हमारे सौर मंडल में विभिन्न प्रकार की गतिविधियां होती हैं, जिनमें से कुछ हमारी धरती को भी प्रभावित करती हैं। ऐसे ही ब्रह्मांडीय किरणों जैसे, गांगेय कॉस्मिक (Cosmic) किरणों और सौर ऊर्जावान कणों द्वारा अंतरिक्ष यात्रियों पर स्वास्थ्य संबंधी प्रभाव पड़ते हैं। कॉस्मिक किरणें परमाणु के टुकड़े हैं जो सौर मंडल के बाहर से पृथ्वी पर बारिश करते हैं। ये किरणें प्रकाश की गति से यात्रा करती हैं और उपग्रहों या अन्य मशीनरी (Machinery) में इलेक्ट्रॉनिक (Electronic) समस्याओं को उत्पन्न करने के लिए ज़िम्मेदार होती हैं। कॉस्मिक किरणों को 1912 में खोजा गया था, लेकिन इनके बारे में कई बातें आज तक रहस्य बनी हुई हैं, जिसका एक प्रमुख उदाहरण यह है कि, आज तक इस बात का पता नहीं चला है कि ये किरणें आती कहां से हैं। अधिकांश वैज्ञानिकों को संदेह है कि इनकी उत्पत्ति तारों के विस्फोटों से संबंधित है, लेकिन चुनौती यह है कि कई वर्षों तक कॉस्मिक किरणों की उत्पत्ति पूरे आकाश की जांच करने वाली वेधशालाओं को समान दिखाई दी।
हम आज जानते हैं कि गांगेय कॉस्मिक किरणें धनावेश सूक्ष्माणु, विद्युदणु और परमाणु नाभिक जैसे परमाणु अंश होते हैं। जबकि हम जानते हैं कि इनकी उतपत्ति सुपरनोवा (Supernova) से हो सकती है, कॉस्मिक किरण के निर्माण के लिए अन्य स्रोत भी उपलब्ध हो सकते हैं। लेकिन यह भी स्पष्ट नहीं है कि सुपरनोवा इन कॉस्मिक किरणों को इतनी तेज़ी से कैसे बनाने में सक्षम हैं। वहीं वैज्ञानिक समय के साथ कम होने वाली रेडियोधर्मी नाभिक को देखकर भी कॉस्मिक किरणों का पता लगा सकते हैं। प्रत्येक नाभिक के आधे जीवन (Half-life) को मापने से यह अनुमान लगाया जाता है कि अंतरिक्ष में कॉस्मिक किरण कितनी देर तक रही है। ये किरणें पृथ्वी से बाहर यात्रा करने वाले लोगों पर काफी हानि पहुंचाती हैं। अंतरिक्ष विकिरण के संभावित तीव्र और जीर्ण स्वास्थ्य प्रभाव अन्य आयनकारी विकिरण जोखिमों के समान ही होते हैं जिनमें सबसे अधिक डीएनए (DNA) में प्रत्यक्ष क्षति, प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन (Oxygen) प्रजातियों के उत्पादन के कारण अप्रत्यक्ष प्रभाव और कोशिकाओं और ऊतकों की जैव रसायन में परिवर्तन, जो जीन (Gene) में परिवर्तन करने में सक्षम होते हैं। वहीं तीव्र प्रभाव उच्च विकिरण की मात्रा के परिणामस्वरूप होता है और इनकी सौर कण घटनाओं (Solar Particle Events) के बाद सबसे अधिक होने की संभावना होती है।
कॉस्मिक किरणों से होने वाले प्रभाव की मात्रा का अभी तक कोई ज्ञात अनुमान नहीं है। इससे अंतरिक्ष और पृथ्वी पर होने वाले प्रभाव की सटीक मात्रा का मूल्यांकन करने के लिए कई शोध किए जा रहे हैं। चूहों पर किए गए 2017 के एक प्रयोगशाला अध्ययन का अनुमान है कि मंगल मिशन के बाद गांगेय कॉस्मिक किरणों के विकिरण के संपर्क में आने के कारण कैंसर (Cancer) विकसित होने का जोखिम वैज्ञानिकों द्वारा पहले सोचे गए आंकड़ों से दो गुना अधिक हो सकता है। एक नए अध्ययन से पता चलता है कि ये किरणें केवल स्वस्थ्य को ही नहीं प्रभावित करती हैं बल्कि इसके विकिरण के फटने के साथ बादलों का निर्माण होता है, जिससे मौसम की स्थिति प्रभावित होती है और यहां तक कि लंबी अवधि के लिए जलवायु परिवर्तन भी होता है। आसमान में दिखाई देने वाले बादल आमतौर पर जल वाष्प (जो वातावरण में धूल, बर्फ और नमक के छोटे टुकड़े से होता है) की प्रक्रिया से उत्पन्न होते हैं।
वहीं जब कॉस्मिक किरणें पृथ्वी के वायुमंडल से टकराती हैं, तो वे विद्युत रूप से आवेशित "द्वितीयक" कणों या आयनों (Ions) की बौछार करती हैं। ये आयन एयरोसौल्ज़ (Aerosols) में अतिरिक्त सामग्री डालते हैं, जो अंततः बड़े बादलों के निर्माण का कारण बनते हैं और बादल के घिराव तथा ज़मीनी स्तर पर तापमान को प्रभावित करते हैं।
संदर्भ:
1. https://www.space.com/32644-cosmic-rays.html
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Health_threat_from_cosmic_rays
3. https://www.sciencealert.com/cosmic-rays-could-influence-cloud-cover-on-earth
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