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रिंग ऑफ़ फायर सूर्य ग्रहण के दौरान होने वाला एक महत्वपूर्ण प्रभाव है जिसे ऐंन्यूलर नाम से भी जाना जाता है। ऐंन्यूलर (Annuler) नाम अंगूठी के लिए प्रयोग किये जाने वाले लेटिन शब्द ऐंन्यूलस (Annulus) से आता है। इन ग्रहणों का नाम उनके सबसे गहरे या अधिकतम प्रभाव बिंदु को देखकर रखा गया है, भले ही वो केवल एक सेकंड से कम समय तक रहता है। यदि अग्नि की विशिष्ट वलय केवल एक स्थान से भी दिखाई देती है, तो पूरे ग्रहण को एक ऐंन्यूलर सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
इस बार कई स्थानों पर जून संक्रांति के साथ ही साथ दुर्लभ सूर्य ग्रहण भी दिखाई देगा। इस नज़ारे को दुर्लभ इसलिए बोला जा रहा है क्यूंकि यह नज़ारा इस सदी में केवल दो बार 21 जून 2020 और 2039 को ही दिखाई देगा। सूर्य ग्रहण का सबसे बड़ा चरण लोकप्रिय रूप से "रिंग ऑफ फायर" के रूप में जाना जाता है, जो तकरीबन दोपहर 12.10 बजे होगा। ग्रहण के दौरान अग्नि का वलय तब होता है जब चंद्रमा ग्रहण के अधिकतम चरण के दौरान सूर्य को दृश्य से छिपाता है।जैसे ही ग्रहण अपने केंद्रीय मार्ग अफ्रीका से अपनी यात्रा प्रारम्भ करेगा - भारत में राजस्थान के सूरतगढ़ और अनूपगढ़, हरियाणा के रतिया, सिरसा, और कुरुक्षेत्र के साथ ही साथ उत्तराखंड में देहरादून, चमोली, चंबा, और जोशीमठ जैसे क्षेत्र भी ग्रहण के दौरान रिंग ऑफ़ फायर के साक्षी बन सकेंगे।
आइए निम्न चलचित्र के माध्यम से इस अदुभुत घटना पर एक नज़र डालें।
सन्दर्भ:
1. https://www.youtube.com/watch?v=d7_RA9tkU04