मलेशिया एयरलाइंस की उड़ान MH370 को लापता घोषित किए जाने के लंबे समय बाद, विश्व का ध्यान पूर्वी हिंद महासागर (जिसे खोए हुए विमान का संभावित क्षेत्र माना गया था) के सुदूर, अपर्याप्त रूप से ज्ञात क्षेत्र पर केंद्रित हुआ था। इस त्रासदी ने हमारे समक्ष एक तथ्य उजागर किया है कि हम समुद्र तल के बारे में कितना कम जानते हैं। फिर भले ही ये क्षेत्र हो या हमारे विश्व में मौजूद अधिकांश महासागर, अक्सर अपर्याप्त अन्वेषण के रूप में वर्णित हैं। अब सवाल यह उठता है कि हम इनके बारे में इतना कम क्यों जानते हैं।
हाल के वर्षों में उपग्रह (Satellite) चित्र समुद्र के बहुत स्पष्ट मानचित्रण दिखाते हैं और समुद्र तल के अध्ययन और अन्वेषण में बड़े पैमाने पर उपयोग किए जाते हैं। अधिकांश समुद्र तल की आधार-सामग्री उपग्रहों द्वारा एकत्र की जाती है। ये आधार सामग्री हमें पानी की ऊपरी सतह के आकार से समुद्र तल की गहराई का अनुमान लगाकर वैश्विक मानचित्र बनाने में सक्षम बनाती है। परंतु इसमें समस्या यह है कि ये आधार सामग्री लगभग 20 किलोमीटर व्यास से छोटे मुखाकृति को विभाजित नहीं करती हैं। इसका मतलब यह है कि 1.5 किमी की ऊँचाई से समुद्र के पानी के नीचे के पहाड़ों की छोटी मुखाकृति को कभी-कभी उपग्रह माप नहीं पाते हैं। इसके विपरीत, जहाजों द्वारा एकत्र किए गए समुद्र की विस्तृत गहराई माप में बहुत अधिक विश्लेषण होता है।
अधिकांश महासागरों में एक आम संरचना होती है, जो मुख्यतः विवर्तनिक गति से और विभिन्न स्रोतों से तलछट में आम भौतिक घटनाओं द्वारा निर्मित होती है। मध्य महासागर की चोटी, जैसा कि इसके नाम से पता चलता है महाद्वीपों के बीच, सभी महासागरों के बीच के माध्यम से एक पहाड़ी वृद्धि है। वहीं हॉटस्पॉट (Hotspot) ज्वालामुखी द्वीप की चोटियाँ समय-समय पर ज्वालामुखी गतिविधि द्वारा बनाई जाती हैं, क्योंकि विवर्तनिकी प्लेट (Plate) एक हॉटस्पॉट से होकर गुजरता है। साथ ही गहरे समुद्र के पानी को परतों या क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक में उनकी गहराई के अनुसार लवणता, दबाव, तापमान और समुद्री जीवन की विशिष्ट विशेषताएं हैं। समुद्र तल के नीचे गहराई एक ऊर्ध्वाधर समन्वय है जिसका उपयोग भूविज्ञान, जीवाश्म विज्ञान, समुद्र विज्ञान और शिला-विज्ञान में किया जाता है।
समुद्र में तलछट उनके मूल में विविधता से भिन्न होते हैं, नदियों या हवा के प्रवाह से समुद्र में लाई गई मिटटी की सामग्री, समुद्र के जानवरों के अपशिष्ट और अपघटन और समुद्र के पानी के भीतर रसायनों की वर्षा आदि मौजूद होते हैं। समुद्री तल में चार मूल प्रकार के तलछट होते हैं: स्थलज, जैव-जनित, जलजनित और ब्रह्माण्ड जनित। तलछट का वर्णन इनके वर्णनात्मक वर्गीकरण के माध्यम से किया जाता है। ये तलछट आकार में भिन्न होते हैं, जो लगभग 1/4096 मिमी से लेकर 256 मिमी से अधिक तक होते हैं। एल्विन जैसे पनडुब्बियों और कुछ हद तक स्कूबा (Scuba) गोताखोरों द्वारा विशेष उपकरणों के साथ समुद्र तल की खोज की गई थी। समुद्र तल पर लगातार नई सामग्री जोड़ने वाली प्रक्रिया समुद्र तल का प्रसार और महाद्वीपीय ढलान है।
दूसरी ओर समुद्र तल ऐतिहासिक अभिरुचि का एक पुरातात्विक स्थल है, जहां से जहाज के टुकड़े और डूबे हुए शहरों के अवशेष प्राप्त होते हैं। ऐसे ही हिंद महासागर में एक प्राचीन इतिहास की खोई हुई तमिल सभ्यता कुमारी कंदम के अवशेष पाए गए थे। 19 वीं शताब्दी में, यूरोपीय और अमेरिकी विद्वानों के एक वर्ग ने अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और मेडागास्कर के बीच भूवैज्ञानिक और अन्य समानताओं की व्याख्या करने के लिए लेमुरिया नामक जलमग्न महाद्वीप के अस्तित्व का अनुमान लगाया था। तमिल पुनरुत्थानवादियों के एक वर्ग ने इस सिद्धांत को अनुकूलित किया, जो इसे समुद्र में खोई हुई भूमि के पांड्य किंवदंतियों से जोड़ता है, जैसा कि प्राचीन तमिल और संस्कृत साहित्य में वर्णित है। इन लेखकों के अनुसार, एक प्राचीन तमिल सभ्यता लामुरिया पर मौजूद थी, जो कि संभवतः एक तबाही के बाद समुद्र में डूब गई थी।
20 वीं शताब्दी में, तमिल लेखकों ने इस जलमग्न महाद्वीप का वर्णन करने के लिए "कुमारी कंदम" नाम का उपयोग करना शुरू कर दिया था। हालांकि लेमुरिया सिद्धांत को बाद में महाद्वीपीय बहाव (विवर्तनिकी प्लेट) सिद्धांत द्वारा अप्रचलित किया गया, यह अवधारणा 20 वीं शताब्दी के तमिल पुनरुत्थानवादियों के बीच लोकप्रिय रही थी। उनके अनुसार, कुमारी कंदम वह स्थान था जहाँ पांडियन शासनकाल के दौरान पहले दो तमिल साहित्यिक विद्यापीठ का आयोजन किया गया था। उन्होंने तमिल भाषा और संस्कृति की प्राचीनता को साबित करने के लिए कुमारी कंदम को सभ्यता के उद्गमस्थल के रूप में अधियाचित किया था।
चित्र सन्दर्भ:
1. मुख्य चित्र में उपग्रह द्वारा लिया गया समुद्री तलहटी का चित्रण है। (Wikipedia)
2. दूसरे चित्र में महासागर के अंदर चट्टानों और पहाड़ों का चित्र है। (Flickr)
3. तीसरे चित्र में महासागर के अंदर खाई का चित्र है। (Needpix)
4. चौथे चित्र में भारतीय पौराणिक कहानियों में पाया जाने वाला कुमारी कदम का विस्तार दिखाया गया है। (Wikipedia)
5. पांचवे चित्र में महासागर के अंदर ज्वालामुखी और झील का चित्रण है। (Youtube)
संदर्भ :-
1. https://theconversation.com/what-is-it-really-like-under-the-indian-ocean-27673
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Seabed
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Kumari_Kandam
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