जानें भारतीय सेना में मेरठ का ऐतिहासिक योगदान

औपनिवेशिक काल और विश्व युद्ध : 1780 ई. से 1947 ई.
16-01-2020 10:00 AM
जानें भारतीय सेना में मेरठ का ऐतिहासिक योगदान

सैनिक चाहे किसी भी देश के क्यों न हों, उनकी ज़िंदगी हमेशा कठिनाईयों से भरी हुई होती है। सैनिक हमारे देश के प्रहरी होते हैं, जब तक वे सीमा पर तैनात हैं, तब तक उस देश के लोग सुरक्षित रहते हैं। राष्ट्र की सुरक्षा, अखण्डता व एकता को बनाये रखने में भारतीय सशस्त्र सेनाओं का योगदान किसी से छुपा नहीं है। भारतीय सेना का इतिहास बहुत गौरवशाली है। देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर जवानों को सलाम देने के लिए भारत में प्रत्येक वर्ष 15 जनवरी को भारतीय सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है।

भारत की स्वतंत्रता से पहले तक, भारतीय सेना के प्रमुख ब्रिटिश हुआ करते थे। फील्ड मार्शल (Field Marshal) के. एम. करियप्पा को सम्मान देने के लिए भारत में हर साल 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाता है। क्योंकि 15 जनवरी 1949 को भारत के अंतिम ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ जनरल सर फ्रांसिस बुचर (Commander-in-Chief General Sir Francis Butcher) से करियप्पा ने भारतीय सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ के रूप में पदभार संभाला था। इस दिन राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के साथ-साथ सभी मुख्यालयों में परेड (Parade) और अन्य सैन्य कार्यक्रम किए जाते हैं। 15 जनवरी 2020 को, भारत ने अपना 72वां भारतीय सेना दिवस मनाया था।

ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स (Global Fire Power Index) 2017 के अनुसार, भारत की सेना को विश्व की चौथी सबसे मज़बूत सेना माना जाता है। इस पावर इंडेक्स के अनुसार, अमेरिका, रूस और चीन के पास भारत से बेहतर सेना मौजूद है। भारतीय सेना की उत्पत्ति ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) की सेनाओं से हुई थी, जिसे बाद में 'ब्रिटिश इंडियन आर्मी' (British Indian Army) के रूप में जाना जाता था और अंततः स्वतंत्रता के बाद इसे राष्ट्रीय सेना के रूप में जाना जाता है।

लसवारी की लड़ाई के बाद 1803 से मेरठ में छावनी मौजूद है, जिसने विश्व युद्धों में बड़ी संख्या में योगदान दिया था। 2011 की जनगणना के अनुसार, मेरठ छावनी भारत की सबसे बड़ी छावनी में से एक है, न केवल भूमि क्षेत्र (3,568.06 हेक्टेयर) में, बल्कि 93,684 (नागरिक + सैन्य) लोगों की जनसंख्या में भी। यह पंजाब रेजिमेंट कोर ऑफ़ सिग्नल्स (Punjab Regiment Corps of Signals), जाट सैन्य दल, सिख सैन्य दल और डोगरा सैन्य दल का केंद्र बिन्दु रहा है।

वहीं चौथा (मेरठ) कैवलरी ब्रिगेड ब्रिटिश भारतीय सेना की एक ब्रिगेड थी जो प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सेना का हिस्सा बनी थी। 21 नवंबर 1914 को 7वें (मेरठ) कैवलरी ब्रिगेड को 14वें (मेरठ) कैवलरी ब्रिगेड से प्रतिस्‍थापित कर दिया गया था, जिसे पश्चिमी मोर्चे पर सेवा के लिए जुटाया गया था। वहीं यह 1919 में, तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध में भाग लेने से पहले पूरे युद्ध में भारत में ही रहा था। युद्ध के दौरान ब्रिगेड का अस्तित्व बना रहा और सितंबर 1939 तक इसे तीसरी (मेरठ) कैवलरी ब्रिगेड के रूप में नामित कर दिया गया था। फरवरी 1940 में टूटने से पहले द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसने भारतीय सेना के हिस्से के रूप में कार्य किया था।

संदर्भ:
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/Army_Day_(India)
2. http://forceindia.net/army-day-celebrated-across-india/
3. https://www.jagranjosh.com/general-knowledge/why-is-army-day-celebrated-in-india-1547624694-1
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Meerut#Meerut_Cantonment
5. https://en.wikipedia.org/wiki/3rd_(Meerut)_Cavalry_Brigade