शहरी ऊष्मा द्वीप में बदल रहा है भारत

मेरठ

 25-03-2020 02:10 PM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

हम में से अधिकांश ने लोगों को यह कहते हुए अक्सर सुना होगा कि, इस साल काफी भीषण गर्मी हुई है। ऐसे ही भारतीय शहरों में भी असामान्य रूप से उच्च तापमान की वजह से होने वाली गर्मी से संबंधित मौतों में वृद्धि को देखा जा सकता है। हालांकि, भारत में ग्रीष्म लहरें काफी आम हैं लेकिन हाल के वर्षों में ये लहरें अधिक बारंबार, तीव्र और लंबी हो गई हैं, जो आंशिक रूप से शहरी ऊष्मा द्वीपों के प्रभाव के कारण हो रही हैं। जहां भारत में बहुत तेज़ी से शहरीकरण हो रहा है, इस तेजी से शहरीकरण के परिणामस्वरूप भूमि के उपयोग में भी काफी परिवर्तन देखा जा सकता है। पिछले चार दशकों में, दिल्ली में निर्मित क्षेत्र में 30.6% की वृद्धि देखी गई, जबकि खेती वाले क्षेत्रों में 22.8% और घने जंगल में 5.3% की कमी आई है। इस बढ़ते शहरीकरण का प्रभाव न सिर्फ बढ़ते प्रदूषण की ओर इशारा करता है बल्कि ये ‘शहरी ऊष्मा द्वीप’ के क्षेत्रों में भी वृद्धि की ओर संकेत करता है। शहरी ऊष्मा द्वीप के प्रभाव को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रों में से मेरठ में भी देखा जा सकता है।

एक शहरी ऊष्मा द्वीप एक ऐसा क्षेत्र होता है जो अपने उपनगरीय और ग्रामीण परिवेश की तुलना में काफी गर्म होता है। साथ ही शहरी ऊष्मा द्वीप गर्मियों और सर्दियों के दौरान सबसे अधिक रूप से दिखाई देते हैं। शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव का मुख्य कारण भूमि की सतहों का संशोधन है। क्योंकि अधिक खुली जगह, पेड़-पौधों और अधिक घास से परिपूर्ण गांवों की तुलना में शहरों में पत्थर के फर्श, सड़क और छत बनाने में बजरी, डामर और ईंट जैसी सामग्रियों का उपयोग होता है, जो अपारदर्शी होते हैं और प्रकाश को संचारित नहीं करते हैं। वहीं शहरी ऊष्मा द्वीप की उत्पत्ति में अन्य योगदान कारक पानी, प्रदूषण और ऊर्जा के गंदे स्रोतों पर निर्भर आर्थिक गतिविधि है। ब्लैक कार्बन एयरोसोल (Black Carbon Aerosol) या वाहनों के उत्सर्जन से कालिख और कुछ घरों में खाना पकाने के लिए कोयले और लकड़ी को जलाने से बड़ी मात्रा में सौर विकिरण होता है। केवल ये ही नहीं, जनसंख्या भी तापमान की वृद्धि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जैसे ही कहीं जनसंख्य में वृद्धि होती है वैसे ही उस क्षेत्र का औसत तापमान भी बढ़ता रहता है। इसके साथ ही शहरों में मौजूद उद्योगों और वाहनों से होने वाला प्रदूषण वहां की हवा की गुणवत्ता भी कम करता है और उपनगरों की तुलना में यहां पदार्थों के महीन कण और धूल भी अधिक होती है।

शहरी ऊष्मा द्वीपों की वृद्धि से भयावह प्रभावों को देखा जा सकता है, जैसे कि ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में यहां गर्म क्षेत्रों में रहने वाले कीट जैसे चींटियाँ अधिक मात्रा में पाई जाती हैं। इसके साथ ही यह अन्य जानवरों के स्वास्थ्य में हानि और उनके खाने के स्रोतों में कमी को उत्पन्न करता है। इसके साथ ही शहरी ऊष्मा द्वीप में शहरी निवासियों के स्वास्थ्य और कल्याण को सीधे प्रभावित करने की क्षमता भी है। अकेले संयुक्त राज्य अमेरिका में ही, औसतन 1,000 लोग प्रति वर्ष अत्यधिक गर्मी के कारण मारे जाते हैं। सभी शहरों में एक अलग शहरी ऊष्मा द्वीप नहीं होता है और ऊष्मा द्वीप विशेषताएँ उस शहर के क्षेत्र की जलवायु पर दृढ़ता से निर्भर करती हैं। शहरी ऊष्मा द्वीप के प्रभाव को हरी छतों (ऐसी छत जिस पर कुछ वनस्पति उगाई गयी हो) के उपयोग और शहरी क्षेत्रों में हल्के रंग की सतहों के उपयोग के माध्यम से कम किया जा सकता है, जो अधिक धूप को प्रतिबिंबित और कम ऊष्मा को अवशोषित करने में मदद करेगा।

पेड़ पौधों में वाष्पोत्सर्जन की गुणवत्ता पायी जाती है जो पेड़ और पौधों से पानी को वाष्प में परिवर्तित कर आसपास के वायुमंडल में छोड़ने का कार्य करती है। उपनगरों और ग्रामीण क्षेत्रों में घास और पेड़-पौधे यह कार्य करते हैं और तापमान को कम करते हैं। लेकिन शहरों में वाष्पोत्सर्जन कम होता है जिसके कारण शहर का तापमान, आसपास के क्षेत्रों की तुलना में अधिक हो जाता है। जिसके लिए जितना संभव हो सके अपने आसपास भवनों, स्कूलों, घरों और अपार्टमेंट (Apartment) परिसरों के बीच अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाने की कोशिश करें।

संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Urban_heat_island
2. https://www.citylab.com/environment/2019/08/heat-wave-india-urban-island-effect-climate-global-warming/596371/
3. https://www.thehindu.com/sci-tech/science/urban-heat-islands-in-india/article30830560.ece

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id