आखिर कौन है, मेरठ का प्रसिद्ध जल्लाद और कैसी होती है एक जल्लाद की जिंदगी?

मेरठ

 24-04-2020 10:15 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

पुराना मुहावरा है जल्लाद की रस्सी मरने वाले की मदद करती है। जल्लाद सिर्फ ये जानता है कि उसने फंदा कितना मजबूत बनाया है, वो दोषी के प्रति कोई लगाव नहीं रखता। ये दुनिया के सबसे हैरतअंगेज और भावनात्मक रूप से कठोर काम में से एक है। 20 मार्च 2020 को पवन जल्लाद का नाम भारतीय जल्लादों के इतिहास में पहले नंबर पर आ गया क्योंकि उन्होंने निर्भया कांड के 4 दोषियों को एक साथ फांसी पर लटकाया था। इत्तेफाक से ये उनकी एकलौती फांसियां थीं। पवन जोकि मेरठ की चौथी पीढ़ी के जल्लाद हैं।

कैसी होती है एक भारतीय जल्लाद की जिंदगी
1. पहली फांसी का इंतजार

जल्लाद बनने की कोई ट्रेनिंग नहीं दी जाती, दोषियों को फांसी पर लटकाने का काम खुद सीखना होता है। पवन की ही कहानी लें , देश के गिने चुने जल्लादों में 52 वर्षीय पवन को पता था कि किसी भी वक्त उने फोन पर बुलावा आ सकता है, इसलिए वो औसत आदमी के वजन की रेत एक बैग में भरकर अपना अभ्यास करता रहता था। उत्तर प्रदेश के जेल प्रशासन के पास दो जल्लाद हैं, एक मेरठ में दूसरा लखनऊ में । तिहाड़ जेल प्रशासन ने इस साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश शासन से एक जल्लाद की मांग की थी। पवन को प्रतिमाह 5 हजार रुपये का भत्ता मिलता है। उसे इस काम के लिए चुना गया। पवन के पर पितामह लक्षमण और पितामह कालू को श्रीमती इंदिरा गांधी के हत्यारों को फांसी देने का दायित्व सौंपा गया था। उन दोनों के गुजर जाने के बाद पवन ने ये काम संभाल लिया। कालू ने खूंखार आतंकवादी बिल्ला और रंगा को फांसी पर चढाया था। पवन के पिता मामू 47 वर्षों तक राज्य के जल्लाद रहे। मेरठ का ये अंशकालिक कपड़ा विक्रेता शहर के बाहरी क्षेत्र में रहता है और लोगों से ज्यादा मिलता जुलता नहीं है। उसके परिवार में 7 लोग हैं। बेटा सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा है, वो जल्लाद नहीं बनना चाहता।
2. कहानी अजमल कसाब को फांसी चढ़ाने की
अजमल कसाब को फांसी देने का मौका हासिल करने के लिए जल्लादों की अर्जियों की लाइन लग गई। अजमल कसाब, 26/11 का आतंकवादी, जिसे जिन्दा पकड़ा गया था। तमाम आवेदनों में से सबसे उपयुक्त मामू सिंह का चयन किया गया। मामू सिंह रस्सी पर साबुन तेल लगाकर उसे इतना चिकना बना देते थे कि फांसी की प्रक्रिया आसान और तीव्र हो जाती थी। लेकिन कसाब को फांसी देने से पहले ही 66 वर्षीय मामू सिंह की 19 मई, 2011 को मौत हो गई।
3. जिसने कसाब को फांसी चढ़ाया
कसाब की फांसी के लिए जल्लादों के नाम तो बहुत थे लेकिन अंतिम रूप से बाबू जल्लाद , एक पुलिस कॉस्टेबल का चयन हुआ।कुछ समय पहले ही उसके बारे में लोगों को पता चला जब वो एक और आतंकवादी की फांसी के लिए नागपुर आया-याकूब मेनन , जुलाई 2015। अब बाबू जल्लाद उपनाम से इस दिग्गज जल्लाद को याद किया जाता है जिसने अनेक दोषियों को फांसी चढ़ाया जिसमें अजमल कसाब भी शामिल था। ज्यादा कुछ बाबू जल्लाद के बारे में पता नहीं है सिवाय इस तथ्य के कि 2012 में कसाब की फांसी के लिए उसे 5 हजार रुपये दिए गये थे।
4. कसाब के जल्लाद को नहीं पता था किसे फांसी चढ़ाना है
फांसी में पूरी गोपनीयता रखी गई सिर्फ कसाब को फांसी देने वाले की पहचान गुप्त नहीं थी बल्कि उस जल्लाद को भी ये पता नहीं था कि उसे किसे फांसी पर चढ़ाना है। वो यरवदा जेल में इंतजार कर रहा था और उसे सिर्फ ये बताया गया था कि एक बहुत ऊंचे दर्जे के अपराधी को लाया जा रहा है। कसाब को एक एकांत कमरे में ITBP कर्मियों ने घेर कर रखा था। बाबू जल्लाद को फांसी से चंद मिनट पहले अपराधी की सही पहचान पता चली, जिसको उसे फांसी चढ़ाना था।
5. जल्लाद जिसने 100 लोगों को फांसी चढ़ाया
कलकत्ता की अलीपुर सेंट्रल जेल के सरकारी जल्लाद नाटा मलिक ने अपने जीवन काल में 100 लोगों को फांसी चढ़ाया। सबसे महत्वपूर्ण फांसी धनंजय चैटर्जी की थी। उसपर नाबालिग हेतल पारेख से बलात्कार और उसकी हत्या का आरोप था।धनंजय की दोष सिद्धि पारिस्थितिक प्रमाणों पर आधारित थी। 14 साल जेल में उसपर मुकदमा चला, पर उसने कभी अपना अपराध स्वीकार नहीं किया। फिर उसे मौत की सजा देने का फैसला हुआ। नाटा मलिक द्वारा दी गई इस फांसी पर बाद में एक फिल्म बनी जो चर्चा में रही। 89 वर्ष में मलिक का निधन हुआ।
6. जल्लाद जो अपना काम गुप्त रखता है
लखनऊ के मुस्लिम मुहल्ले में सफेद दाढ़ी वाले अहमदुल्ला रहते हैं। 1965 में अपने पिता से बेटन प्राप्त करने के बाद आजीवन उन्होंने जल्लाद का काम किया। हालांकि वो अपनी पहचान अपने आसपास वालों से गुप्त रखते हैं क्योंकि उन्हें डर है कि उनकी जीविका के बारे में जानने के बाद समाज में उनकी सम्मान जनक स्थिति नहीं रहेगी। अहमदुल्ला को अपने उस कौशल पर गर्व है कि वो कम से कम पीड़ा फांसी पाने वाले को देते हैं। वो आतंकवादियों अक्षम्य और शातिर अपराधियों को फांसी दिए जाने के समर्थक हैं। हालांकि, एक फांसी उनके द्वारा ऐसे दोषी को दी गई थी जो आखिरी सांस तक अपने अपराध से इंकार करता रहा। अहमदुल्ला इस व्यवसाय में ज्यादा संभावनाएं नहीं देखते और उन्होंने तय किया है कि अपने परिवार के वो आखिरी जल्लाद होंगे।
7. सेवानिवृत्त जल्लाद जो मौत की धमकियों के बीच जीये
अर्जुन भीखा यादव जल्लाद का काम जारी रखने के इच्छुक नहीं थे। वो अपने काम के प्रति बड़ी ग्लानि महसूस करते थे। 1995 में वो रिटायर हो गए। सालों तक उनके बारे में किसी को कुछ नहीं पता था। वो एक से दूसरे गांव भागते रहते थे। अपने परिवार के साथ हमेशा पलायन की स्थिति में रहते थे क्योंकि बराबर उन्हें जान से मारने की धमकियां मिलती थीँ। रिटायरमेंट के 14 साल बाद अर्जुन भीखा यादव कसाब को फांसी देने की अपनी इच्छा लेकर आए। हालांकि वो आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी कठिनाइयों से जूझ रहे थे फिर भी उन्होंने ये काम मुफ्त में करने का फैसला किया।

जल्लाद-क्षेत्र और कार्य
जल्लाद को आमतौर पर एक वारंट दिया जाता था जो उन्हें मौत की सजा देने के लिए अधिकृत करता था। ये जल्लाद को हत्या के आरोप से सुरक्षा देता था। अलग-अलग प्रकार की मौत की सजाओं के लिए जल्लादों के अलग-अलग नाम होते थे। हैंगमैन (hanging) और हैड्समैन (beheading)। सेना में जल्लाद की भूमिका एक सिपाही निभाता था जैसे कि जेलर। जल्लाद को हुड तभी पहनाया जाता था जब जनता से उसकी पहचान छुपाई जाती थी। चूंकि ये काम कभी कभार होता है , तो बाकी समय में अन्य सामान्य कामकाज किये जाते हैं।
बहुत से जल्लाद व्यावसायिक विशेषज्ञ होते थे और निरंतर यात्रा में रहते हुए पना काम करते रहते थे क्योंकि मृत्यु दंड बहुत अधिक नहीं दिये जाते थे। इस क्षेत्र में जल्लाद को शारीरिक प्रतारणा (non lethal) का भी काम करना होता था। मध्यकालीन यूरोप से लेकर पूर्व आधुनिक काल तक जल्लाद अक्सर नैकर (knackers, एक व्यक्ति जिसका व्यवसाय मृत या अवांछित जानवरों का निपटान है, विशेष रूप से वे जिनके मांस मानव उपभोग के लिए उपयुक्त नहीं हैं।) का काम भी अपने गुजारे के लिए किया करते थे।

मध्यकालीन यूरोप में जल्लाद कुष्ठ रोगियों , वेश्याओं पर कर लगाते थे, घरों में जुआ खेलने पर रोक लगाते थे। साफ सफाई से लेकर जानवरों के शवों को भी ठिकाने लगाते थे। फ्रांस (France) में फ्रेंच क्रांति (French Revolution) के बाद गिलोटिन का प्रयोग 1977 तक होता रहा। फ्रेंच रिपब्लिक का जल्लाद सरकारी होता था, अंतिम जल्लाद मार्शल शेवलिएर (marcel chevalier) ने 1981 में औपचारिक मृत्युदंड समाप्ति तक सेवाएं दी। पश्चिमी यूरोप और उसके उपनिवेषों में जल्लादों का पड़ोसियों द्वारा बहिष्कार किया जाता था और नैकर के रूप में उनका काम भी नीची निगाह से देखा जाता था। अलेक्जैंडर ड्यूमा के थ्री मस्केटियर्स la veuve de saint pierre (the window of saint peter) फिल्म में छोटे छोटे जल्लादों के चरित्रों का ग्रामीणों ने बहिष्कार किया। कभी कभी जल्लादों का काम पूरा परिवार करता है। खासतौर पर फ्रांस में जहां सेनसन परिवार (Sanson Family) ने 1688-1847 के बीच 6 जल्लाद उपलब्ध कराए। ब्रिटेन के प्रसिद्ध पिएर्रेपॉइंटस (pierrepoints) वंश द्वारा तीन जल्लाद 1902-1956 के बीच उपलब्ध कराये गये। बाकी यूरोप के विपरीत ब्रिटिश जल्लादों को सामाजिक पहचान और जनता से सम्मान मिला। आज के जापान में मृत्यु दंड व्यावसायिक जल्लादों से ना करा के जेल के सुरक्षा कर्मचारियों द्वारा दिलवाया जाता है।

किन देशों में अभी भी मृत्युदंड लागू है?
पिछले दशकों में बहुत से देशों ने मृत्यु दंड को समाप्त कर दिया है। लेकिन कुछ देशों में ये अभी भी जारी है। 2018 के अंतिम समय में , 52 देशों में अभी मृत्यु दंड बरकरार है। इनमें लटकाना, गोली मारना, लीथल इंजेक्शन (Lethal Enjaction), बिजली का करंट और सिर कलम करना शामिल है। खाड़ी देशों में चल रहे संघर्ष के कारण एमनेस्टी ये बताने में असमर्थ है कि सीरिया , लीबिया और यमन में मौत की सजा बरकरार है या नहीं। मध्य पूर्वी और उत्तरी अफ्रीका में बड़ी संख्या में मौत की सजा दी जाती है। पाकिस्तान में ये कानूनी दंड है। एक इस्लामिक देश में इस्लामिक कानूनों का पालन होना चाहिए। पाकिस्तान पीनल कोड लिस्ट के अनुसार 27 अलग-अलग अपराधों में मृत्यु दंड का प्रविधान है। पाकिस्तान में फांसी द्वारा ही मृत्यु दंड दिया जाता है। यूनाइटेड स्टेट्स में 2018 में 8 राज्यों में 25 लोगों को मौत की सजा दी गई। 2018 में मलेशिया ने मृत्यु दंड की समाप्ति का ऐलान किया। जिससे 1200 लोग बच गये। बेलारूस अकेला यूरोपिय देश है जिसने मृत्युदंड समाप्त नहीं किया है। 2017 में 2 और 1990 से अबतक 200 लोग मृत्यु दंड पा चुके हैं।

चित्र (सन्दर्भ):
1.
मुख्य चित्र में जल्लाद को प्रदर्शित संकेत के रूप में फांसी के दिखाया गया है।, Pxfuel
2. दूसरे चित्र में मेरठ के चौथी पीढ़ी और निर्भया काण्ड के आरोपियों को फांसी देने वाले पवन जल्लाद को दिखाया गया है।, Prarang
सन्दर्भ:
1.
https://bit.ly/3ax2Y7p
2. https://www.storypick.com/hangman/
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Executioner
4. https://bit.ly/2S3sYAX

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