उल्कापिंड (अंतरिक्ष शिला के हजारों छोटे टुकड़े) संबंधी टकराव गड्ढे हमारे ग्रह पर सबसे दिलचस्प भूवैज्ञानिक संरचनाओं की उत्पत्ति करते हैं। हालांकि इनमें से अधिकांश गड्ढे प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा मिटा दिए जाते हैं, लेकिन इनमें से कई ‘बहिक्षत संरचना’ (ग्रीक में शाब्दिक अर्थ तारों का घाव) अभी भी एक परिपत्र भूवैज्ञानिक निशान के रूप में देखे जाते हैं। वहीं टकराव की घटना में बड़े प्रभाव काफी दुर्लभ रूप से होते हैं, लेकिन अंतरिक्ष से उल्कापिंड के हज़ारों छोटे टुकड़े, प्रत्येक वर्ष पृथ्वी की ज़मीन से टकराते हैं। वैज्ञानिकों द्वारा भारत में पृथ्वी की छाल में तीन गहरे निशान खोजे गए थे। उन निशानों के बारे में ऐसा कहा जाता है कि ये उल्कापिंड के अवशेषों को चिह्नित करते हैं। जिसका साक्ष्य हमें भारत में मौजूद “लोनार झील” से मिलता है, जो विश्व में सबसे बड़ा बेसाल्टिक (Basaltic) टकराव गड्ढा होने के लिए प्रसिद्ध है, अन्य दो, रामगढ़ और ढाला अपेक्षाकृत अज्ञात हैं।
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.