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मनुष्य का एक ऐसा साथी जो कि मनुष्य के विकास के पहले सोपान से लेकर वर्तमान तक मनुष्य के साथ हैं, जो कि वफ़ादारी की मिशाल हैं, उस जीव का नाम कुत्ता हैं। आजकल कुत्ता मानव का साथी ही नहीं बल्कि मानव का प्रहरी भी है, कई देश अपनी सेना में कुत्तों की फ़ौज रखते हैं जिनमें भारत भी शामिल है। फ़ौज में कुत्तों को मानव सैनिकों की तरह ही काम करना पड़ता हैं और उन्ही की तरह हर परस्थिति का सामना करना पड़ता है। मानव सैनिकों की तरह ही उनको भी साहसी कार्यों के लिए पुरुष्कृत किया जाता है और उनकी भी सेवानिवृति होती हैं।
सेवानिवृति के बाद अक्सर हमारे इन वीर सैनिकों की ज़िंदगी मुश्किल हो जाती हैं, जिसके कारण भारत सरकार ने सितम्बर 2015 में भारत का पहला कुत्तों का पुनर्वास केंद्र मेरठ में खोला, जिसमें उन कुत्तों को रखा जाता हैं, जो कि सेना से सेवानिवृति हो गये हैं और उनको किसी ने गोद नहीं लिया। वर्तमान में अज़ीज़ खान यहाँ के प्रभारी है, जिनकी देखरेख में यहाँ की सारी व्यवस्था होती है, इनके अनुसार सेवानिवृति कुत्ते अत्यंत बहादुर होते है, अपनी जवानी के दिनो में इन्होंने देश की सेवा की होती है, इसीलिये वृद्धावस्था में उनकी सेवा करना अत्यंत गर्व की बात है। बीते तीन सालों में 150 कुत्ते इस सुविधा का लाभ ले चुके है, जिनमे से चालीस की मृत्यु हो गयी और अस्सी को आम नागरिक या सेना के लोगों द्वारा गोद ले लिया गया।
इस सेवानिवृति पुनर्वास केंद्र में सेवानिवृति कुत्तों के साथ में उन जवान कुत्तों को भी रखा जाता हैं, जिनको ट्रेनिंग दी जानी होती है। यहाँ पे दोनो प्रकार के सैनिकों की जीवन शैली लगभग एक प्रकार की होती हैं। नए और जवान सैनिक कुत्तों का दिन प्रातः 5:30 बजे शारीरिक व्यायाम और ड्रिल के साथ प्रारम्भ होता हैं, तो वहीं सेवानिवृति कुत्तों का दिन प्रातः 6 बजे एक घंटे की सुस्त दौड़ के साथ प्रारम्भ होता हैं।
जिसके बाद छांव में आराम गर्मी के मौसम में कूलर की ठंडी हवा में, आराम के बाद 8 बजे 15 मिनट की मसाज दी जाती है जिसको कि शाम में भी दिया जाता है। इन सैनिक कुत्तों को प्रातः 10 बजे पौस्टिक नाश्ता दिया जाता हैं, जिसमें सब्ज़ियाँ, बिना हड्डी वाला मांस और सूप दिया जाता है। नाश्ते के थोड़ी डर बाद उनको उनके घरों में भेज दिया जाता हैं, जहाँ पर उन्हें पंखे की हवा में आराम करने दिया जाता हैं। उनके आराम में ख़लल सिर्फ़ खेल के समय ही डाला जाता हैं, उनके खेलने के लिए गेंद, खिलौने के साथ साथ साथी कुत्तों को पकड़ना भी होता है। इनके लिए रात्रि का भोजन शाम 6 बजे पेश किया जाता है।
पुनर्वास केंद्र सेवानिवृति कुत्तों के लिए अत्यंत लाभदायक है, हमारे देश के इन मौन और बहादुर सैनिकों को सीमा की सुरक्षा के साथ ही आंतरिक सुरक्षा के लिए भी उपयोग में लाया जाता हैं। सेना में मानव सैनिकों का काम आसान करने वाले इन सैनिकों को विषम परिस्थितयों का समाना करना पड़ता हैं, जिससे उनके शरीर के विभिन्न अँगो को भारी नुक़सान पहुँचता हैं और उनकी आयु पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता हैं। विभिन्न प्रकार के विस्फोटक को सूँघने से सूँघने की शक्ति पर, सियाचिन जैसे इलाकों में न्यूनतम तापमान में जीवन से संघर्ष करते वक़्त पूरे शरीर पर ही कुप्रभाव पड़ता हैं, एसे में हमारे इन बहादुर सैनिकों के लिए यह पुनर्वास केंद्र अत्यंत ज़रूरी हैं जिसमें हम अपने मौन प्रहरी सैनिकों को बेहतर ज़िंदगी दे सके जब उनको ज़रूरत होती है।
सन्दर्भ:-
1. https://bit.ly/2spSkiO
2. https://bit.ly/2Trfkcu