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2013 में पुदीने की खेती के तहत उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों के लगभग 1.2 लाख हेक्टेयर (Hectares) में पुदीने की महक से खिल उठा था। भारत विश्व भर में 80% पुदीने का उत्पादन करता है और अपने उत्पादन का 75% निर्यात करता है। रामपुर सहित राज्य के तराई क्षेत्र में पुदीने की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। उत्तर प्रदेश के किसानों द्वारा पुदीने की खेती इसलिए की जाती है क्योंकि एक एकड़ की पुदीने की फसल तीन महीने में 30,000 रुपये तक का लाभ दे सकती है, जो किसी भी नकदी फसल के लिए काफी अधिक है। इसके अलावा, पुदीने के उत्पादों की मांग अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बढ़ रही है, विशेष रूप से चीन और मेन्थॉल (Menthol) उद्योग लगभग 15 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं। पुदीने की फसल की लोकप्रियता का एक अन्य कारण यह है कि अन्य नकदी फसलों के विपरीत इसकी खेती में कम समय लगता है। इसके अलावा, पुदीने की खेती के समय खेत खाली रहता है। बस इसकी फसल के लिए नकारात्मक पहलू यह है कि इसे अधिकांश कृषि फसलों की तुलना में अधिक पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन सिंचाई की सुविधाओं में वृद्धि और नहर और तालाबों जैसे सिंचाई के पारंपरिक स्रोतों के दोहन से किसान अच्छे लाभ प्राप्त कर रहे हैं और खेती का क्षेत्र हर मौसम में बढ़ रहा है।
वहीं बागवानी विभाग किसानों को छोटी आसवन प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करके संयंत्र से पुदीने का तेल निकालने के लिए प्रशिक्षण भी देता है। पुदीने के तेल का उपयोग टूथपेस्ट (Toothpaste), माउथ फ्रेशनर (Mouth freshener), औषधि, पेय पदार्थ, मुंह साफ करने के पानी, च्युइंग गम (Chewing gum), मिठाई और मिष्टान्न के निर्माण में औद्योगिक निवेश के रूप में किया जाता है। पुदीने की पत्तियों का उपयोग पेय पदार्थ, मुरब्बे और चाशनी में किया जाता है। 2018 में कृत्रिम मेन्थॉल तेल (जिसका उपयोग मुख्य रूप से गैर-खाद्य अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है) की उपलब्धता में गिरावट के कारण प्राकृतिक मेन्थॉल तेल की कीमत औसतन 1,500 किलोग्राम से अधिक हुई थी। पुदीने की फसल के लिए मूल्य अस्थिरता एक बड़ी समस्या है। “2013-14 में कृत्रिम पुदीना तेल की शुरुआत के बाद से प्राकृतिक पुदीने की कीमत में काफी गिरावट आई है, जिसमें मेन्थॉल तेल का उच्चतम उत्पादन देखा गया है। “2013-18 में पुदीने की कीमत लगभग ₹ 2,200 रुपये प्रति किलोग्राम थी, लेकिन 2014-15 में यह घटकर ₹ 800 किलोग्राम रह गई थी। बाद में खेती में भारी गिरावट आने के बाद से पुदीने की कीमतें बढ़ने लगीं। 2017 में, पुदीने की कीमतों में 1,100 तक की वृद्धि हुई और वे 2018 में कृत्रिम मेन्थॉल की कम आपूर्ति की वजह से इसकी कीमत ओर बढ़ गई।"
अमेरिका स्थित कन्फेक्शनरी निर्माता मार्स रिगले 2017 से भारतीय पुदीना के किसानों के साथ काम कर रहे हैं। जिसकी वजह से लगभग 20,000 किसानों ने पुदीने की खेती में अच्छी कृषि पद्धतियों को अपनाया है, जिससे उन्हें न केवल पैदावार बढ़ाने में मदद मिलती है बल्कि पानी के उपयोग में भी लगभग 30 प्रतिशत की कमी आती है। वहीं विदेशी और घरेलू दोनों बाजारों में मेंथा क्रिस्टल (Mentha Crystals) और फ्लेक्स (Flakes) की भारी मांग को देखते हुए, उत्तरी क्षेत्र की दवा कंपनियों ने अनुबंध खेती के तहत पुदीने की खेती करने की योजना बनाई है। इन कंपनियों ने मेंथा व्युत्पन्न (मेंथा फ्लेक्स और क्रिस्टल) की मांग को पूरा करने के लिए अपनी प्रसंस्करण सुविधाओं को पहले ही उन्नत कर लिया है। मेंथा व्युत्पन्न का व्यापक रूप से मिष्टान्न, पान मसाला, सौंदर्य प्रसाधन, औषधीय और च्युइंग गम जैसे विभिन्न उत्पादों में एक स्वादिष्ट बनाने वाले पदार्थ के रूप में उपयोग किया जाता है।
इन वर्षों में, सार्वजनिक क्षेत्र ने भारत में कृषि में प्रमुख नीतियों की स्थापना से लेकर उर्वरक, विस्तार और विपणन जैसी वस्तुओं और सेवाओं को प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लेकिन भारत जैसी विस्तृत और विविधतापूर्ण अर्थव्यवस्था में, निजी वादक बुनियादी ढांचे और आर एंड डी (R&D) में अतिरिक्त निवेश जुटाने की क्षमता रखते हैं और साथ ही बेहतर सेवा वितरण के माध्यम से कृषि मूल्य श्रृंखला में वांछित क्षमता भी लाते हैं। राष्ट्रीय कृषि नीति 2000 भी अनुबंधित खेती, भूमि पट्टे की व्यवस्था, प्रत्यक्ष विपणन और निजी बाजारों की स्थापना के माध्यम से कृषि में निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए त्वरित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, पूंजी प्रवाह और फसल उत्पादन के लिए सुनिश्चित बाजार की अनुमति देने की परिकल्पना करती है।
इस कृषि-व्यवसाय अनुबंधन को स्थापित करने से विशेष रूप से छोटे भूमिधारकों को प्रत्यय, सुनिश्चित बाजार, पारिश्रमिक मूल्य, गुणवत्ता जांच और विस्तार सेवाएं प्रदान करने में मदद मिल सकती है। कृषि विपणन और प्रसंस्करण में निजी क्षेत्र के योगदान को बढ़ाने के लिए, कृषि बाजारों को उदार बनाने और बाधाओं को दूर करने की आवश्यकता है। जबकि सरकार को मूल्य श्रृंखला की दक्षता में सुधार करने के लिए कृषि में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाना चाहिए। आखिरकार, भारत जैसे कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में आर्थिक विकास के लिए एक अच्छी तरह से कार्य कर रहा कृषि क्षेत्र एक आधार है।
चित्र (सन्दर्भ):
1. मुख्य चित्र में मेंथा और उसके उत्पाद दिख रहे हैं। (Prarang)
2. दूसरे चित्र में मेंथा की खेती के साथ एक किशोरी दिखाई दे रही है। (Wallpaperflare)
संदर्भ :-
1. https://bit.ly/2LWf9Rz
2. https://bit.ly/2TjIyJi
3. https://www.business-standard.com/article/companies/pharma-firms-to-take-up-mentha-farming-109032700032_1.html
4. https://www.teriin.org/opinion/role-private-sector-building-efficient-agricultural-chain
5. https://bit.ly/3g8R1IX