भारत की विश्व प्रसिद्ध लोक कला, गोंड

मेरठ

 23-03-2020 01:50 PM
द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

भारत दुनिया के उन कुछ गिने चुने देशों में से है जहाँ पर बड़ी संख्या में आदिवासी आज भी निवास करते हैं। भारत में कई आदिवासियों की जनजातियाँ निवास करती हैं, जिनकी सभ्यता, रहन-सहन, कला, साज-सज्जा, खान-पान आदि सबसे भिन्न होता है। ये जनजातियाँ आज भी अपने हज़ारों सालों से चली आ रही शैली के अनुसार ही निवास करती आ रही हैं। इन जनजातियों में मुख्य हैं कोल, गोंड, भील आदि। प्रस्तुत लेख गोंड जनजाति और उनकी लोक कलाओं को मद्देनज़र रखकर तैयार किया गया है।

गोंड कला को समझने से पहले हमें इनके इतिहास को समझने की आवश्यकता है। गोंड जनजाति मध्य प्रदेश, ओड़िसा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र आदि स्थानों पर पाई जाती है। इस जनजाति का इतिहास करीब 1400 वर्ष पुराना है। इस जनजाति का योगदान जल जंगल ज़मीन की लड़ाई के लिए भी ब्रितानी शासन के दौरान रहा था। गोंड जनजाति अपनी कला, जो कि मुख्य रूप से चित्रकला के रूप में जानी जाती है, के लिए हमेशा से ही मशहूर रही है। इस जनजाति की धारणा यह रही है कि एक सुन्दर तस्वीर एक अच्छे सौभाग्य को जन्म देती है। और यही कारण है कि इस जनजाति के लोग घरों के फर्श पर और यहाँ तक कि शरीर पर भी टैटू (Tattoo) या चित्रकारी करते हैं। गोंड कला में परिधान का भी एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण स्थान है। इनके परिधान में हमें कला के विभिन्न नमूने दिखाई देते हैं जो कि प्रकृति और जंगल से ही सम्बंधित होते हैं। चित्रकारी के साथ ही साथ गोंड संगीत में भी महारथ रखते हैं। गोंड कला में संगीत का भी अंकन हमें देखने को मिलता है। गोंड जनजाति वर्तमान भारत में सबसे बड़ी जनजाति के रूप में जानी जाती है।

गोंड शब्द द्रविड़ भाषा से आता है। गोंड का दूसरा शब्द ‘कोंद’ भी है जिसका अर्थ होता है हरा पहाड़। अब जैसा कि हम द्रविड़ भाषा की बात कर रहे हैं तो यह जानना अत्यंत ही महत्वपूर्ण हो जाता है कि ‘द्रविड़’ शब्द खुद दक्षिण भारत का है परन्तु गोंड मुख्य रूप से मध्य प्रदेश में पाए जाते हैं। गोंड कला एक अत्यंत महत्वपूर्ण कला है। इसी का फल है कि इसे संरक्षित करने का कदम भारत सरकार ने उठाया है। गोंड कला में मेसोलिथिक (Mesolithic) काल की चित्रकारी की झलक देखने को मिलती है। इस काल के चित्र विभिन्न गुफा चित्रों में हमें देखने को मिल जाते हैं।

गोंड कला में प्रेरणा की बात करें तो इनकी प्रेरणा मुख्य रूप से नदी, चट्टान, पेड़, पौधे, आदि से आती है। जैसा कि गोंड एक जनजाति है, तो ये मुख्य रूप से जंगल में ही निवास करते हैं अतः इनका प्रेरणा स्रोत जंगल होना लाज़मी है। ये जाति जंगल को अति पवित्र मानती है तथा इनको बड़ी श्रद्धा के साथ देखती है। गोंड चित्रकारी में मानव और प्रकृति के मध्य के सम्बन्ध को देखा जा सकता है। ये मात्र प्रकृति ही नहीं बल्कि किंवदंतियों से भी प्रेरणा लेते हैं जो इनकी कला में हमें दिखाई देता है। इनके चित्रों में एक रेखा द्वारा चित्र को तराशा जाता है जिसमें सफ़ेद, लाल, नीले और पीले उज्जवल रंगों का प्रयोग बड़ी मात्रा में किया जाता है। गोंड कला में प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया जाता है। वर्तमान समय में गोंड कला वैश्विक रूप से अत्यंत ही महत्वपूर्ण है तथा यह दुनिया भर में जानी जाती है। इसका एक अत्यंत ही बड़ा और सुन्दर बाज़ार भी आज बन चुका है।

सन्दर्भ:
1.
https://www.utsavpedia.com/motifs-embroideries/gond-painting/
2. https://www.deccanfootprints.com/collections/gond-art
3. https://engrave.in/blog/gond-art/
4. https://theculturetrip.com/asia/india/articles/the-tragic-discovery-of-indias-gond-tribal-art/

RECENT POST

  • तज्ञ शहरीवादी– जेन जैकोब्स के विचार, मेरठ जैसे विकासशील शहर के लिए आज भी है उपयुक्त
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     26-04-2024 10:13 AM


  • पंचायती राज दिवस विशेष: जानें भारत में पंचायती राज का विकास क्यों व कैसे हुआ?
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     25-04-2024 09:34 AM


  • विश्व पुस्तक दिवस पर पांडुलिपियों का दर्शन, भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट, पुणे में
    धर्म का उदयः 600 ईसापूर्व से 300 ईस्वी तक

     24-04-2024 09:32 AM


  • आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमानजी
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     23-04-2024 10:26 AM


  • विश्व पृथ्वी दिवस पर जानें, क्या अंटार्कटिका को पर्यटन के लिए खुला होना चाहिए या नहीं?
    जलवायु व ऋतु

     22-04-2024 09:59 AM


  • ये हैं देश-दुनिया के सबसे सुंदर पक्षी, जिनकी एक झलक ही मन मोह लेती है
    पंछीयाँ

     21-04-2024 10:10 AM


  • महावीर ने कैसे साबित किया कि क्षमादान ही है, महादान
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     20-04-2024 10:07 AM


  • वाराणसी के एक अंग्रेज मानचित्रकार जेम्स प्रिंसेप ने किया था ब्राह्मी लिपि का गूढ़वाचन
    ध्वनि 2- भाषायें

     19-04-2024 09:41 AM


  • विश्वभर के संकटग्रस्त प्राकृतिक व् सांस्कृतिक विरासत स्थल, तथा इनके संरक्षण का महत्त्व
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     18-04-2024 09:46 AM


  • राम नवमी विशेष: कई समानताओं के बावजूद चैत्र और शारदीय नवरात्रि में होते हैं, बड़े अंतर
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     17-04-2024 09:37 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id