‘दुनिया में इंसान एकमात्र ऐसा प्राणी है जो पेड़ काटता है, उसका कागज बनाता है और उस पर लिखता है-’ पेड़ बचाओ’।’
उपोष्णकटिबंधीय देवदार के जंगल
हिमालय के उपोष्णकटिबंधीय देवदार के वन भूटान, भारत, नेपाल और पाकिस्तान में पाए जाते हैं। लगभग 76,200 किलोमीटर (29,400 मील) क्षेत्रफल में फैले यह वन भारत में उत्तरी क्षेत्रों जैसे जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में हैं। हिमालयन इकोसिस्टम (Himalayan Ecosystem) की तरह देवदार के जंगल नेपाल में काली गंडकी खोंच (Kali Gandaki Gorge) द्वारा बंट जाते हैं। इसके पश्चिम में सूखे वन मिलते हैं,पूर्व में यह नाम और मोटे होते हैं जहां बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसून की बारिश काफी नमी लाती है। हिमाचल की गांजा पहाड़ियों में दुर्लभ प्रजाति के तेंदुआ और बाघ होते हैं । देवदार के पेड़ अपनी धब्बे दार और डिजाइन दार छाल से पहचाने जाते हैं। देवदार के जंगल मुख्य तौर पर पश्चिमी नेपाल के दक्षिण मुखी ढलान पर होते हैं। कुछ बड़े जंगल कांगड़ा और ऊना जिलो ( हिमाचल प्रदेश) और भूटान की निचली पहाड़ियों पर भी उपलब्ध हैं। यह वन क्षेत्र छोटे टुकड़ों में पूर्वी हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिमी नेपाल, निचली शिवालिक और महाभारत पर्वत मालाओं में स्थित है। हालांकि यहां ज्यादा वन पशु नहीं पाए जाते हैं, इस क्षेत्र में चिड़िया बहुत मिलती हैं । निचले क्षेत्रों में तेंदुए बाघ कम संख्या में मिलते हैं। देवदार वनों में पाए जाने वाले पशु हैं लंगूर और हिमालय क्षेत्र के पशु। चिड़ियों में शामिल है- भूरी छाती वाले तीतर और चीर ( एक मयूर वंशी पक्षी जोकि कश्मीर, भारत तथा नेपाल में पाया जाता है।
इन वनों में अधिकतर बारिश दक्षिण-पश्चिम मॉनसून से होती है, जिसका केंद्र बंगाल की खाड़ी है। मानसून की यह बारिश पूर्वी हिमालय क्षेत्र में खर्च हो जाती है क्योंकि यह बंगाल की खाड़ी के नजदीक है। इस कारण पश्चिम क्षेत्र में कम बारिश होती है। जलवायु प्रवणता हिमालय की वनस्पति को प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए पश्चिमी हिमालय में पेड़ों की पंक्ति पूर्वी हिमालय के मुकाबले 500 मीटर नीचे होती है।
क्षेत्र की मुख्य प्रजाति चीड़ और देवदार के पेड़ हैं। आग लगने के हादसे जल्दी-जल्दी होने के कारण, देवदार के वनों का विकास नियमित रूप से नहीं हो पाता। फिर भी, जले हुए ढलानों पर घाट की गुनी उपज होती है। इनमें प्रमुख हैं- अरुणदिनेला सेंटोसा, इम्पेराटा सिलिन्ड्रिका, थेमेडा अनादरा इत्यादि। कई प्रकार की झाड़ियां जैसे बर्बेरिस, रूबुस और दूसरी कांटेदार झाड़िया भी यहाँ होती हैं।
मेरठ का वन क्षेत्र 2.55 प्रतिशत है, जबकि उत्तर प्रदेश का 6 प्रतिशत है जो भारत के निम्न स्तर वन क्षेत्रों की सूची में चौथे पायदान पर है। जबकि राजस्थान का 5 प्रतिशत है और वह एक रेगिस्तानी राज्य है।
चित्र सन्दर्भ:
1.चिर पाइन के नर पाइन शंकु(wikimedia)
2.उत्तर प्रदेष से चीर पाइन(wikimedia)
3.उपोष्णकटिबंधीय भारत से देवदार के जंगल(wikimedia)
सन्दर्भ:
https://www.worldwildlife.org/ecoregions/im0301
https://en.wikipedia.org/wiki/Himalayan_subtropical_pine_forests
https://bit.ly/31X5JLl
https://www.downtoearth.org.in/indepth/forests-of-fire-19957
http://www.wealthywaste.com/forest-cover-in-uttar-pradesh-an-overview
https://www.zmescience.com/other/did-you-know/different-types-forests/
https://fsi.nic.in/isfr2017/uttar-pradesh-isfr-2017.pdf