नेविगेशन उपकरण के रूप में अत्यंत लाभकारी है नक्षत्रों का ज्ञान

मेरठ

 28-04-2020 10:05 AM
सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

रात के समय खुले आसमान में नक्षत्रों या सितारों को देखना बहुत ही मनोरंजक और विस्मयकारी होता है, तथा इन सितारों की सुंदरता देखते ही बनती है। रामपुर के लोग नक्षत्रों से अपरिचित नहीं हैं, इसलिए भी क्योंकि यहां स्थित आर्यभट्ट तारामंडल प्रमुख खगोलीय घटनाओं के दौरान शहर में लोगों के लिए खगोलीय अवलोकन का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। हमारे प्राचीन पूर्वज रात के आकाश से अच्छी तरह परिचित थे। इसका उपयोग जहां उन्होंने नेविगेशन (Navigation) उपकरण के रूप में किया वहीं सितारों को आध्यात्मिक रूप भी दिया। आज भी, नक्षत्रों को जानना उनके प्रति अपनी जिज्ञासा को शांत करने और विस्मयकारी स्थिति उत्पन्न करने का स्रोत हो सकता है। बहुत समय पहले पृथ्वी के प्राचीन लोगों ने तारों का उपयोग फसलों को रोपने और काटने के समय का पता लगाने के लिए किया। तथा उन्होंने ही इसे नक्षत्रों का नाम भी दिया। इनमें से अधिकांश आज भी उपयोग में हैं तथा उन नायकों और देवताओं, जानवरों और पौराणिक कथाओं का वर्णन करते हैं जोकि सितारों में प्रदर्शित हुए। मनोरंजन कारक के अलावा, सितारों के बारे में इन कहानियों ने प्राचीन कहानीकारों की संस्कृतियों को संरक्षित करने और जनजाति के नागरिकों में नैतिक मूल्यों को स्थापित करने में मदद की। 700 ई.पू. के आसपास, यूनानियों को ब्रह्मांड की पौराणिक कथाओं की पेशकश करने वाला पहला व्यक्ति हेसियड (Hesiod) था।

सितारों का उपयोग करते हुए, इन पौराणिक कथाओं ने तत्वों, देवी-देवताओं, और पौराणिक जीवों की एक वंशावली का विस्तार करके शून्य से लेकर एक बहुत बड़े अस्तित्व तक ब्रह्मांड की यात्रा के रहस्य को साझा किया। 5,000 साल से भी पूर्व के खगोलविदों में से कुछ ने सूर्य और चंद्रमा में परिवर्तन देखा। उन्होंने सूर्य के उदय और अस्त होने तथा किसी भी शाम को चंद्रमा के आकार और स्थिति के पैटर्न (Pattern) पर ध्यान दिया। उन्होंने पवित्र स्थलों या हेंजेस (Henges) का निर्माण भी किया जिसने उन्हें महत्वपूर्ण ज्योतिषीय क्षणों जैसे कि शीत और ग्रीष्म संक्रांति या बसंत और पतझड़ विषुव के बारे में बताया। इससे उन्हें यह जानने में मदद मिली कि कब ठंड के बाद फसलें बोनी है और कब उन्हें सर्दियों से पहले काटना है। पूरे ब्रिटेन में हेंजेस मौजूद है तथा स्टोनहेंज (Stonehenge) उनमें सबसे प्रसिद्ध है। यह एक प्रकार की गोलाकार संरचना है जिसे पत्थरों और लकड़ी से बनाया गया है। नक्षत्रों का उपयोग प्राचीन नाविकों ने समुद्र में रहने के दौरान अपना मार्गदर्शन करने के लिए भी किया। प्रारंभिक खगोलविदों ने महसूस किया कि कुछ नक्षत्र, जैसे कि बिग डिपर (Big Dipper-चमकते सितारों का बड़ा समूह), केवल आकाश के उत्तरी भाग में देखे गए थे। उत्तरी सितारा या ध्रुव तारा या पोलारिस (Polaris) की स्थिति ने यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचने के लिए आवश्यक दिशा का पता लगाने में मदद की। इसके अलावा तारों का उपयोग ज्योतिषीय संकेतों के निर्माण के लिए भी किया गया। इनका निर्माण पृथ्वी के कुछ शुरुआती खगोलविदों से हुआ। प्राचीन बेबीलोन में, खगोलविदों ने ग्रहों की दिशा और उनकी गति पर नज़र रखी। अधिकांश प्राचीन सभ्यताओं का मानना था कि ग्रहों की गति का अवलोकन भविष्य की भविष्यवाणी करने और एक व्यक्ति के जीवन के महत्वपूर्ण पहलूओं को निर्धारित करने में मदद कर सकती है।

ऐसे कई लोकप्रिय नक्षत्र हैं जिनके बारे में हर किसी व्यक्ति को जानना चाहिए। इन नक्षत्रों में कुम्भ (Aquarius), एक्विला (Aquila), मेष (Aries), केनिस मेजर (Canis Major), कैसिओपिआ (Cassiopeia), सिग्नस (Cygnus), मिथुन (Gemini), सिंह (Leo), लायरा (Lyra), ओरियन (Orion), मीन (Pisces), वृश्चिक (Scorpius), वृषभ (Taurus), उरसा मेजर (Ursa Major), उरसा माइनर (Ursa Minor) हैं। इस समय अर्थात अप्रैल-मई के दौरान दिखाई देने वाले सबसे लोकप्रिय नक्षत्र उरसा मेजर, उरसा माइनर, ओरियन हैं। कई लोग यह सोचते हैं कि ध्रुव तारा आकाश का सबसे चमकीला तारा है। लेकिन वास्तव में, यह चमक के मामले में 50 वें स्थान पर है। ध्रुव तारा अत्यंत प्रसिद्ध है क्योंकि यह मुश्किल से घूमता है जबकि अन्य तारे उत्तरी आकाश में इसके चारों ओर चक्कर लगाते हैं। यह एक ऐसा तारा है जिसे आकाश में सबसे आसानी से ढूंढा जा सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह उत्तरी आकाशीय ध्रुव पर स्थित है, वह बिंदु जिसके चारों ओर पूरा उत्तरी आकाश घूमता है। उत्तर के कारण ध्रुव तारा मार्ग चिह्नित करने में भी सहायता करता है। यदि आपका चेहरा इसके सामने है तथा आप अपनी बाहों को बग़ल में फैलाते हैं, तो आपका दाहिना हाथ पूर्व दिशा की ओर तथा बायाँ हाथ पश्चिम की ओर इंगित करता है। ऐसा करने के बाद आप उत्तरी गोलार्ध के स्थानों से इसे उत्तरी आकाश में हर रात चमकते हुए देखेंगे। उत्तरी गोलार्ध में भूमि और समुद्र दोनों के यात्रियों के लिए के लिए यह तारा वरदान की भाँति कार्य करता है। इसे खोजने का मतलब है कि आप उत्तर दिशा से अच्छी तरह परिचित हो गए हैं। ध्रुव तारे को उत्तरी गोलार्ध के सबसे प्रसिद्ध सितारा पैटर्न (Pattern) जिसे बिग डिपर के नाम से जाना जाता है, के माध्यम से आसानी से ढूंढा जा सकता है। इसे ढूंढने के लिए आपको इस सितारा पैटर्न के सूचक तारों दुभे (Dubhe) और मेराक (Merak) को ढूंढना होगा। ये दोनों सितारे पैटर्न के बाहरी हिस्से को रेखांकित करते हैं। मेराक से दुभे तक एक रेखा खींचिए तथा इस दूरी से ध्रुव तारे तक पांच गुना आगे जाइये, वहीं पर ध्रुव तारा स्थित होता है। जब आप उत्तर की ओर जाते हैं, तो यह तारा आसमान में और अधिक ऊंचाई पर प्रतीत होगा। यदि आप उत्तरी ध्रुव के रूप में उत्तर की ओर जाते हैं, तो आप पाएंगे कि ध्रुव तारा आपके सिर के ठीक ऊपर है। जैसे ही आप दक्षिण की ओर जाते हैं तो ध्रुव तारा उत्तरी क्षितिज के करीब आ जाता है। सैकड़ों साल पहले, नाविकों ने अपने जहाज को खुले समुद्र में नेविगेट करने के लिए केवल अपनी आंखों और सितारों का उपयोग किया। हालांकि वर्तमान में कई नेविगेशन उपकरण मौजूद हैं किन्तु सितारों के माध्यम से नेविगेशन की प्राचीन कला को संरक्षित करना आवश्यक है। इसकी सहायता से हम किसी भी स्थिति में अपना रास्ता खोजने के साथ-साथ इस ज्ञान का विस्तार भी कर सकते हैं।

आकाश में मौजूद तारों जैसे उरसा मेजर, उरसा माइनर, कैसिओपिया, ओरियन आदि की पहचान, ध्रुव तारे की पहचान, दक्षिण क्रॉस (Southern Cross) की जानकारी, तारों के माध्यम से पूर्व और पश्चिम की पहचान, नेविगेशनल स्टार चार्ट (Navigational Star Chart) आदि ऐसे माध्यम हैं, जिनकी सहायता से आप आसानी से किसी भी स्थिति में अपना रास्ता खोज सकते हैं।

चित्र (सन्दर्भ):
1.
मुख्य चित्र में तारों द्वारा दिशा ज्ञान के सिद्धांत का कलात्मक चित्रण है।, Prarang
2. दूसरे चित्र में तारों और दिशा ज्ञान के संबंध को दिखाने के लिए पार्श्व में अंतरिक्ष और राशि रूपीय पंक्षी के साथ आधार में दिशासूचक दिखाया गया है।, Prarang
3. अंतिम चित्र में फिश और तारों का ज्ञान दिखाई दे रहा है।, Wallpaperflare
सन्दर्भ:
1. https://www.formulaboats.com/blog/navigate-using-stars/
2. https://www.artofmanliness.com/articles/15-constellations-every-man-should-know/
3. https://sciencing.com/did-people-use-stars-planets-8675019.html
4. https://earthsky.org/brightest-stars/polaris-the-present-day-north-star

RECENT POST

  • लोगो बनाते समय, अपने ग्राहकों की संस्कृति जैसे पहलुओं की समझ होना क्यों ज़रूरी है ?
    संचार एवं संचार यन्त्र

     30-12-2024 09:25 AM


  • आइए देखें, विभिन्न खेलों के कुछ नाटकीय अंतिम क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     29-12-2024 09:21 AM


  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id