मेरठ के करीब मिली अम्बिका देवी की प्राचीन मूर्ति

मेरठ

 17-01-2020 10:00 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

अम्बिका जैन सम्प्रदाय में एक प्रमुख देवी हैं। जिन्हें सुरक्षा की देवी, मातृत्व की देवी, कामना की देवी आदि रूपों में पूजा जाता है। जैन ग्रंथों में इनके अनेक नाम भी मिलते हैं जैसे- अम्बा, अम्बिका, कुशमंदिनी, आम्र कुशमंदिनी, आदि। अम्बिका का शाब्दिक अर्थ होता है “माता” जिसके कारण ही इन्हें माता के रूप में पूजा जाता है और इसी कारणवश इनको अक्सर एक या एक से ज़्यादा बच्चों के साथ एक पेड़ के नीचे दिखाया जाता है।

अम्बिका की पूजा अत्यंत प्राचीन है, इनकी अनेक मूर्तियाँ और मंदिर भी प्राप्त होते हैं। इनको अक्सर पद्मावती और चक्रेश्वरी के साथ जैन तीर्थंकरों के सहायक देवी के रूप दर्शाया जाता है। इनको तांत्रिक विधियों से तथा यक्ष पूजा के साथ और कुल देवी या ग्राम देवी की परम्परा के साथ भी जोड़ा जाता हैं। इसके अलावा जैन परंपरा के 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ की सहायक देवी के रूप में इनकी ख्याति सबसे ज़्यादा हुई। जैन सम्प्रदाय के श्वेतांबर परम्परा के अनुसार इनका रंग सुनहरा और उनकी सवारी शेर है, इनके चार हाथ हैं जिनमें दाहिने दो हाथो में एक में आम और दूसरे में आम के पेड़ की टहनी होती है। बायें दो हाथो में एक में लगाम और दूसरे में दो बच्चे होते हैं (प्रियंकर और शुभांकर)। दक्षिण भारत में इनको कभी-कभी गहरे नीले रंग में प्रदर्शित किया जाता है।

जैन ग्रंथों में अम्बिका से जुड़ी कथायें भी मिलती हैं जिनमें अम्बिका को प्रारम्भ में एक साधारण महिला के रूप में बताया गया है, जिसका नाम अग्निला होता है और कालांतर में जिसे अपने कर्मों के कारण देवी का दर्जा प्राप्त हुआ।
वैसे तो पूरे भारत में जैन सम्प्रदाय से जुड़े पवित्र स्थल मिलते हैं परंतु उत्तर प्रदेश अपने आप में अलग महत्व रखता है। उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में हस्तिनापुर जैन सम्प्रदाय के लिए विशेष महत्वपूर्ण हैं क्यूँकि यहाँ पर जैन सम्प्रदाय से जुड़ा सबसे प्राचीन मंदिर पाया जाता है, जिसे श्री दिगम्बर जैन मंदिर के नाम से जाना जाता है, जिसका निर्माण 1801 ई. में राजा हरसुख राय जो कि शाह आलम द्वितीय के सामंत थे, के सरक्षण में हुआ था। यह मंदिर 16वें जैन तीर्थंकर श्री शांतिनाथ को समर्पित है, जिनके आस-पास अन्य तीर्थंकर की भी मूर्तियाँ हैं जिनमें 17वें और 18वें तीर्थंकर श्री कुन्थुनाथ और श्री अरनाथ अग़ल बग़ल स्थित हैं। यहाँ इस मंदिर के अतरिक्त 20वीं शताब्दी के अन्य मंदिर भी पाए जाते हैं। इन मंदिरों में त्रिमूर्ति मंदिर, नंदिश्वरद्वीप मंदिर, सामवसरन रचना मंदिर, अम्बिका देवी मंदिर आदि हैं।

अम्बिका देवी मंदिर जैन सम्प्रदाय के दिगम्बर और श्वेतांबर दोनों परम्परा में प्रमुख देवी अम्बिका को समर्पित है। मंदिर में मुख्य देवी अम्बिका की मूर्ती के मस्तक पर श्री नेमिनाथ का रेखांकन किया गया है।

संदर्भ:
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/Ambika_(Jainism)
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Digamber_Jain_Mandir_Hastinapur
3. http://www.jainpedia.org/themes/practices/deities/ambika-or-kusmandini/mediashow/print.html

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