धरती पर पाये जाने वाले पशु लोगों को कई तरीकों से लाभ पहुंचाते हैं, और यही कारण है कि लोग अपने दैनिक जीवन में पशुओं के करीब हैं। दुनिया भर में पशुओं का इस्तेमाल भोजन, फाइबर (Fiber/Fur/Wool), आजीविका, यात्रा, खेल, साहचर्य और शिक्षा प्रदान करने के लिए किया जाता है। इस वजह से किसी न किसी कारण से हम जानवरों के संपर्क में आ जाते हैं। हालांकि पशुओं के द्वारा हम अनेक रूपों से लाभांवित होते हैं किंतु कभी-कभी इनका सम्पर्क हमारे लिए समस्या का कारण भी बन जाता है। ऐसी स्थिति में पशु हानिकारक कीटाणुओं के वाहक बन जाते हैं जोकि लोगों में फैलते हैं तथा बीमारी का कारण बनते हैं। इस प्रकार उत्पन्न हुआ रोग ज़ूनोटिक (Zoonotic) रोग के रूप में जाना जाता है। ज़ूनोसेस (Zoonoses) या ज़ूनोटिक रोग, जीवाणु, विषाणु, या परजीवी के कारण होने वाला एक संक्रामक रोग है जो अमानवीय जीवों (अधिकतर कशेरुकी जीव) से मनुष्यों में फैलता है। इबोला (Ebola) विषाणुजनक रोग और साल्मोनेलोसिस (Salmonellosis) जैसी प्रमुख आधुनिक बीमारियाँ ज़ूनोसेस का उदाहरण हैं।
20वीं सदी के शुरुआती दौर में एचआईवी (HIV) मनुष्यों में फैलने वाला एक ज़ूनोटिक रोग था, हालांकि अब यह एक अलग मानव-मात्र बीमारी के रूप में उत्परिवर्तित हो गया है। इन्फ्लूएंज़ा (Influenza) के अधिकांश उपभेद जो मनुष्यों को संक्रमित करते हैं वे मानव रोग हैं, हालांकि बर्ड फ्लू (Bird flu) और स्वाइन फ्लू (Swine flu) के कई उपभेद ज़ूनोसेस हैं। ये विषाणु कभी-कभी फ्लू के मानव उपभेदों के साथ पुनर्संयोजन करके 1918 स्पेनिश फ्लू (Spanish flu) या 2009 के स्वाइन फ्लू जैसी महामारी का कारण बन सकते हैं। लगभग 1,415 रोगजनकों को मनुष्यों को संक्रमित करने वाले रोगजनकों के रूप में जाना जाता है। इनमें से 61% रोगजनक ज़ूनोटिक हैं। ज़ूनोसेस संचरण के विभिन्न तरीके हैं। प्रत्यक्ष ज़ूनोसिस में यह रोग अन्य जानवरों से मनुष्यों में कई साधनों, जैसे हवा (इन्फ्लूएंज़ा) या जानवर के काटने और उसकी लार (रेबीज़/Rabies) के माध्यम से फैलता है। इसके विपरीत, संचरण एक मध्यवर्ती प्रजाति (वेक्टर के रूप में संदर्भित) के माध्यम से भी हो सकता है, जो स्वयं संक्रमित हुए बिना रोग के रोगज़नक़ों को फैलाती है।
चीन के वुहान (Wuhan) शहर से शुरू हुआ वर्तमान प्रकोप कोरोना-कोविड-19 (Corona-COVID-19) भी एक ऐसा ही रोग है, जो चमगादड़ में निहित वायरस (Virus) से उपजा है। जितने भी संक्रामक रोग आज के समय में उभर रहे हैं, वे ज्यादातर वन्यजीवों से ही आए हैं। मानव में इस प्रकार के रोगाणुओं का संचरण उन जानवरों द्वारा होता है जो मानव के समीप होते हैं। या यूं कह सकते हैं कि जानवरों को पालने वालों में ये रोगाणु आसानी से संचरित हो जाते हैं। 2002 में चीन में फैले SARS (Severe acute respiratory syndrome) का स्रोत भी एक वन्यजीव ही था जोकि सिवेट (Civet) बिल्ली थी। यूं तो यह माना जाता है कि संक्रमण का मुख्य कारण वन्यजीवों का उपभोग है, किंतु वास्तव में जब तक इसे पकाया और तैयार किया जाता, तब तक जीव के अंदर निहित रोगाणु मर चुका होता। इससे यह स्पष्ट होता है कि रोगाणु का संचरण तब होता है जब लोग इसके पोषिता या होस्ट (Host) के सम्पर्क में होते हैं या उनका वध करते हैं। इन पशुओं से निकले शारीरिक तरल पदार्थ, रक्त या अन्य स्राव के संपर्क में आने से रोगाणु का संचरण हो जाता है।
कुछ रोगाणुओं जैसे विषाणु में अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए कोई मशीनरी (Machinery) नहीं है। वे एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र की तलाश करते हैं जिसमें प्रतिकृति के लिए आवश्यक अन्य सभी सेलुलर मशीनरी (Cellular machinery) हों। इसी उद्देश्य से वे मानव शरीर को भी संक्रमित करते हैं। वायरल ज़ूनोसिस (Viral zoonosis) मनुष्यों और अन्य जानवरों में प्रत्यक्ष बीमारी का कारण बनता है। अक्सर विषाणु और इसके पोषिता पशु एक साथ विकसित होते हैं तथा एक साथ ही रहना सीखते हैं। संक्रमण प्राकृतिक पोषिता जानवरों के बीच स्वतंत्र रूप से फैल सकता है। हालांकि बीमारी के कोई संकेत दिखाई नहीं देते लेकिन यह संतुलन कई कारकों से बिगड़ सकता है। जैसे कि तनाव, पर्यावरण की बदलती स्थिति तथा विषाणु और पोषिता दोनों में उत्परिवर्तन। एक अप्राकृतिक पोषिता का संक्रमण नैदानिक रोग का कारण हो सकता है लेकिन यह विषाणु को आगे नहीं फैलाता। एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या होने के साथ-साथ कई ज़ूनोटिक रोग पशु से उत्पन्न भोजन के कुशल उत्पादन को रोकते हैं तथा पशु उत्पादों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए बाधाएँ पैदा करते हैं। ये रोगाणु लोगों और जानवरों में कई तरह की बीमारियों का कारण बन सकते हैं, जिनमें हल्के से लेकर गंभीर बीमारी और यहां तक कि मौत भी शामिल है। संयुक्त राज्य अमेरिका और दुनिया भर में, ज़ूनोटिक रोग बहुत आम हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि लोगों में हर 10 ज्ञात संक्रामक रोगों में से 6 से अधिक रोग जानवरों से फैल सकते हैं। प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष, वाहक जनित, खाद्यजनित, जलजनित आदि माध्यमों से इन रोगों का रोगाणु मानव शरीर तक पहुंचता है। ऐसे लोग जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर है, 65 से अधिक उम्र के वयस्क, 5 वर्ष से छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं आदि में इन रोगाणुओं से संक्रमित होने की सम्भावना बहुत अधिक होती है।
रोगाणुओं के संक्रमण से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं:
• हाथ साफ रखें।
• जानवरों के आसपास होने के बाद भी हमेशा अपने हाथ धोएं, भले ही आपने जानवरों को नहीं छुआ हो।
• हाथ धोने के लिए साबुन का प्रयोग करें, यदि साबुन और पानी आसानी से उपलब्ध नहीं हों, तो एल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइज़र (Alcohol-based hand sanitizer) का भी उपयोग किया जा सकता है।
• मच्छरों, पिस्सू इत्यादि के काटने से बचें।
• भोजन को दूषित न होने दें तथा सुरक्षित रूप से संभालने के तरीकों के बारे में जानें।
• जानवरों के काटने और खरोंचने से बचें।
सन्दर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Zoonosis
2. https://www.cdc.gov/onehealth/basics/zoonotic-diseases.html
3. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/8341189
4. https://www.who.int/topics/zoonoses/en/
5. http://nautil.us/issue/83/intelligence/the-man-who-saw-the-pandemic-coming
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