संग्रहालय एक अत्यंत ही महत्वूर्ण स्थान है जहाँ पर लोग जाकर भूतकाल में अपने पूर्वजों द्वारा प्रयोग की हुयी वस्तुओं को देख सकते हैं। संग्रहालय हमारे लिए एक ऐसे स्थान के रूप में कार्य करता है जो की हमारे मनोरंजन के साथ ही साथ हमारे ज्ञानवर्धन के भी साधन के रूप में निकल कर सामने आता है। आज अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस है, इस दिन को संग्रहालय की महत्ता को बताने के लिए मनाया जाता है। अभी हाल ही में दुनिया भर में कई प्रकार के संग्रहालयों की स्थापना की जा रही है जिसमे से एक है आभासीय संग्रहालय। आभासीय संग्रहालय वर्तमान समय में एक तेजी से उभरता हुआ प्लेटफोर्म (Plateform) है जहाँ पर लोग अपने घर बैठे ही संग्रहालयों को देख सकने में सक्षम हो पा रहे हैं।
वर्तमान समय में दुनिया तेजी से बदल रही है और इस भागदौड़ में वास्तविक संग्रहालयों में लोग नहीं जा पा रहे हैं ऐसे में आभासीय संग्रहालय एक अत्यंत ही बेहतर विकल्प के रूप में निकल कर सामने आ रहा है। जिस तरह से तकनिकी विकास हो रहा है तो ऐसे में तकनिकी संग्रहालयों में पहुँचने का का कार्य कर रही है। तकनिकी के माध्यम से आभासीय सत्यता और संवर्धित वास्तविकता के रूप में संग्रहालय कार्य कर रहे हैं। आभासीय सत्यता ऐसी तकनिकी है जिसमे आप एक स्थान पर न होकर भी उसे कंप्यूटर (Computar) या मोबाइल (Mobile) आदि के जरिये देख सकने में समर्थ हो पाते हैं। ऐसी तकनिकी आज विश्व के कई संग्रहालयों में अपनाई गयी है। वहीँ संवर्धित वास्तविकता एक ऐसी तकनिकी है जिसमे वास्तविक और आभासीय का संयोजन होता है। यह तकनिकी त्रिआयामी सत्यता प्रदान करती है जिससे व्यक्ति किसी भी पुरावस्तु का त्रीआयामी दृश्य देख पाने में समर्थ हो पाता है। जैसा की यह तकनिकी अब धीरे धीरे बाजार में आना शुरू हो चुकी है तो ऐसे में संग्रहालयों में इनका आना आसान हो चुका है। हांलाकि यह एक डर जरूर व्याप्त है संग्रहालयों में कि यदि लोगों को अपने घर बैठे ही संग्रहालय देख लेंगे तो संग्रहालयों में कौन आएगा? परन्तु वहीँ बाकी के संग्रहालय इसे नए दर्शक आकर्षित करने का एक बेहतर अवसर के रूप में देखते हैं।
experience t-rex in immersive virtual reality at the american museum of natural history from designboom on Vimeo.
ब्रिटिश संग्रहालय (British Museum) ने इस तकनिकी का सफलतापूर्वक प्रयोग कर लिया है जिससे लोगों द्वारा इसे बहुत ही बड़े स्तर पर सराहा गया। आभासीय सत्यता संग्रहालय की वस्तुओं में एक सन्दर्भ जोड़ता है जो की लोगों की जिज्ञासा को बढाने का कार्य करता है। इस प्रकार के संग्रहालयों को भविष्य के संग्रहालय के रूप में देखा जाता है। भारत में संग्रहालयों में अभी डिजिटल (Digital) तकनिकी का प्रयोग कुछ ही संग्रहालयों में ही छोटे स्तर पर स्थापित की जा सकी है जैसे की राष्ट्रीय संग्रहालय दिल्ली, छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय मुंबई आदि। डिजिटलीकरण भारतीय संग्रहालयों के लिए एक वरदान के रूप में निकल कर सामने आएगा और यह बड़े स्तर पर लोगों को संग्रहालयों से जोड़ने का कार्य करेगा। मेरठ में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम को समर्पित है।
वर्तमान में इस संग्रहालय की स्थिति अत्यंत सही नहीं कही जा सकती तथा यहाँ पर तकनिकी कमी के कारण यहाँ पर रखे गए पुरावशेषों में कई दिक्कतें आणि शुरू हो गयी हैं। डिजिटलीकरण से इस संग्रहालय में नयी जान आ सकती है तथा यह संग्रहालय बड़े पैमाने पर प्रसारित हो सकता है जिससे यहाँ इस संग्रहालय को देखने के लिए बड़े पैमाने पर लोग आना शुरू करेंगे।
चित्र (सन्दर्भ):
1. मुख्य चित्र में कोल्ड वॉर, के महत्व को दिखने के लिए बनाया गया वर्चुअल संग्रहालय का चित्र है।
2. दूसरे चित्र में अंतराष्ट्रीय एयर व्हीकल संग्रहालय है, जो सिर्फ डिजिटली उपस्थित है।
3. अंतिम चित्र में राष्ट्रीय स्वंत्रता संग्राम संग्रहालय, मेरठ है।
सन्दर्भ :
1. https://www.meerutonline.in/city-guide/meerut-museum
2. https://versoteq.com/blog/how-virtual-reality-augmented-reality-transform-museums
3. https://www.museumnext.com/article/is-the-future-of-museums-online/
4. https://thediplomat.com/2020/03/virtually-there-visit-these-indian-museums-online-during-the-global-lockdown/
5. https://www.expresscomputer.in/news/how-augmented-reality-is-changing-the-museum-experience/42722/
7. https://vimeo.com/321585326
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