है।चित्र संदर्भ:
1. मुख्य चित्र में चिकनी बलुई मिट्टी को दिखाया गया है। (Wikiwand)
2. दूसरे चित्र में बुआई के लिए मिटटी में क्यारियाँ काटते हुए एक किसान को दिखाया गया है। (Publicdomainpictures)
3. तीसरे चित्र में मेरठ की मिटटी में लहलहाती फसल को दिखाया गया है। (Youtube)
4. अंतिम चित्र में खेती के दौरान हरे भरे खेत दिखाए गए हैं, जो चिकनी बलुई मिटटी के महत्व को दिखते हैं। (Unsplash)
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