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मेरठ व्यापारिक दृष्टि से वर्तमान भारत का एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण शहर है जो कि अपने खेल कूद के सामानों के उत्पाद से लेकर कपड़ों आदि के उत्पाद के लिए जाना जाता है। यह शहर आज ही नहीं बल्कि सिन्धु सभ्यता से लेकर महाभारत काल तक आबाद रहा था जिसके प्रमाण यहाँ पर देखने को मिल जाते हैं। हम जब इस शहर के विषय में बात करते हैं तो यहाँ आस-पास के स्थानों जैसे कि हस्तिनापुर, बरनावा आदि को छोड़ा नहीं जा सकता। यह स्थान महाजनपद काल से होते हुए मौर्य, गुप्त, कुशाण आदि वंशों के अधीन रहा था। कालान्तर में दिल्ली के सुल्तानों और मुगलों के भी स्वामित्व में यह स्थान रहा था जिसका प्रमाण है यहाँ का शाह पीर का मकबरा। उसके बाद यहाँ का पूरा क्षेत्र अंग्रेजों आदि का अधिपत्य रहा। इस शहर में अनेकों भवनों आदि का निर्माण समय के साथ-साथ होते रहा है और उन्ही वास्तुओं में एक है ‘मुस्तफा महल’।
मुस्तफा महल एक अत्यंत ही ऐतिहासिक इमारत है जो कि नवाब मुहम्मद इशाक खान द्वारा उनके पिता नवाब मुस्तफा खान के स्मारक के रूप में बनवाया गया था। नवाब इशाक खान अपने युग के सबसे प्रतिष्ठित कवियों और आलोचाकों में से एक थे। इस महल का निर्माण 1896/97 में शुरू हुआ था और यह इमारत सन 1900 में बन कर तैयार हुयी थी। इस इमारत का पहला ढांचा जो कि इसका द्वार था, वह 1899 में बन कर तैयार हुआ था। इस महल का निर्माण कुल 4/5 वर्षों में पूरा हो गया था। इस महाल को तैयार करने के लिये नवाब इशाक खान ने 30 एकड़ की ज़मीन देखी तथा खुद ही इस महल का प्रोजेक्ट (Project) तैयार किया था। इस महल के वास्तु को तैयार करने में उन्होंने कई सहायकों की भी मदद ली थी जिनके पास बैरक (Barracks) आदि बनाने का अच्छा अनुभव हुआ करता था। इशाक खान ने इस महल को तैयार करने के लिए कई विभिन्न वास्तु शैलियों का समावेश किया जिन्हें आज भी हम इस महल में देख सकते हैं। यह महल ब्रितानी वास्तु, राजस्थान और अवध आदि के वास्तु को एक करके प्रस्तुत करने का माद्दा रखता है जो कि इशाक खान की ही सोच का नतीजा था। इस महल में पाई जाने वाली अनेकों प्राचीन वस्तुएं नवाब इशाक खान की दुनिया भर की यात्राओं में प्राप्त वस्तुओं पर आधारित हैं।
इस महल के निर्माण से जुड़े एक लेख के अनुसार इस महल के निर्माण में मक्का से भी मिटटी मंगवाई गयी थी। इस कथन से यह तो अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि किस उम्दा सोच और खर्च का नतीजा है मेरठ का यह मुस्तफा महल। नवाब मुस्तफा खान ने मिर्ज़ा ग़ालिब को भी ज़रूरत के समय संरक्षण प्रदान किया था जो कि उनकी कविता आदि के लगाव को प्रदर्शित करता है। नवाब मुस्तफा खान की माँ मुग़ल सेना के प्रमुख इस्माइल बेग हमदानी की बेटी थीं। इस तथ्य से यह भी पता चलता है कि मुस्तफा खान का सम्बन्ध मुग़ल वंश से भी था। 1857 की क्रान्ति में मुस्तफा खान ने योगदान भी दिया था जिस कारण से उन्हें सात साल के लिए जेल भी जाना पड़ गया था। मुस्तफा खान की मौत के बाद जिस कारावास में वे रखे गए थे वहीँ पर 30 एकड़ की ज़मीन लेकर यह महल बनाया गया है। कालांतर में यह महल राजनैतिक गतिविधियों का गढ़ बन गया और यहीं पर आज़ादी से जुडी कई घटनाओं का सूत्रपात हुआ। मुस्लिम लीग (Muslim League), खिलाफत क्रान्ति आदि का एक बड़ा केंद्र भी कभी यह महल रहा था।
सन्दर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Mustafa_Castle
2. https://www.holidify.com/places/meerut/mustafa-castle-meerut-sightseeing-1255237.html
3. https://bit.ly/2P2Ex9Q