इस पृथ्वी के शुरूआती समय से ही यहाँ पर अनेकों वृक्षों आदि का जन्म होना शुरू हो चुका था। आज वर्तमान समय में यहाँ पर हजारों प्रकार के पेड़ पौधे पाए जाते हैं। इन्ही पौधों में से एक है गुलमोहर का पेड़। गुलमोहर एक अत्यंत ही खूबसूरत वृक्ष है जो आज दुनिया भर में पाया जाता है। यह पेड़ ख़ास तौर पर अपने पुष्पों के लिए जाना जाता है। इस पेड़ को लोग सजावटी पेड़ के तौर पर अपने घरों और बागानों में लगाते हैं। गुलमोहर का वैज्ञानिक नाम डेलोनिक्स रेजिया (Delonix regia) है तथा यह मूल रूप से मेडागास्कर (Madagascar) का पेड़ है। यह पेड़ सेम परिवार से सम्बंधित है तथा यह पुष्प पौधों की प्रजाति से सम्बंधित है। यह दुनियाभर में उष्णकटिबंधीय स्थलों पर एक सजावटी पौधे के रूप में उगाया जाता है। इस पेड़ में लाल और नारंगी रंग के पुष्प लगते हैं तथा जब यह पेड़ पूर्ण रूप से फूलों से लद जाता है तब यह पूर्ण रूप से लाल और नारंगी रंग में रंग जाता है, यह भी एक कारण है कि इसे जंगल की लौ के रूप में भी जानते हैं।
गुलमोहर के पुष्प आकार में बड़े होते हैं तथा इसमें फैलने वाली 5 पंखुडियां निकलती हैं जिसमें से 4 करीब 8 सेंटीमीटर (centimetre) तक की होती हैं तथा पांचवीं पंखुड़ी सीधी होती है। इसकी पांचवी पंखुड़ी पर पीले और सफ़ेद रंग के धब्बे होते हैं। इस पेड़ पर फली लगती है इसकी फली हरे रंग के होते हैं जो मजबूत लकड़ी की तरह प्रतीत होती है तथा ये करीब 60 सेंटी मीटर तक लम्बे तथा 5 सेंटी मीटर तक चौड़े हो सकते हैं। इस पेड़ के बीज इसकी फलियों में ही पाए जाते हैं जो मटर की तरह फली के मध्य में स्थित होते हैं, इसके बीज करीब 0.4 ग्राम तक वजनी होते हैं। इसके पत्ते पंखदार होते हैं जिसका आकार 30-50 सेंटी मीटर तक होता है। इस पेड़ के पत्ते में 20-40 जोड़े के छोटे पत्रक होते हैं जो इसे काफी हद तक इमली के पत्ते की तरह दिखाते हैं। जैसा की बताया गया है कि यह पेड़ मूल रूप से मेडागास्कर का है लेकिन यह दुनिया भर के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में फैला हुआ है। इस पेड़ के साथ एक चिंताजनक कथन यह भी है कि यह पेड़ जंगल में लुप्तप्राय है लेकिन इसे जंगल के बाहर बड़े स्तर पर पाया जाता है।
गुलमोहर का विश्व भर की संस्कृति में एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण स्थान है इसका मुख्य कारण यह है कि यह पेड़ औषधीय गुणों से भरा हुआ है। मधुमेह की बिमारी में, खाज खुजली में, तथा डायरिया आदि जैसी बीमारियों से लड़ने में इस पेड़ के पुष्प और पेड़ का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है। ये एक महत्वपूर्ण कारण है कि इस पेड़ का दुनिया भर में सांस्कृतिक महत्व है। यह पेड़ 18वीं शताब्दी में मेडागास्कर के बाहर निकला और पहली बार सिंगापुर (Singapore) में 1840 में पहुंचा। यही दौर था जब यह पेड़ दुनियाभर में पहुंचना शुरू हुआ। यह चर्चा का एक महत्वपूर्ण विषय है कि कोई भी पेड़ कैसे नए वातावरण में पेश किया जाता है? जब भी कोई नया पेड़ किसी नए और सम वातावरण में लाया जाता है तो उस पेड़ को बिना किसी परिवर्तन के रोप दिया जाता है। वहीँ यदि वातावरण में भिन्नता होती है तो उस पेड़ को लगाने के लिए कुछ परिवर्तन किया जाता है। पेड़ों को लगाने के लिए दो पहलुओं को देखा जाता है जैसे की वर्चस्व और संचय।
वर्चस्व किसी जंगली पेड़ को खेती के लिए प्रयोग में लायी जाने वाली प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया को त्वरण के नाम से जानते हैं जो कि तीन प्रमुख कारकों पर निर्भर होती है। प्रजनन प्रक्रिया, आनुवंशिकी भिन्नता और फसल या पेड़ की अवधि। संचय की प्रक्रिया में दो प्रमुख कारक होते हैं स्थान प्रभाव और नए जीनोटाइप्स (genotypes) का चयन। इसके दो मुख्य प्रकार होते हैं एक खेती हेतु जो लकड़ी आदि से सम्बंधित है और दूसरी सजावटी पेड़। किसी भी वृक्ष को एक नए परिवेश में लाने पर उनका ठीक तरह से अभिलेखीकरण जरूरी होता है।
चित्र सन्दर्भ:
1. मुख्य चित्र - मुख्य चित्र में फूलों से लदा सम्पूर्ण सौंदर्यावस्था में गुलमोहर का वृक्ष दृस्यन्वित है। (Wallpaperflare)
2. दूसरा चित्र - दूसरे चित्र में गुलमोहर के फूल की पत्तियाँ दिखाई गयी हैं। (Youtube)
3. तीसरा चित्र - तीसरे चित्र में जंगल के मध्य खड़ा गुलमोहर का वृक्ष दिखाया गया है। (Unsplash)
4. अंतिम चित्र - अंतिम चित्र में गुलमोहर के फूलों का जत्था दिखाई दे रहा है। (Pxhere)
सन्दर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Delonix_regia
2. https://bit.ly/2VcAds1
3. https://bit.ly/2Z1VBkP
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