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हमारी पृथ्वी पर कीट हर जगह पाए जाते हैं। सम्पूर्ण विश्व में इनकी 1.5 मिलियन (M।ll।on) से भी ज्यादा प्रजातियाँ पाई जाती हैं। कीट लगभग हर संभावित स्थान पर पाए जाते हैं। उनके आकार, रंग, जीवविज्ञान और जीवन का विविधतापूर्ण इतिहास इनके अध्ययन को और अधिक आकर्षक बनाता है। कीट मनुष्य के लिए नुकसानदायक समझे जाते हैं, किन्तु वास्तव में ये कई प्रकार से लाभदायक होते हैं। कीटों के अभाव में मानव का जीवन कठिन हो सकता है। कीट हमारे बहुत से फलों, फूलों और सब्जियों को परागित करते हैं। ऐसे कई उत्पाद हैं जो कि हमें कीटों से ही प्राप्त होते हैं, इनमें शहद, मोम, रेशम और ऐसे ही अन्य कई उत्पादों का उल्लेख किया जा सकता है। कीटों की दुनियाँ में ऐसे अनेकों कीट हैं जो सर्वाहरी होते हैं अर्थात वे पौधों, कवक, मृत पशुओं, सड़ने वाले कार्बनिक पदार्थ और उनके आस पास होने वाली हर चीज़ को खा सकते हैं।
जबकि कई ऐसे हैं जो विशेष आहार ग्रहण करते हैं तथा किसी एक प्रकार के पौधे या जीव पर निवास करते हैं और आहार ग्रहण करते हैं। बहुत से कीट परजीवी होते हैं, ये पौधों पर या अन्य कीटों पर या मनुष्यों और जानवरों पर निर्भर रहते हैं। ऐसे कीटों का अपना एक अलग महत्व होता है, ये कीटों की संख्या को संतोषजनक स्तर तक पहुंचाने में सहायक होते हैं। हम इसे प्रकृति का संतुलन कहते हैं। परभक्षी या परजीवी कीट भी ऊपयोगी होते हैं जब वे अन्य कीटों पर आक्रमण करते हैं जिन्हें सामान्यत: पीडक समझा जाता है। एक अध्ययन के अनुसार कीट अनेक कशेरुकी जीवों के लिए आवश्यक खाद्यान होते हैं। अनेक रिपोर्ट्स (Reports) में पाया गया है कि कीटों की संख्या में गिरावट आने से अनेक कीटभक्षी जीवों, जैसे चमगादड़ तथा अन्य परभक्षियों की संख्या में भी कमी आती है। किन्तु साथ ही साथ अध्ध्यनों में बताया गया है कि किसी संरक्षित स्थान पर 76 प्रतिशत से अधिक कीट बायोमास (B।omass) की दीर्घावधि के लिए हानिकारक होते हैं।
कीटों के विकास के प्रमुख कारण हैं- पर्यावरणीय परिवर्तन और सिंथेटिक (Synthet।c) कीटनाशकों तथा उर्वरकों का प्रदुषण। पारिस्थिकी तंत्र के कामकाज में कीट जैव विविधता अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पौधे परागन के लिए हवा तथा कीटों पर निर्भर होते हैं तथा कई फसलें मुख्यत: या पूरी तरह मधुमक्खियों और परागकारी कीटों जैसे कि भृंग, शलभ आदि पर निर्भर करती हैं। कीट मृत पशुओं तथा मृत पौधों को खाते हैं और अपने अवशिष्ट से मिटटी को उपजाऊ बनाने का कार्य करते हैं। कुछ प्रजातियां जैसे पक्षी, सरीसृप और उभयचर भोजन के लिए पुर्णतः कीटों पर ही निर्भर रहते हैं। यदि इन जीवों के लिए आहार न हो तो प्राकृतिक आहार श्रृंखला टूट जाएगी और इसका सीधा परिणाम मनुष्यों पर भी पड़ेगा।
कीटों से निपटने के लिए ड्राफ्ट रिजोल्यूशन (Draft Resolut।on) पारित किया गया है। जिसके अंतर्गत कुछ प्राविधियों को तैयार किया गया। इसमें प्रवासी कीटहरी पशुओं पर कीटों के प्रभाव को समझने के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान में वृद्धि करना सम्मिलित है। वैज्ञानिकों ने कीटनाशकों के उपयोग के बारे में, विशेष रूप से प्रवासी पक्षियों और चमगादड़ों के लिए महत्वपूर्ण पर्यावास में एहतियायतन द्रष्टिकोण की भी बात कही है।

चित्र सन्दर्भ:
1. मुख्य चित्र में मधुमक्खियों का एक मृत समूह दिखाया गया है। (Freepik)
2. दूसरे चित्र में परागण के लिए महत्वपूर्ण एक कीट दिखाई दे रहा है। (Flickr)
3. तीसरे चित्र में एक मकड़ी द्वारा एक तितली को आहरित करते दिखाया गया है। (Publicdomainpictures)
4. चौथे चित्र में परागण के दौरान एक मधुमक्खी है। (Unsplash)
5. अंतिम चित्र में कीड़ों को आहार श्रृंखला के रूप में पेश किया गया है। (picsql)
सन्दर्भ :
1. https://extens।on.entm.purdue.edu/rad।calbugs/।ndex.php?page=।mportance_of_।nsects
2. https://t।mesof।nd।a.।nd।at।mes.com/c।ty/ahmedabad/w।th-bugs-headed-for-ext।nct।on-w।ll-b।rds-starve/art।cleshow/74142929.cms
3. https://sc।ence.howstuffworks.com/sc।ence-vs-myth/what-।f/what-।f-।nsects-d।sappeared-from-planet.htm