सनातन धर्म विश्व के प्राचीनतम धर्मों में से एक है। इस धर्म में अनेकों देवी देवताओं की पूजा की जाती है। सनातन परंपरा में करीब 33 कोटि देवी देवताओं के बारे में विवरण मिलता है। विभिन्न विद्वान इस पर अनेक मतभेद रखते हैं। सनातन परम्परा में सरस्वती देवी की एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। सरस्वती को ज्ञान की देवी के रूप में देखा जाता है जिनकी सवारी हंस है। हंस प्रकाश और ज्ञान का घ्योतक है। भारत में बसंत पञ्चमी के दिन सरस्वती देवी की पूजा की जाती है। एक ऐसा भी समय था जब यह पूजा अनवरत चलती रहती था। वर्तमान समय में यह पूजा दुनिया भर के कई हिस्सों में प्रसारित हो चुकी है।
आज से करीब 800 से 1000 साल पहले यह पूजा की प्रथा भारत से दक्षिण पूर्व एशिया के कई हिस्सों में प्रसारित हुयी थी। आज भी बाली, इंडोनेशिया में पञ्च दिवसीय सरस्वती पूजा की निरंतरता हमें दिखाई देती है। सरस्वती की प्रतिमा को मूर्तिविज्ञान की दृष्टिकोण से 4 भुजाओं वाली बताया गया है, जिसमें देवी सरस्वती को प्रत्येक हाथ में एक-एक आयुध लिए हुए दिखाया जाता है। इंडोनेशिया में सरस्वती दिवस को पोडीयमन सरस्वती के रूप में जाना जाता है। वहां भी यह पूजा अनंत ज्ञान के श्रोत के रूप में वर्णित कि जाती है। बालिनी पंचांग के अनुसार हर वर्ष के 210 वें दिन सरस्वती पूजा का दिवस निर्धारित किया गया है। इंडोनेशिया में भी सरस्वती को 4 भुजाओं वाली देवी के रूप में प्रदर्शित किया है।
इनके चारों हाथों में अलग अलग आयुध दिखाए गए हैं, जो की निम्नवत बिन्दुओं में वर्णित हैं-
1. एक ताडपत्र- यह एक पारंपरिक पुस्तक है जिसमे विज्ञान या ज्ञान का श्रोत माना जाता है।
2. 108 मोतियों की माला- यह ज्ञान के अनवरतता को तथा जीवन के चक्र को संबोधित करती है, एक धारणा के अनुसार माना जाता है कि यह कभी ख़त्म न होने वाली परंपरा है।
3. वीणा- सरस्वती के हाथ में वीणा यंत्र दिखाया गया है जो कि विज्ञान तथा कला के समन्वय को प्रस्तुत करते हुए प्रदर्शित करता है कि विज्ञान, संस्कृति के विकास के माध्यम से ही विकसित होता है।
4. कमल का फूल- कमल का फूल सनातन धर्म में एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण पुष्प है। इस फूल का प्रयोग वास्तु में तो है ही, इसके साथ ही साथ यह देवताओं और देवियों के हाथों में भी उपस्थित है। भगवान विष्णु की प्रतिमा में भी उनके एक हाथ में कमल का पुष्प इंगित है। सरस्वती के एक हाथ में भी कमल का फूल प्रदर्शित है और साथ ही साथ सरस्वती को कमल पर बैठे दिखाया गया है। खिला हुआ कमल ज्ञान के प्रकाश को प्रस्तुत करता है और यह सौम्यता का सन्देश देता है।
सरस्वती दिवस 4 महत्वपूर्ण दिवस में से पहला दिवस होता है। इसके बाद 3 और दिवस हैं। हांलाकि भारत में इस परंपरा को लोग बड़े पैमाने पर भूल चुके है। बाली आज विश्व का एक आधुनिक पर्यटन स्थल है जहाँ सनातनी परंपरा की जड़ें 8 वीं से 9 वीं शताब्दी तक जाती हैं। आज भी वहां के मंदिर आदि पर्यटन के एक प्रमुख स्थल के रूप में गिने जाते हैं।
सन्दर्भ:
1. https://www.speakingtree.in/article/bali-saraswati
2. https://bit.ly/36B2RFY
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