कैसे हुआ मेरठ की पसंदीदा, नान खटाई का जन्म

मेरठ

 27-06-2020 10:00 AM
स्वाद- खाद्य का इतिहास

हम आये दिन कई व्यंजन खाते रहते हैं जिसमे से कुछ ऐसे व्यंजन होते हैं जिसे हम नाश्ते आदि में ग्रहण करते हैं। इन्ही व्यंजनों में से एक है नानखटाई। नानखटाई एक अत्यंत ही लोकप्रिय व्यंजन है जिसका इतिहास अत्यंत ही दिलचस्प है। अंग्रेजों (British) ने इस व्यंजन को ननकटाई के रूप में उच्चारित किया तो वहीँ होब्सन जॉब्स: अ ग्लोरी ऑफ़ एंग्लो इंडियन वर्ड्स एंड फ्रसेस (Hobson Jobson: A Glossary of Anglo-Indian Words and Phrases) की माने तो वे इसे पश्चिमी भारत के मुस्लिमो द्वारा बनाया गया केक (Cake) कहते हैं जो कि मुंबई और सूरत से आयात किया जाता था। यदि इस शब्द के विषय में चर्चा की जाए तो नान शब्द फ़ारसी (Persian) भाषा से आया है जिसका अर्थ है रोटी तथा खटाई शब्द अफगानी (Afghan) मूल का है जिसका अर्थ है बिस्कुट (Biscuit), अतः इसे रोटी बिस्कुट के नाम से जाना जा सकता है।

अफगानिस्तान (Afghanistan) और पूर्वोत्तर इरान (Iran) में इन बिस्कुटों को कुलचा-ऐ-खताए के नाम से जाना जाता है। अब जब हम इस शब्द के विषय में पड़ताल करते हैं तो पता चलता है कि कुलचा एक प्रकार की भारतीय रोटी है जो नान के समान ही है। जब हम इतिहास की बात करते हैं तो यह माना जाता है कि नान खटाई की उत्पत्ति 16वीं शताब्दी में सूरत से हुयी थी। 16वीं शताब्दी में सूरत में डच (Dutch) भारत में मसाला व्यापार करते थे, इन्ही डचों में से एक डच जोड़े ने सूरत में एक बेकरी की स्थापना की और जब उन डचों ने भारत छोड़ा तब उन्होंने वह बेकरी एक इरानी (Iranian) को दे दी। यहाँ पर इरानी द्वारा बनाया गया बिस्कुट कम ही लोगो को पसंद आया और अंत में उसने यहाँ से सूखी रोटी बेचना शुरू किया जो लोगों को बहुत पसंद आयी और रोटी के साथ उस इरानी ने कई प्रयोग किये और अंत में नानखटाई का आविष्कार किया। जिस व्यक्ति को उन डच दम्पतियों ने अपनी बेकरी सौंपी थी उसका नाम दोतीवाला था।

शुरूआती दौर में यहाँ पर बनी हुयी बिस्कुटों में अंडा और मादक पदार्थ हुआ करता था जिसे ईरानी बेकरी वाले ने बदल दिया और नानखटाई का जन्म हुआ। यह दोतीवाला ही था जिसने नानखटाई की लोकप्रियता को देखकर इसके आकार को भी बदला जो शुरूआती समय में रोटी के आकार का आता था। नान खटाई को ईरानी बिस्कुट के नाम से भी जाना जाता है। इस व्यंजन को अपनी असली उंचाई तब प्राप्त हुयी जब यह बम्बई के बाजारों में पहुंची जहाँ पर गुजराती आबादी बड़ी संख्या में निवास करती थी। बम्बई में यह एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण नाश्ते के रूप में प्रसिद्द हुआ और कालांतर में इसमें मक्खन और घी की मात्रा में भी बढ़ोतरी की गयी।

नान खटाई बनाने में सबसे मुख्य सामान निम्नवत हैं:-
मैदा, आटा, मक्खन या घी, पीसी हुयी चीनी, नमक और बेकिंग सोडा तथा इसमें बादाम भी मिलाया जा सकता है। आज वर्तमान समय में यह व्यंजन पूरे विश्व भर में जाना जाता है, हमारे मेरठ में इसे बड़े चाव के साथ खाया जाता है। गर्मियों के मौसम में मेरठ में नान खटाई की दुकाने सज जाती हैं तथा मिठाई की दुकाने नान खटाई की महक से सुगन्धित हो जाती हैं।

चित्र सन्दर्भ :
1. मुख्य चित्र में मनभावक और स्वादिष्ट नान खटाई का चित्र दिखाया गया है। (Picseql)
2. दूसरे चित्र में नान खटाई के लिए तैयार की जाने वाले पेड़ेनुमा लोई दिखाई दे रही है। (Youtube)
3. तीसरे चित्र में नान खटाई का बाजार में बिकने वाला एक डब्बा दिखाया गया है। (Publicdomainpictures)
4. चौथे चित्र में सुगन्धित महक वाली नान खटाई सबका दिल जीतने के लिए तैयार हैं। (Flickr)

सन्दर्भ :
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Nankhatai
2. https://meerut.prarang.in/posts/3040/Nankhatai-is-a-famous-summer-dish-in-Meerut
3. http://www.wickedspoonconfessions.com/2017/11/know-more-about-nankhatai-indian-biscuit.html
4. https://scroll.in/article/755938/nankhatai-how-the-subcontinent-added-its-own-flavour-to-the-teatime-snack

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