जैन वास्तुकला का महत्वपूर्ण उदाहरण पेश करता है, दिगम्बर जैन मंदिर

मेरठ

 12-03-2020 01:30 PM
वास्तुकला 1 वाह्य भवन

मेरठ में ऐसे कई मंदिर है, जो वास्तुकला का महत्वपूर्ण उदाहरण पेश करते हैं। मेरठ के निकट स्थित दिगम्बर जैन मंदिर शहर की वास्तुकला का महत्वपूर्ण उदाहरण है, जिसे श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर हस्तिनापुर, के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर सबसे पुराना जैन मंदिर है जोकि 16 वें जैन तीर्थंकर, श्री शांतिनाथ को समर्पित है। वर्ष 1801 में इस विशाल मंदिर का निर्माण राजा हरसुख राय के तत्वावधान में हुआ था, जो बादशाह शाह आलम द्वितीय के शाही कोषाध्यक्ष थे। मंदिर परिसर जैन तीर्थंकरों को समर्पित जैन मंदिरों के एक समूह से घिरा हुआ है, जो मुख्यतः 20 वीं शताब्दी के अंत में बनाये गये थे। मानस्तंभ, त्रिमूर्ति मंदिर, नंदीश्वर्दवीप (Nandishwardweep), समवसरण रचना, अंबिका देवी मंदिर, श्री बाहुबली मंदिर, श्री आदिनाथ मंदिर, कीर्ति स्तम्भ पांडुकशिला आदि यहां के प्रमुख मंदिर और स्मारक हैं, जो जैन वास्तुकला का महत्वपूर्ण उदाहरण पेश करते हैं।

श्री श्वेतांबर मंदिर के तत्वावधान में निर्मित अष्टापद तीर्थ की 151 फीट ऊँची संरचना अपनी वास्तुकला और नक्काशी के लिए उल्लेखनीय है। जैन वास्तुकला आमतौर पर हिंदू मंदिर वास्तुकला और प्राचीन काल की बौद्ध वास्तुकला के समान ही है। 1,000 से अधिक वर्षों तक हिंदू या अधिकांश जैन मंदिरों में मुख्य मूर्ति या पंथ छवियों के लिए छोटा गर्भगृह या अभयारण्य होता था। मरू-गुर्जर (Māru-Gurjara) वास्तुकला या सोलंकी शैली, गुजरात और राजस्थान की विशेष मंदिर शैली है जो हिंदू और जैन दोनों मंदिरों में 1000 शताब्दी के आसपास उत्पन्न हुई, लेकिन जैन संतों के साथ स्थायी रूप से लोकप्रिय हो गई। इसके संसोधित रूप अभी भी चलन में हैं। यह शैली दिलवाड़ा में माउंट आबू, तरंगा, गिरनार और पलिताना में तीर्थ मंदिरों के समूहों में देखी जाती है। जैन मंदिर विभिन्न वास्तुशिल्प डिजाइनों के साथ बनाए गए हैं। जैन वास्तुकला के शुरुआती अवशेष भारतीय रॉक-कट (rock-cut) वास्तुकला परंपरा का हिस्सा हैं, जिसे शुरुआत में बौद्ध धर्म के साथ तथा शास्त्रीय काल के अंत तक हिंदू धर्म के साथ साझा किया गया था। रॉक-कट जैन मंदिर और मठ अन्य धर्मों के साथ स्थलों को साझा करते हैं, जैसे कि उदयगिरि, बावा प्यारा, एलोरा, ऐहोल, बादामी और कलुगुमलाई। एलोरा की गुफाओं में तीनों धर्मों के मंदिर पाये गये हैं।

विभिन्न धर्मों की शैलियों में काफी समानता है किंतु जैनियों ने 24 तीर्थंकरों में से एक या अधिक तीर्थंकरों की विशाल मूर्तियों को मंदिर के अंदर रखने की बजाय बाहर रखा था। बाद में इन्हें और भी बड़ा बनाया गया जोकि नग्न अवस्था में कायोत्सर्ग ध्यान की स्थिति में खडी हैं। मूर्तियों के समूह के साथ गोपाल रॉक कट जैन स्मारक और सिद्धांचल गुफाएं तथा 12 वीं सदी के गोम्मतेश्वर की प्रतिमा, और वासुपूज्य की आधुनिक प्रतिमा सहित कई एकल प्रतिमाएं इसके महत्वपूर्ण उदाहरण हैं। हिंदू मंदिरों में क्षेत्रीय शैलियों का अनुसरण करते हुए, उत्तर भारत के जैन मंदिरों में आमतौर पर उत्तर भारतीय नगारा (nagara) शैली का उपयोग किया गया है, जबकि दक्षिण भारत में द्रविड़ शैली का उपयोग किया गया है। पिछली सदी से दक्षिण भारत में, उत्तर भारतीय मौरू-गुर्जरा शैली या सोलंकी शैली का भी इस्तेमाल किया गया है। मारू-गुर्जर शैली के अंतर्गत मंदिरों की बाहरी दीवारों को बढते हुए प्रोजेक्शन (projections) और रिसेस (आलाओं- recesses) से संरचित किया गया है जिनके साथ नक्काशीदार मूर्तियों को समायोजित किया गया है। जैन धर्म ने भारत में स्थापत्य शैली के विकास पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है तथा चित्रकला, मूर्तिकला और वास्तुकला जैसे कई कलात्मक क्षेत्रों में अपना योगदान दिया है।

आधुनिक और मध्ययुगीन जैन ने कई मंदिरों का निर्माण किया, विशेष रूप से पश्चिमी भारत में। प्रांरभिक जैन स्मारक, जैन भिक्षुओं के लिए ब्राह्मणवादी हिंदू मंदिर योजना और मठों पर आधारित मंदिर थे। प्राचीन भारत के अधिकांश भागों में कलाकारों ने गैर-सांप्रदायिक तरीके से अपनी सेवाएं प्रदान की। अर्थात वे किसी भी संरक्षक (चाहे वह हिंदू हो या बौद्ध या जैन) को अपनी सेवाएं देने के लिए तैयार थे। उनके द्वारा उपयोग की जाने वाली कई शैलियाँ समय और स्थान पर आधारित थी न कि किसी धर्म पर। इसलिए, इस काल की जैन कला शैलीगत रूप से हिंदू या बौद्ध कला के समान है, हालाँकि इसके विषय और आइकनोग्राफी (Iconography) विशेष रूप से जैन हैं। कुछ मामूली बदलावों के साथ, भारतीय कला की पश्चिमी शैली 16 वीं शताब्दी और 17 वीं शताब्दी में बनी रही। इस्लाम के उदय के साथ जैन कला का प्रचलन कम होने लगा किंतु इसका पूर्ण रूप से उन्मूलन नहीं हुआ। उदयगिरि और खंडगिरी गुफाएं प्रारंभिक जैन स्मारक हैं, जोकि आंशिक रूप से प्राकृतिक और आंशिक रूप से मानव निर्मित हैं।

गुफाएँ तीर्थंकरों, हाथियों, महिलाओं और कुछ कलहंसों को दर्शाती हुई शिलालेखों और मूर्तिकलाओं से सुसज्जित हैं। इसी प्रकार से 11 वीं और 13 वीं शताब्दी में चालुक्य शासक द्वारा निर्मित दिलवाड़ा मंदिर परिसर में पांच सजावटी संगमरमर के मंदिर हैं, जिनमें से प्रत्येक एक अलग तीर्थंकर को समर्पित है। परिसर का सबसे बड़ा मंदिर, 1021 में निर्मित विमल वसाही मंदिर है जोकि तीर्थंकर ऋषभ को समर्पित है। एक रंग मंड (rang manda), 12 स्तम्भों और लुभावनी केंद्रीय गुंबद के साथ एक भव्य हॉल, नवचौकी (navchowki), नौ आयताकार छत का एक संग्रह इसकी सबसे उल्लेखनीय विशेषताएं हैं, जिन पर बडे पैमाने पर नक्काशी की गयी है। मंदिर के अंदर, मरु-गुर्जर शैली में बेहद भव्य नक्काशी है। जैन उद्धारकर्ताओं या देवताओं की नग्न ध्यानमग्न मुद्राएं जैन मूर्तिकला की सबसे प्रमुख विशेषता है।

संदर्भ:
1.
https://courses.lumenlearning.com/boundless-arthistory/chapter/jain-art/
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Digamber_Jain_Mandir_Hastinapur
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Jain_temple
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Jain_temple#Architecture
5. https://www.wikiwand.com/en/Digamber_Jain_Mandir_Hastinapur

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id