भारत विश्व के उन गिने चुने देशों में से है जो वन संम्पदा से समृद्ध हैं। यहां अनेक प्रकार की वनस्पतियां पाई जाती हैं, जिनमें से बहुत सारे पेड़-पौधे तो ऐसे हैं जो केवल भारत में ही होते हैं। यहां कुछ ऐसे पेड़-पौधे भी हैं जिनमें औषधीय गुण होते हैं। ऐसे ही रामपुर और पूरे भारतवर्ष के छाया-युक्त स्थानों में मकोय या काकमाची नामक पाए जाने वाले पौधों में भी कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। मकोय को अंग्रेजी में सोलनम निग्रम, यूरोपीय ब्लैक नाइटशेड या ब्लैकबेरी नाइटशेड के नाम से जाना जाता है। मकोय को प्राचीन ब्रिटेन के पैलियोलिथिक और मेसोलिथिक युग के भंडार में भी पाया गया है और वनस्पति विज्ञानी और पारिस्थितिकी विज्ञानी एडवर्ड सैलिसबरी द्वारा यह सुझाव दिया गया है कि ये निओलिथिक कृषि के उभरने से पहले वहां के मूल वनस्पतियों का हिस्सा था। इस प्रजाति का उल्लेख प्लिनी द एल्डर ने पहली शताब्दी ईस्वी में और डायोसोराइड्स सहित महान हर्बलिस्टों द्वारा किया गया था। 1753 में, कार्ल लिनिअस ने मकोय की छह किस्मों का वर्णन प्रजाति प्लेंटरम में किया था।
इसके पके हुए जामुन और खाद्य उपभेदों के पके हुए पत्तों का उपयोग कुछ स्थानों पर भोजन के रूप में किया जाता है और पौधे के कुछ हिस्सों का पारंपरिक औषधि के रूप में भी उपयोग किया जाता है। वहीं यह एक आम जड़ी-बूटी या अल्पकालिक बारहमासी झाड़ी है, जो कई जंगली क्षेत्रों में पाई जाती है, साथ ही साथ यह अशांत आवास भी है। 4.0 से 7.5 सेमी की लंबाई के साथ ये लगभग 30 से 120 सेमी तक ऊंचे होते हैं और इनकी चौड़ाई 2 से 5 सेमी तक हो सकती है। इस पौधे का डंठल 1 से 3 सेमी लंबा होता है और फूलों की पंखुड़ियाँ सफेद या हरे रंग की होती हैं, जिनके बीच में पीले रंग के परागकोश मौजूद होते हैं। भारत में जामुन की एक और किस्म मौजूद है, जो बाद में लाल रंग की हो जाती है। वहीं इसके लिए 5.5 और 6.5 के बीच की पीएच मान वाली मिट्टी अनुकूल रहती है। इनके अच्छे विकास के लिए मिट्टी कार्बनिक पदार्थों, पानी और उर्वरता में समृद्ध होनी चाहिए, यदि इनमें से किसी भी चीज की कमी मिट्टी में होती है तो इनकी जड़ें खराब होने लगती हैं। उच्च तापमान और उच्च आर्द्रता की स्थिति के तहत इसके विकास में कमी आती है।
मकोय के कई हिस्सों का सेवन भी किया जाता है, जो निम्नलिखित है :-
1) जामुन - जामुन का सेवन उसके पकने के बाद ही करना चाहिए, ये पकने के बाद गहरे बैंगनी / काले रंग के होते हैं। अधिकांश नाइटशेड के फल जो पके हुए नहीं होते हैं, हरे रंग के दिखाई देते हैं और जहरीले भी होते हैं।
2) पत्तियां - आयुर्वेद के अनुसार, मकोय की पत्तियां स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छी पत्तेदार हरी सब्जियों में से एक है। शुद्ध करने के लिए इन्हें घी में भूनें।
3) संपूर्ण पौधा – मकोय की जड़, पके हुए जामुन, बीज, पत्ते और तने का आयुर्वेदिक चिकित्सा में उपयोग किया जाता है।
मकोय के कुछ हिस्सों का सेवन ही नहीं किया जाता है, बल्कि इनके के स्वस्थ्य लाभ भी देख गए हैं, निम्न पंक्तियों में आप मकोय के स्वास्थ्य लाभ के बारे में भी जान सकते हैं -
• थोड़ा गर्म होने के अलावा यह पौधा त्वचा के लिए बहुत अच्छा होता है।
• पूर्ण संयंत्र यकृत के स्वास्थ्य के लिए उपयोग है।
• मकोय फेफड़े और श्वसन स्वास्थ्य के लिए मुख्य रूप से उपयोग किया जाता है।
• यह आवाज के लिए भी अच्छा होता है।
• पाचन क्रिया के लिए भी लाभदायक है।
• इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
इस पौधे की कई किस्में जहरीली भी होती हैं, तो आपके मन में यह विचार जरूर आ रहा होगा की इन जामुन की पहचान कैसे की जाएं। दरसल ये जामुन जामुन गुच्छों में उगते हैं। यदि एक पौधे में केवल एक जामुन होता है, तो यह जहरीला एट्रोपा बेलाडोना (घातक नाइटशेड) हो सकता है। वहीं मकोय के पहल और पत्ते का सेवन पकाने के तुरंत बाद करना चाहिए, लेकिन कुछ दिनों के बाद इसका इस्तेमाल जहर के समान होता है। मकोय के किसी भी भाग का उपयोग करने से पहले अच्छे से जांच कर लें और स्वस्थ्य संबंधी देखरेख के लिए चिकित्सक से परामर्श लें।
संदर्भ :-
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Solanum_nigrum
2. https://bit.ly/31X94eR
3. https://vitalveda.com.au/2019/01/14/kakamachi/
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