भारत में जन्मा था, शतरंज का खेल

हथियार और खिलौने
05-05-2020 12:00 PM
भारत में जन्मा था, शतरंज का खेल

वर्तमान भारत में अनेकों प्रकार के खेल खेले जाते हैं जिसमे से कुछ भारतीय हैं तथा कुछ विदेशी मूल के हैं। बचपन से ही हम विभिन्न प्रकार के खेल खेलते आ रहे हैं जिसमे चौपड़, शतरंज, सांप सीढ़ी, कंचे, गिल्ली डंडा इत्यादि शामिल हैं । भारत वर्ष का प्रत्येक बच्चा अपने जीवन काल में इन लिखित खेलों में से किसी न किसी खेल को तो जरूर खेला है। शतरंज एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण खेल है इन सभी खेलों में जिसकी विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धाएं की जाती हैं । यह खेल दो खिलाडियों के मध्य में खेला जाता है । इस लेख में आज हम इसी खेल के विषय में चर्चा करेंगे ।

ऑक्सफोर्ड (Oxford) शब्दकोष के अनुसार शतरंज दो खिलाडियों के बीच खेला जाने वाला एक बोर्ड गेम (Board Game) है। जिसका उद्देश्य प्रतिद्वंदी राजा को सीधे हमला करके नियंत्रित करना है। बोर्ड गेम के विषय में देखें तो इसका अर्थ है, किसी पटरे या गत्ते पर बना और खेला जाने वाला खेल । पिछले कुछ दशकों से शतरंज प्रमुख रूप से पूर्व विश्व विजेता विश्वनाथन आनंद के कारण भारत में लोकप्रिय हुआ है। इतिहास की बात करें तो इस खेल का भारत में इतिहास करीब 1700 साल पीछे तक जाता है । गुप्त काल में भारत में शतरंज का प्रद्दुर्भाव हुआ। हांलाकि कुछ पुरातात्विक अध्ययनों की बात करें तो इस खेल को सिन्धु सभ्यता तक भी जोड़ के देखा जाता है, हांलाकि यह बिंदु अभी और गहन अध्ययन का विषय है । अब आगे की बात करते हैं छठी शताब्दी में इस खेल का प्रारंभिक स्वरूप और अधिक विकसित हुआ तथा इसे चतुरंग के नाम से जाना गया, जिस अर्थ था ‘चार भाग’, पैदल सेना, अश्व सेना, गज सेना तथा रथ सेना क्रमशः आधुनिक युग की बात करें या विदेशी रूप की बात करें तो ये हैं- मोहरे, नाईट (Kn।ght), बिशप (B।shop) तथा रूक (Rook) इन्ही को प्रदर्शिप करते हैं। फारसीयों को शतरंज के विषय में भारत से ही ज्ञान प्राप्त हुआ तथा कालान्तर में इसे मूल शिक्षा के विषयों में शामिल किया गया । शासनी ( Sassan।d) काल में इसका नाम चतरंग हो गया, जो शतरंज के रूप में रूपांतरित हो गया।

यह खेल भारत से ही फारस (Pers।a), दक्षिणी यूरोप (Southern Europe) आदि में फैला तथा धीरे धीरे यह पूरे विश्व भर में खेला जाने लगा। यूरोप में ही यह खेल अपने वर्तमान स्वरुप में विकसित हुआ। 19वीं शताब्दी का दौर था जब यह खेल प्रतिस्पर्धा के रूप में खेला जाना शुरू हुआ तथा 1886 में विश्व की पहली शतरंज की विश्व शतरंज प्रतिस्पर्धा का आयोजन किया गया तथा 20वीं शताब्दी आते आते विश्व शतरंज महासंघ की स्थापना की गयी जिसको (F।DE) के नाम से जाना जाता है। 1997 में पहली बार यह खेल कंप्यूटर (Computer) दुनिया में शामिल हुआ। 2012 के एक सर्वेक्षण में पाया गया की दुनिया के करीब 605 मिलियन (M।ll।on) युवा इस खेल को खेलते हैं। जिसमे 12 फीसद ब्रितानी (Br।t।sh), 15 फीसद अमेरिकी (Amer।can), 23 फीसद जर्मन (German), 43 फीसद रूसी (Russ।an) तथा 70 फीसद भारतीय (।nd।an) शामिल थे।

शतरंज एक अत्यंत ही प्रतिस्पर्धात्मक खेल है जो कि अत्यंत अधिक दिमागी कसरत प्रदान करता है। यह खेल दुनिया भर में प्रसिद्द भी इसीलिए है तथा यह अन्य बोर्ड गेम से अलग और ज्यादा लिकप्रिय भी इसी कारण से हुआ है।

चित्र (सन्दर्भ):
1. राधा-कृष्ण चतुरंग का खेल खेलते हुए। (Wikipedia)
2. 14 वीं शताब्दी की फारसी पांडुलिपि में यह वर्णन किया गया है कि कैसे भारत के एक राजदूत ने फारसी दरबार में शतरंज लाया। (Wikimedia)
3. रावण और मंदोदरी का शतरंज खेलते हुए क्रियात्मक चित्रण। (Prarang)
4. विष्णु और लक्ष्मी चतुरंग का खेल खेलते हुए। (Shahpedia)
सन्दर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/History_of_chess#India
2. https://thechessworld.com/articles/general-information/how-complex-is-the-game-of-chess/
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Chess_in_India