कोविड (COVID-19) के प्रकोप से लड़ने के लिए पूरे देश में तालाबंदी की गयी है। कोविड-19 जहां अपने साथ कई चुनौतियां लेकर सामने आया है वहीं प्रकृति के लिए इसके कई सकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिले हैं। जैसे देशव्यापी तालाबंदी के कारण वायु और ध्वनि प्रदूषण में कमी आयी है, जिसके चलते पक्षियों और तितलियों की आबादी पूरे देश में काफी बढ़ गई है। कम मानव गतिविधि के कारण निवासी पक्षी पहले की तुलना में बहुत अधिक प्रजनन कर रहे हैं। किसी भी प्रकार का ध्वनि और वायु प्रदूषण नहीं हो रहा है, जो पक्षियों के लिए उपयुक्त वातावरण बनाता है। कारखानों में मशीनों, सडकों पर वाहन और इंजनों इत्यादि की आवाज को अब पक्षियों की आवाज के द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया है। जिससे अब सुबह-शाम पक्षियों की आवाज को स्पष्ट रूप से सुना जा सकता है। ध्वनि प्रदूषण की कमी के कारण पक्षियों के अस्तित्व को महसूस किया जा सकता है। जब ध्वनि प्रदूषण कम होता है, तो पक्षियों के लिए खुद को व्यक्त करना बहुत आसान होता है। इसी प्रकार से वाहनों और कारखानों से निकलने वाली धुंध में मौजूद भारी धातुओं की मात्रा से उनकी मृत्यु दर बढ़ जाती है। सल्फर डाइऑक्साइड (sulphur dioxide) विषाक्तता में कमी के कारण अब तितलियों के झुंड भी चारों ओर उड़ते दिखायी दे रहे हैं, जोकि पहले से कहीं अधिक प्रजनन कर रहे हैं। जिस स्थान पर मानव आबादी कम होती है, जहां विमान नहीं उतरते हैं और सड़क पर कोई वाहन नहीं चलता है, उन स्थानों में पक्षियों की उड़ान अत्यधिक होती है तथा वे अपनी ऐतिहासिक भौगोलिक सीमाओं को बनाए रखते हैं। इसलिए तालाबंदी की इस अवस्था को पक्षियों के लिए एक उपयुक्त समय माना जा रहा है।
इस मौसम में विभिन्न शोधकर्ता पक्षियों और अन्य जीवों से जुड़े अनेक पहलुओं को लेकर अनुसंधान या शोध करते हैं। इस दृष्टि से यह मौसम शोधकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण समय होता है, किन्तु कोरोना महामारी के कारण शोधकर्ताओं द्वारा या तो अनुसंधान बंद कर दिए गए हैं या फिर उन्हें एक निश्चित समयावधि के लिए रोक दिया गया है। यह ठहराव एक महत्वपूर्ण समय पर हुआ है, क्योंकि इस मौसम में अधिकतर पक्षियों की विभिन्न नस्लें प्रवास करती हैं, घोंसला बनाती हैं तथा अपनी पहली उड़ान भरती हैं। लेकिन प्रजातियों की एक विस्तृत श्रृंखला पर निगरानी और अनुसंधान को फिलहाल रद्द या विलंबित कर दिया गया है। कुछ शोधकर्ताओं का कहना है, कि वे स्थिति सामान्य होने के बाद अपने काम को आगे बढ़ाएंगे किन्तु जो समय कोरोना महामारी के चलते व्यर्थ निकल गया है, उसका प्रभाव भविष्य में उनके शोध पर अवश्य पडेगा। वहीं दूसरी तरफ, अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि, यह वर्ष यह जानने का एक अनूठा अवसर भी प्रदान करता है, कि कैसे वास्तविक और सही समय का उपयोग कर पक्षी, अचानक शांत, कम-प्रदूषित और कम आबादी वाले क्षेत्रों में एक बड़े पैमाने पर उड़ान भर रहे हैं, प्रजनन क्रिया में भाग ले रहे हैं, घोंसले बना रहे हैं और अंडे देना शुरू कर रहे हैं।
पक्षियों का इस प्रकार का व्यवहार यह सुझाव देता है कि, हमें हरित ऊर्जा की ओर बढ़ना चाहिए तथा इसके सम्बन्ध में लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए ताकि पक्षी जो व्यवहार अभी प्रदर्शित कर रहे हैं वह भविष्य में भी यूं ही बना रहे।
चित्र (सन्दर्भ):
उपरोक्त सभी चित्रों में तालाबंदी के दौरान दिखाई देने वाले दुर्लभ पक्षी हैं।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2YX2K7m
2. https://bit.ly/3bwBf7d
3. https://www.newsgram.com/covid-19-effect-population-birds-surged-india
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