पुरातात्विक महत्व की किताब से पुनर्जीवित हुई एक भूली बिसरी कहानी

मेरठ

 04-03-2020 01:05 PM
ध्वनि 2- भाषायें

ओरिएंटल एनुअल (Oriental Annual) किताब के लेखक कॉन्टर (Hobart Caunter) (1794-1851) 21,जुलाई 1794 को डिवोनशायर (Dittisham, Devonshire) में पैदा हुए थे। 1809 में एक कैडेट के तौर पर भारत आये थे। कहते हैं कि वो जल्द ही यहां की ओरिएन्टल लाइफ (Oriental Life) से परेशान होकर वे अपने घर वापिस चले गए थे। लेकिन अनजाने में ही सही पर कॉन्टर ने अपनी इस किताब के जरिए उस समय के भारतीय समाज का ऐसा जीवंत खाका खींचा जो लगभग 200 साल बाद भी उतना ही रोचक व लोकप्रिय है। कॉटर के लेखन की विशेषता इस बात से जाहिर होती है कि विषय चाहे संजीदा हो या फिर मजाकिया वो दोनों को ही कागज के पन्नों पूरी ईमानदारी से उतारते थे।

इस किताब में जान डालने वाली तस्वीरों के पेंटर थॉमस डैनियल (Thomas Daniell) (1749-19 मार्च 1840) एक अंग्रेज लैंड स्केप पेंटर (Landscape Painter) थे।उन्होंने ओरिएंटल थीम्स (Oriental Themes) पर भी पेंटिंग्स बनाई और 7 साल भारत में बिताए। थॉमस डैनियल उन विदेशियों में से थे जो कि उस समय भारत आये जब यूरोपियन लोग भारत की धन दौलत और शोहरत की कहानियां सुनकर यहां आने में दिलचस्पी रखते थे। कलकत्ता में उन्होंने काफी काम किया। इंग्लैंड वापस लौटकर ओरिएंटल सीनरी शीर्षक से 6 भागों में अपनी पेंटिंग्स 1795-1808 के मध्य प्रकाशित कीं।

वैसे तो कॉटर द्वारा लिखी इस पूरी किताब में कई रोचक किस्से और संस्मरण शामिल हैं, लेकिन खास तौर पर मेरठ के ठगों की एक कहानी सबसे हटकर है। मेरठ शहर के इतिहास के साथ-साथ लेखक ने वहीं के दो धोखेबाज ठगों श्री गुरू और गोपा शाहिर की कारगुजारियों का बहुत ही दिलचस्प वर्णन किया है। यह कहानी ठगों की हैरतअंगेज परिकल्पना को परत दर परत बड़े रहस्यमय ढंग से खोलती है।

एक समय मेरठ शहर दो ठगों का घर था जो अपनी धूर्तता के लिए पूरे हिन्दुस्तान में कुख्यात थे। खुद को पुजारी कहने वाले इन ठगों का नाम था श्री गुरू और गोपा शाहिर। पीढ़ी दर पीढ़ी इनकी ठगी की कहानियां कहावतों और लोकोक्तियों की तरह प्रचिलित हुईं। उनकी अनेक कहानियों में से सबसे हैरतअंगेज और दिलेर किस्सा एक दौलतमंद राजा को ठगने का है।यह राजा बहुत धर्म परायण और संतों भक्तों को दान – सम्मान देने में उदार था।इस कहानी का पूरा आनंद लेने के लिए पहले यह जानना जरूरी है कि हिन्दु कालक्रम के अनुसार दुनिया का इतिहास चार युगों में बटा हुआ है-सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलियुग।

राजा को ठगने की तैयारी में श्री गुरू और गोपा शाहिर ने दो से तीन साल लगाए। उन्होंने अपने बाल,दाढ़ी,नाखून खूब बढ़ाए ताकि वे विलक्षण चरित्र के लग सकें। श्री गुरू ने त्रेता युग के तपस्वी की भूमिका निभाई जबकि गोपा शाहिर ने इस प्राचीन गुरू के शिष्य की। राज्य के एक दूर दराज के निर्जन इलाके में इन दोनों ठगों ने खुदाई करके एक गुफा तैयार की जिसमें श्री गुरू को जीवित समाधि लेनी थी। गुफा के बाहर खूब पेड़-पौधे-झाड़ लगाए ताकि धीरे-धीरे वह एक जंगल का रूप ले लें। जब सारी तैयारियां पूरी हो गईं तो गोपा शाहिर अपने शरीर पर चिपचिपा तेल लगाकर राजा के महल में गया और जोर जोर से विलाप करने लगा। कहने लगा कि वो एक बड़े भारी दुख से पीड़ित है क्योंकि उसे लगता है कि उसने अपने महान गुरू को खो दिया है और राजा उसके गुरू को खोजने में उसकी मदद करें।

राजा ने पूछा, तुम कौन हो? तुम्हारे गुरू कौन हैं और वो खो कैसे गए।राजा ने सवालों के साथ साथ पूरी मदद का आश्वासन दिया। जवाब में गोपा शाहिर ने जो कहानी सुनायी वह मनगढ़ंत होने के बावजूद अद्भुत थी।उसने राजा को बताया कि त्रेता युग में वह और उसके महान गुरू एक गुफा में रहते थे।जब भगवान राम सीता के उद्धार के लिए श्रीलंका जाने की तैयारी कर रहे थे। तो उनके अभियान की सफलता के लिए दोनों गुरू व शिष्य ने कठिन तपस्या की। गुरू की पीड़ा बर्दाश्त ना कर पाने के कारण वह पास ही दूसरी गुफा में चला गया और बेहोश हो गया। जब काफी समय बाद उसे होश आया तो पता चला कि वह तो कलियुग में है। होश में आने के बाद स्वयं भगवान राम ने साक्षात दर्शन देकर उसे बताया कि उसके देवता समान गुरू भी इसी धरती पर जीवित हैं,लेकिन तपस्या के प्रभाव से वो अभी ध्यान की अवस्था में हैं।

गोपा शाहिर ने कहानी समाप्त करते हुए राजा से अपने गुरू को ढूंढने में सहायता करने की फिर से प्रार्थना की। उसकी कहानी से चमत्कृत राजा ने अपनी पूरी सेना और प्रजा को इस महान गुरू को ढूंढने के काम में लगा दिया। खुद राजा इस अभियान की अध्यक्षता कर रहे थे।तीन महीने तक गोपा शाहिर उन सबको भटकाता रहा।फिर वह उन सबको उस स्थान पर ले गया जहां नकली जंगल और गुफा बनाई गई थी।कई फीट जमीन काटकर गुफा मिली तो श्री गुरू वहां पद्मासन में तपस्या करते नजर आये। सबसे पहले गोपा शाहिर ने प्रवेश किया और एक शीशी से कोई द्रव्य निकालकर गुरू की नाक और आखों पर मला। फिर क्या था,योजना के अनुसार गुरू ने फौरन अपनी आखें खोल दीं और चेले ने सबके सामने अपनी खुशी के इजहार का नाटक किया। शिष्य ने राजा की तारीफ करते हुए अपने गुरू से उन्हें आशीर्वाद देनें को कहा।

बिना शिष्य की बात पर ध्यान दिए श्री गुरू ने पूछा-क्या भगवान राम ने देवी सीता को खोज लिया? ठग गोपा शाहिर ने जवाब दिया-कि भगवान राम ने देवी सीता को रावण से भीषण युद्ध करके हासिल कर लिया था। लेकिन ये सब त्रेता युग की बातें हैं।आप को यह बताना है कि आपकी तपस्या के दौरान त्रेता और द्वापर युग समाप्त हो गए।बहुत दुख के साथ बताना पड़ रहा है कि यह हमारा दुर्भाग्य है कि हम अपनी तार्थयात्रा समाप्त कर कलियुग में आ गए हैं।गुरू ने जबरदस्त नाटक करते हुए इस परिस्थिति पर खूब क्षोभ जताया और घोषणा की कि वह एक बार फिर इस मायावी संसार को छोड़ काशी प्रस्थान करेंगे। उसका विलाप सुन राजा ने द्रवित होकर गुफा में प्रवेश किया और उससे अपने राज्य में ही रहने का आग्रह किया जिसे गुरू ने ठुकरा दिया और पूछा –क्या देवी गंगा अभी भी पृथ्वी पर मौजूद हैं? जब उसे बताया गया कि गंगा नदी अभी भी पृथ्वी पर प्रवहमान हैं तो उसने गंगाजल मंगाया। गंगाजल देखकर उसने राजा को खरी खोटी सुनाई कि इतने दूषित पानी को गंगाजल कह रहे हो। त्रेता युग में गंगाजल कैसा होता था उसका नमूना दिखाने के लिए उसने अपने कमंडल में रखा दूध दिखाया।

इस सारे प्रसंग से अभिभूत होकर राजा ने ठग गुरू के चरणों पर गिरकर अपनी भेंट स्वीकार करने का आग्रह किया। तीर सीधा निशाने पर लगता देख ठग गोपा शाहिर ने गुरू से कहा कि उसे राजा की भेंट स्वीकार कर लेनी चाहिए क्योंकि इतने लंबे समय तक राजा की जमीन पर उन्होंने तपस्या जो की थी। श्री गुरू ने अपनी एक उंगली उठा दी।गोपा शाहिर ने राजा से कहा कि वे केवल एक रुपया स्वीकार करेंगे। जब एक रुपया दिया गया तो श्री गुरू ने सिक्के पर क्रोध जताया इसे एक रुपया कहते हो राजा।यह कलियुग का एक रुपया है।त्रेता युग का एक रुपया तो 10 हजार के बराबर होता था। राजा ने तुरंत दस हजार रुपये मंगाकर ठग साधु को भेंट कर,घुटनों पर झुककर आशीर्वाद लिया और अपने महल लौट गया।उधर दोनों ठग अपनी लूट के साथ फरार हो गए। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने 19 वीं शताब्दी के मेरठ समाज ,लोगों की पसंद,लोकजीवन में प्रचिलित आस्थाओं –विश्वासों , धर्म को लेकर फैले अंधविश्वासों आदि की झलक दिखाने की कोशिश की है।उस जमाने के ठग सामान्य लूटपाट की जगह पूरी कूटनीति के साथ स्वांग रचकर या व्यूह रचना कर एक राजा को भी लूटने का शातिर दिमाग रखते थे।

सन्दर्भ:
1.
https://bit.ly/2VHAeoI
2. https://en.wikisource.org/wiki/Caunter,_John_Hobart_(DNB00)
3. https://en.wikipedia.org/wiki/George_Caunter
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Thomas_Daniell
5. http://dagworld.com/artists/thomas-daniell/

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id