भारत क्षेत्रफल के हिसाब से विश्व का 7 वां सबसे बड़ा देश है और इसके क्षेत्रफल के साथ ही इसकी आबादी भी काफी बड़ी है। भारत की इतनी विशाल आबादी में कई बड़े शहरों का योगदान रहा है। भारत में कुल 40 शहर हैं जिनमें से प्रत्येक की आबादी 10 लाख से अधिक है। इन शहरों में से मुंबई और दिल्ली में ही 1 करोड़ से अधिक आबादी है। वर्तमान में मेरठ, जो न ही देश की राजधानी और किसी राज्य की राजधानी है, तब भी इसकी आबादी 16 लाख से अधिक है।
वहीं क्या आप जानते हैं कि विश्व की 23% आबादी 10 लाख से अधिक जनसँख्या वाले शहरों में रहती है और 7% आबादी विशेष रूप से 1 करोड़ से अधिक जनसँख्या वाले बड़े शहरों में रहती है। विश्व के कम से कम 512 शहरों में 10 लाख से अधिक लोग रहते हैं, लेकिन केवल 31 मेगासिटी (Megacity – 1 करोड़ से अधिक आबादी) हैं। भारत के 9,000 शहरों में मेरठ शहर में 27वीं सबसे बड़ी आबादी मौजूद है।
2011 की भारत जनगणना के अनुसार जनसंख्या के हिसाब से भारत के दस सबसे छोटे शहर निम्न हैं:
• गंगोत्री (110)
• केदारनाथ (612)
• कीर्तिनगर (1,517)
• नंदप्रयाग (1,641)
• देवप्रयाग (2,152)
• दोगादा (2,422)
• बद्रीनाथ (2,438)
• द्वाराहाट (2,749)
• भैसीना (3,200)
• सरसोद (4,630)
मानव इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि अधिकांश लोग शहरी वातावरण में रहते हैं। विश्व के सबसे बड़े शहर आज एक वर्ग के अंतर्गत आते हैं, जिन्हें शोधकर्ता "मेगासिटीज़" कहते हैं, जिनकी आबादी 1 करोड़ से अधिक है। साथ ही धरती पर 7 बिलियन से अधिक लोगों में से, 7% लोग मेगासिटीज़ में रहते हैं। वहीं नाइजीरिया (Nigeria) के लागोस (Lagos) का 1960 का स्ट्रीट मैप (Street map), कुछ अर्ध-ग्रामीण अफ्रीकी गांवों से घिरा एक छोटा पश्चिमी शैली का तटीय शहर जैसा दिखता है। लेकिन सिर्फ दो पीढ़ियों में ही लागोस 100 गुना तक बढ़ गया, इसकी आबादी 2,00,000 लोगों से लगभग 2 करोड़ तक हो गई। आज विश्व के 10 सबसे बड़े शहरों में से यह लगभग 1,000 वर्ग किमी में फैला हुआ है। इसकी अधिकांश आबादी अनौपचारिक बस्तियों या मलिन बस्तियों में निवास करती हैं।
ओंटारियो इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Ontaria Institute of Technology) के जनसांख्यिकी डैनियल हूर्नवेग (Daniel Hoornweg) और केविन पोप (Kevin Pope) के अनुसार एशिया (Asia) और अफ्रीका (Africa) के सैकड़ों छोटे शहरों में भी तेज़ी से विकास होने की संभावना है। वहीं शोधकर्ताओं के चरम परिदृश्य के तहत यदि देश प्रजनन दर को नियंत्रित करने में असमर्थ हैं और शहरीकरण 35 वर्षों के भीतर भी जारी रहा, तो 100 से अधिक शहरों की आबादी 55 लाख से अधिक होगी। संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों से अगले 33 वर्षों में दुनिया की आबादी 2.9 बिलियन बढ़कर दूसरे चीन और भारत की तरह हो सकती है, और संभवत: सदी के अंत तक यह संख्या 3 बिलियन तक बढ़ने की संभावना है। जिन शहरों की आबादी बढ़ेगी उनमें शहरों का विकास, अनियंत्रित उत्सर्जन, भोजन और पानी में कमी होना या न होना वास्तव में उस शहर की प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है।
वहीं भारत, जो 2050 तक 1.5 बिलियन से अधिक लोगों के साथ व्यापक रूप से विश्व की सबसे अधिक आबादी वाला देश होने की उम्मीद है, यहाँ 30 वर्षों में शहरी आबादी को लगभग दुगने (60 करोड़) रूप में बढ़ते हुए पाया गया है। मुंबई और दिल्ली जैसी मेगासिटीज़ के बहुत अधिक बढ़ने की उम्मीद नहीं है, बल्कि यहाँ छोटे शहरों का तेज़ी से विस्तार होते हुए देखा जा रहा है। दिल्ली की आबादी जहां 1990 में 97.3 लाख हुआ करती थी, वहीं यह आबादी 2016 में 2.645 करोड़ तक पहुँच गई। वहीं यदि जापान (Japan) के शहर टोकियो (Tokyo) की बात की जाए, तो इसकी आबादी 1990 में 3.253 करोड़ थी जो 2016 में 3.814 करोड़ तक बढ़ी। भारत को 25 से 40 शहरों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, 720 जिलों की आबादी को नियंत्रित करने की आवश्यकता है।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/38OgTWn
2. http://worldpopulationreview.com/countries/india-population/cities/
3. https://bit.ly/3aQoKEn
चित्र सन्दर्भ:
1. https://bit.ly/36BKFvH
2. https://commons.wikimedia.org/wiki/File:India_-_Varanasi_pharmacy_-_0894.jpg
3. https://bit.ly/2U4xwZt
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