धरती पर विभिन्न प्रकार के जीव मौजूद हैं, जो अपनी विभिन्न विशेषताओं के लिए जाने जाते हैं। इन्हीं जीवों में से एक जीव कांस्य-पंख वाला जाकाना (bronze-winged jacana) भी है, जिसे वैज्ञानिकों द्वारा मेटोपिडियस इंडिकस (Metopidius indicus) नाम दिया गया है। यह पक्षी दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है, जो वंश मेटोपिडियस (Metopidius) की एकमात्र प्रजाति है। जाकाना तैरती हुई जलीय वनस्पति (जैसे-लिली (lilies)) पर विचरण करता है। इस पक्षी की मुख्य विशेषता यह है कि इसके पैर तथा पैरों की उंगलियां बहुत लम्बी होती है। पैरों के नाखून उंगलियों से भी लंबे होते हैं जोकि इसे जलीय वनस्पति में विचरण करने के लिए संतुलन प्रदान करते हैं। मेरठ में भी इन पक्षियों को एकल या जोडे में जलीय वनस्पति की सतह पर विचरण करते देखा जा सकता है। यह प्रजाति व्यापक रूप से भारतीय उपमहाद्वीप (लेकिन श्रीलंका या पश्चिमी पाकिस्तान नहीं) और दक्षिण पूर्व एशिया में कम ऊंचाई वाले स्थानों पर पायी जाती है। कांस्य-पंख वाले ये पक्षी शरीर में बड़े तथा छोटी पूंछ वाले होते हैं, जोकि कुछ दूरी से देखने पर काले रंग के दिखाई देते हैं (सुपरसिलियम -supercilium को छोड़कर)। ये पक्षी लगभग 29 सेंटीमीटर तक बढ़ सकते हैं। इनके पंख हरे रंग की चमक के साथ भूरे रंग के होते हैं जबकि सिर, गर्दन और स्तन प्रायः काले रंग के होते हैं तथा आंख से गर्दन के पीछे तक थोड़ा हिस्सा सफ़ेद रंग का होता हैं।
इन पक्षियों की पूंछ काले टर्मिनल बैंड (terminal band) के साथ मोटी और लाल-भूरे रंग की होती है, जबकि चोंच हरे-पीले रंग की होती है जिसका आधार लाल होता है। प्रायः ये पक्षी भोजन के लिए पौधों पर निर्भर रहते हैं, किन्तु तैरती हुई जलीय वनस्पति की सतह से कीड़ो और अन्य अकशेरुकीय जीवों का शिकार कर लेते हैं। विभिन्न गतिविधियों के लिए ये पक्षी सीक-सीक-सीक (Seek-seek-seek) की ध्वनि उत्पन्न करते हैं। यूं तो नर और मादा पक्षी समान होते हैं, किंतु मादा पक्षी का आकार नर पक्षी से बडा होता है। इनकी एक अन्य विशेषता यह है कि ये पक्षी विपरीत लिंग भूमिकाएं प्रदर्शित करते हैं, जैसे मादा आकार में बडी तथा पॉलीएंड्रस (polyandrous) होती है। पॉलीएंड्रस एक संभोग पैटर्न (pattern) है, जिसमें मादा पक्षी एकल प्रजनन काल में एक से अधिक नर के साथ संभोग करते हैं। अपने अंडों के समूह को सेने (incubate) तथा अन्य मादा पक्षियों से प्रतिस्पर्धा करते हुए वे नर पक्षियों के हरम (harem) भी बनाती है। एक हरम में एक या चार नर पक्षी हो सकते हैं। मादा पक्षी अपने-अपने क्षेत्रों का निर्माण भी करती है। प्रत्येक महिला क्षेत्र में एक से चार नर उनके व्यक्तिगत क्षेत्र में शामिल होते हैं। वजनी नर पक्षी अपने पंखों को फैलाकर तथा गर्दन को खींचकर अन्य नर पक्षियों से अपने क्षेत्र की रक्षा करते हैं। अंडों को सेने तथा स्थानों की रक्षा करने का कार्य नर पक्षी को सौंपा जाता है। संकट या भय की स्थिति में नर पक्षी युवा पक्षियों को अपने पंखों के नीचे रखकर इधर-उधर ले जाने में सक्षम होते हैं।
भारत में जाकाना पक्षियों के लिए प्रजनन का मौसम बारिश के बाद जून से सितंबर तक शुरू होता है, लेकिन राजस्थान में कभी-कभी ये मार्च में होने वाली बारिश में प्रजनन करते हैं। ये अपना घोंसला जलीय वनस्पति में मौजूद पिस्टिया (Pistia), निम्फाइड्स (Nymphoides), हाइड्रिला (Hydrilla) आदि के पत्तों पर बनाते हैं, किन्तु अंडे कमल के पौधे के पत्तों पर भी दे सकते हैं। अंडे बहुत ही शंक्वाकार, अनियमित काले ज़िग-ज़ैग (zig-zag) चिह्नों के साथ चमकदार भूरे रंग के होते हैं, जोकि 29 दिनों में तैयार हो जाते हैं। दस सप्ताह के होने पर युवा पक्षी अपने पिता से स्वतंत्र हो जाते हैं। अब तक करीब 33,987 जाकाना पक्षियों का पर्यवेक्षण किया जा चुका है। आईयूसीएन (International Union for Conservation of Nature -IUCN) द्वारा जाकाना को सबसे कम चिंताजनक (least concern) की श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Bronze-winged_jacana
2. https://ebird.org/species/brwjac1
3. https://www.hbw.com/species/bronze-winged-jacana-metopidius-indicus
चित्र सन्दर्भ:
1. Picryl.com - Jacana Bronze
2. pixabay.com - Asian Jacana
3. youtube.com - Jacana Bronze wing
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