19वीं शताब्दी को हम एक ऐसे युग के रूप में जानते हैं जिसमें कई सारे आविष्कार हुए और उन्हीं आविष्कारों से 20वीं शती, जिसको कि विज्ञान का युग कहते हैं, का जन्म हुआ। यह वह समय था जब दुनिया ने पृथ्वी के बाहर जाने के बारे में सोचना शुरू किया और यहीं से शुरू होती है एक कहानी जिसने दुनिया को पृथ्वी के बाहर की दुनिया के बारे में बताना शुरू किया। भारत अपनी आज़ादी के बाद से ही इस दौड़ में शामिल हो गया था और आर्यभट्ट उपग्रह के साथ उसे ये कामयाबी आज़ादी के 3 ही दशकों में मिल गयी। आर्यभट्ट के प्रक्षेपण के साथ ही भारत उन चंद देशों की गिनती में आ गया जो कि अंतरिक्ष में पहुँचने में कामयाबी प्राप्त कर चुके थे। इसरो (ISRO) भारत की अन्तरिक्ष गतिविधि सम्बंधित संस्था है जो कि अंतरिक्ष में यान आदि प्रक्षेपण का कार्य करती है। भारत ने चंद्रयान और मंगलयान आदि जैसे अंतरिक्ष यान भेज कर यह भी सिद्ध कर दिया कि यह विश्व स्तर पर एक महत्वपूर्ण ताकत है। अभी हाल ही में भारत ने 2022 तक अंतरिक्ष में मानव युक्त अंतरिक्ष यान भेजने की योजना की बात की। इसी के साथ भारत ने अपने अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बनाये गए अंतरिक्ष सूट (Spacesuit) का भी प्रदर्शन किया। इस लेख में हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर अंतरिक्ष यान में कौन सी धातु, कपड़ों आदि का प्रयोग होता है।
अभी हाल ही में भारतीय ह्युमन स्पेसफ्लाइट प्रोग्राम (Human Spaceflight Programme) की शुरुआत की गयी। यह प्रोग्राम 2007 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा आरम्भ किया गया था। इस प्रोग्राम का मुख्य मकसद था मानव सहित अंतरिक्ष यानों को अंतरिक्ष में भेजना। जब यह प्रोग्राम शुरू किया गया था तब यह माना जा रहा था कि यह दिसंबर 2021 के माह में उड़ान भरेगा जिसमें तीन सदस्यों की पूरी टोली रहेगी। अगस्त 2018 में गगनयान मिशन की घोषणा के साथ ही इस राह में कदम और तेज़ी से बढ़ने शुरू हो गए। सत्यता यह भी है कि यह मिशन (Mission) यदि सफल हो गया तो भारत सोवियत संघ/ रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद स्वतंत्र रूप से मानव सहित अंतरिक्ष में पहुँचने वाला चौथा देश बन जाएगा। जैसा कि यह लेख अंतरिक्ष यात्री के सूट के ऊपर है तो हम पहले बात करते हैं कि आखिर अंतरिक्ष यात्रियों को जो सूट दिया जाता है उस में कौन सा कपड़ा प्रयोग किया जाता है? अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बनाए गए सूट में बीटा क्लॉथ (Beta Cloth) नाम का कपड़ा प्रयोग में लाया जाता है जो कि एक प्रकार का सिलिका फाइबर (Silica Fibre) से बना कपड़ा होता है। यह कपड़ा अग्निरोधक होता है तथा इसका प्रयोग अपोलो (Apollo) आदि में भी किया गया था।
बीटा कपड़े में फाइबरग्लास (Fibreglass) के समान ही महीन बुना हुआ सिलिका फाइबर होता है जिसका मतलब यह है कि करीब 650 डिग्री सेल्सियस से अधिक का तापमान होने पर यह पिघल जाएगा तथा यह जलेगा नहीं। भारत ने स्पेस सूट को यहीं भारत में ही डिज़ाइन (Design) किया और उसे अभी हाल ही में एक स्पेस एक्सपो (Space Expo) में प्रदर्शित भी किया। मज़े की बात यह है कि यह कपड़ा सभी साजोसज्जा के साथ भी मात्र 5 किलोग्राम का ही है तथा रंग में इसे नारंगी रंग का बनाया गया है। ये कपड़े एक ऑक्सीजन सिलेंडर (Oxygen Cylinder) से भी लैस हैं जो कि एक घंटे तक अंतरिक्ष यात्री को ऑक्सीजन प्रदान करेगा। यह कपड़ा ऐसी तकनीक से बना है जो कि शीतलता भी प्रदान करेगी जिससे अंतरिक्ष यात्री को गर्मी नहीं लगेगी। ऐसा इस प्रकार से होता है कि इसमें एक पतली स्पैन्डेक्स (Spandex) की परत का भी इस्तेमाल किया गया है जिसके ऊपर से कई नलियां गुज़रती हैं जो कि पानी अपने अन्दर से प्रवाहित करेंगी जिससे कपड़े के अन्दर रहने वाले व्यक्ति को शीतलता मिलेगी। इस प्रकार से हम देख सकते हैं कि इस प्रकार के सूट में हर वो सुविधा उपलब्ध है जो कि एक अंतरिक्ष यात्री को चाहिए।
सन्दर्भ:
1. https://www.space.com/41774-india-unveils-spacesuit-design-gagayaan-2022.html
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Indian_Human_Spaceflight_Programme#History
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Beta_cloth
4. https://bit.ly/2vzLeK8
5. https://www.azom.com/article.aspx?ArticleID=12007
चित्र सन्दर्भ:
1. (Image: © Pallava Bagla/Corbis/Getty)
2. https://i.ytimg.com/vi/56he7AslWY8/maxresdefault.jpg
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