इस आधुनिक युग में जब भी हमें कहीं जाना होता है तो हम किसी निजी या सार्वजनिक वाहन से उस स्थान में झटपट पहुँच जाते हैं, लेकिन पहले के समय में वाहन नहीं हुआ करते थे और लोगों द्वारा घोड़े की सवारी कर एक स्थान से दूसरे स्थान में जाया जाता था। हालांकि वाहनों के प्रवेश से पिछले 100 वर्षों में एक प्राचीन रोजगार ‘नालबंद’ काफी कम हो गया है। लेकिन नालबंद वर्तमान समय में भी यह एक आवश्यक रोजगार के रूप में प्रचलित है और आज भी भारत में नालबंद के अनुभव वाले व्यक्तियों के लिए कुछ सरकारी नौकरियां मौजूद हैं। प्राचीन समय में एक नालबंद द्वारा घोड़ों के जूतों को बदलने के अलावा कई अधिक कार्य किए जाते थे। भारत में मुगल और मध्ययुगीन काल के दौरान, एक नालबंद घोड़े की देखभाल का संपूर्ण कार्य करता था। जैसे वो घोड़ों की चाल और संतुलन को परखने में सक्षम होना चाहिए और साथ ही उसके द्वारा घोड़ों या खचर में किसी भी प्रकार की चोट या अन्य हानिकारक रूप से प्रभावित करने वाले कारकों का पता लगाना आना चाहिए। केवल इतना ही नहीं नालबंद द्वारा घोड़े के नाल बनाने और सुधारात्मक नाल लगाने जैसे कार्य भी किए जाते थे। उन्हें व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता होती थी।
वहीं लाहौर में घोड़ों के लिए विभिन्न बाजार हर समय मौजूद हुआ करते थे। इसके साथ ही लाहौर के नालबंद घोड़ों की बीमारियों और उन्हें ठीक करने के तरीके भी जानते थे। वे उन्हें प्रशिक्षित करने का तरीका भी जानते थे। चौक दारा शिकोह के परिसर में घोड़ों के लिए सबसे बड़ा बाजार लाहौर के तकक्षाली गेट के पास और साथ-साथ दिल्ली गेट के बाहर लगाया जाता था। वहीं लाहौर में घोड़े की देखभाल के लिए केंद्र मस्जिद वजीर खान के बाहर था, जहाँ प्रसिद्ध नालबंदों द्वारा अपना व्यवसाय किया जाता था। साथ ही लाहोर के मैदान में घोड़ों पर स्पष्ट उदाहरण के साथ कई किताबें लिखी गई हैं। इमाम बख्श लाहौरी द्वारा बनाई गई एक पांडुलिपि विश्व प्रसिद्ध है। लाहौर के गवर्नर सैयद अब्दुल्ला ने भी घोड़ों पर एक किताब लिखी थी।
ईएचए द्वारा लिखी गई ‘बिहाइंड द बंगला’ पुस्तक में नालबंद का जिक्र मिलता है, उसमें उन्होंने बताया है कि एक नालबंद को हमेशा यह याद रहता था कि कब किस घोड़े की नाल लगाने का समय है और यदि कोई लापरवाह नालबंद आता नहीं था तो तुरंत उसकी तलाश की जाती थी। लेखक द्वारा बैल की नाल लगाना घोड़े की नाल लगाने से एक अलग पेशा माना गया है और वे बताते हैं कि उसे इतनी ऊँची कला नहीं माना जाता है। नालबंद द्वारा बैल की खराब नाल को फेंक दिया जाता है और बैल के पैरों को एक साथ बांधकर सहायक की मदद से नाक को जमीन पर रखा जाता है। जबकि विशेषज्ञ द्वारा खुर के प्रत्येक आधे हिस्से से खराब लोहे को निकाला जाता है। वे घोड़ों की तरह ज्यादा आराम नहीं करते हैं और न ही अशांत और क्रोधित होते हैं। यही कारण है कि सभी कृषि उद्देश्यों के लिए पूरे भारत में बैल का उपयोग किया जाता है। घोड़ा लोगों की प्रतिभा के अनुरूप नहीं है।
जे लॉकवुड किपलिंग (रुडयार्ड किपलिंग के पिता) की कलाकृतियों वाली प्राचीन पुस्तक "ऑफ बीस्ट्स एंड मैन (Of Beasts & man)" में, यह बताया गया है कि "पश्चिम में घोड़ा लोहार के पास नाल लगाने जाता है, पूर्व में लोहार घोड़े के पास अपने औजारों से भरा एक बटुआ, एक चीत्कार और उसकी मदद करने के लिए एक शिक्षु लेकर आता है और घोड़े के पैर को लोहार के लिए बारी-बारी पकड़ा जाता है”, जिसे रेखा-चित्र में देखा जा सकता है।
वहीं एक उन्नत नालबंद प्रशिक्षण घोड़ों की एक विस्तृत विविधता पर काम करने का अवसर प्रदान करता है, जिसमें घोड़े के बच्चे और महंगे प्रदर्शनी घोड़े शामिल हैं। प्रशिक्षण के इस स्तर पर, आमतौर पर यह सिखाया जाता है कि कैसे प्रदर्शनी वाले घोड़ों की नाल निकालनी और लगानी चाहिए। प्रशिक्षण में नस्लों की सीमा के दौरान खुरों के अलग-अलग होने की समझ शामिल होती है। अन्य उन्नत कौशल में नवीनतम लोहार की तकनीक, उन्नत घुड़सवार और प्रमाणन की तैयारी के लिए एक तंख़्वाहदार नालबंद शामिल हैं। अमेरिकन फ़रियर्स एसोसिएशन का प्रमाणित तंख़्वाहदार नालबंद वर्गीकरण उच्चतम प्रमाणन स्तर है। यह वर्गीकरण केवल तभी दिया जाता है जब उम्मीदवार परीक्षा को पास करता है। इन परीक्षणों को पास करने के लिए, उम्मीदवार को घोड़े की चाल, रक्त परिसंचरण और शारीरिक रचना की पूरी समझ होनी चाहिए।
चित्र सन्दर्भ:
1. मुख्य चित्र में शाहनामा में एक घोड़े और नालबंद को दिखाया गया है। (Publicdomainpictures)
2. दूसरे चित्र में इक्का (घोड़ागाड़ी) दिखाई गयी है। (The Project Gutenberg eBook, Beast and Man in India by John Lockwood Kipling, 2012)
3. तीसरे चित्र में एक व्यावसायिक नालबंद काम करते हुए दृश्यांवित हो रहा है। (Publicdomainpictures)
4. अंतिम चित्र में एक नालबंद घोड़े के खुरों में नाल लगा रहा है साथ ही उसके साथी घोड़े को पड़े हुए है। (The Project Gutenberg eBook, Beast and Man in India by John Lockwood Kipling, 2012)
संदर्भ :-
1. https://www.nqr.gov.in/qualification-title?nid=4523
2. http://blog.chughtaimuseum.com/?p=468
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Farrier
4. https://bit.ly/2zDVfbk
5. http://www.hotfreebooks.com/book/Behind-the-Bungalow-EHA--3.html
6. https://work.chron.com/education-horse-blacksmith-require-4987.html
7. https://www.gutenberg.org/files/40708/40708-h/40708-h.htm
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