रामपुर में जुम्मा और जुम्हरात (गुरुवार की शाम) का विशेष महत्व है, विशेषकर श्रमिकों या मजदूर वर्ग के लिए। क्योंकि इस दिन प्रत्येक श्रमिक को उसकी प्रत्येक दिन की मजदूरी का भुगतान किया जाता है। हर दिन का भुगतान सप्ताह के एक दिन अर्थात गुरुवार की शाम को किया जाता है। देश और विदेशों में कार्य की भुगतान प्रणाली भिन्न-भिन्न है। यह भुगतान कार्य के घंटों के हिसाब से अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग निर्धारित किया गया है। व्यक्ति जितना वक्त कार्य करने में व्यतीत करता है उसे उसका कार्य समय कहा जाता है। दूसरे शब्दों यह वो समय अवधि है जब किसी व्यक्ति द्वारा श्रम किया जाता है और उसे इस कार्य के बदले भुगतान किया जाता है। इस समय अवधि में व्यक्तिगत कार्यों को शामिल नहीं किया जा सकता। व्यक्तिगत कार्यों में लगने वाले श्रम को अवैतनिक श्रम माना जाता है जैसे घर में अपने बच्चों या पालतू जानवर की देखभाल करना अवैतनिक श्रम के अंतर्गत आता है।
कई देशों में कार्य सप्ताह को कानून द्वारा विनियमित किया गया है जिसमें एक सप्ताह में कार्य करने के अधिकतम घंटों, कार्य करने के दौरान न्यूनतम आराम की अवधि, वार्षिक अवकाश आदि को सम्मिलित किया जाता है। भिन्न-भिन्न पेशों से जुड़े व्यक्तियों के लिए आर्थिक स्थितियों, स्थान, संस्कृति, जीवन शैली आदि के आधार पर कार्य अवधि भिन्न-भिन्न होती है। विकसित देशों में कुछ श्रमिक अंशकालिक रूप से भी कार्य करते हैं क्योंकि वे पूर्णकालिक रोज़गार को करने में असमर्थ होते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि या तो व्यक्ति पारिवारिक देखभाल में अधिक व्यस्त होता है या फिर अधिक आराम चाहता है। कार्य करने की इस अवधि को मानक कार्य घंटे कहा जाता है जिन्हें प्रति दिन, प्रति सप्ताह, प्रति माह या प्रति वर्ष के हिसाब से सीमित किया जाता है। यदि कोई कर्मचारी कार्य करने की अधिकतम अवधि से अधिक कार्य करता है तो उसे नियोक्ता द्वारा कार्य के समय के अनुसार अधिक वेतन दिया जाता है। आमतौर पर, दुनिया भर के देशों में मानक कार्य घंटे लगभग 40 से 44 घंटे प्रति सप्ताह निर्धारित किये गये हैं। हालांकि कुछ देशों में यह कम या अधिक हो सकते हैं। जैसे फ्रांस में प्रति सप्ताह 35 घंटे की कार्यावधि निश्चित की गयी है जबकि उत्तर कोरिया में प्रति सप्ताह 112 घंटे तक की कार्यावधि है। कर्मचारी से कानून में निर्दिष्ट स्तर से अधिक कार्य नहीं लिया जा सकता।
कुछ देशों में चार-दिवसीय सप्ताह की व्यवस्था की गयी है। यह एक ऐसी व्यवस्था है जहां कार्यस्थल या विद्यालयों में कर्मचारी सप्ताह के केवल चार दिन ही कार्य करते हैं। उन्हें उनके कार्य का भुगतान सप्ताह के चार दिनों के हिसाब से किया जाता है। इस व्यवस्था को 4/10 कार्य सप्ताह से संदर्भित किया जाता है। इस व्यवस्था में कर्मचारी एक सप्ताह में 40 घंटे कार्य करते हैं। सप्ताह के इस पूरे भाग को वर्कवीक (Workweek) कहा जाता है। वर्कवीक के पश्चात कुछ दिन का अवकाश दिया जाता है जिसे सप्ताहांत (Weekend) कहा जाता है। दुनिया के अधिकांश हिस्सों में, कार्यसप्ताह सोमवार से शुक्रवार तक का होता है तथा सप्ताहांत के लिए शनिवार और रविवार का दिन निर्धारित किया गया है। इसके विपरीत कुछ देशों में कार्य सप्ताह रविवार से गुरुवार या सोमवार से गुरुवार तक का निर्धारित किया गया है। कुछ स्थानों में सप्ताहांत केवल रविवार का होता है। ईसाई परंपरा में, रविवार के दिन को आराम और पूजा का दिन माना जाता है। इज़राइल में सप्ताहांत शुक्रवार और शनिवार को मनाया जाता है। सप्ताहांत की वर्तमान अवधारणा पहली बार 19वीं सदी में ब्रिटेन में शुरू हुई थी। कुछ देशों में केवल एक दिवसीय सप्ताहांत को अपनाया गया है जो कुछ स्थानों में रविवार को तथा कुछ स्थानों में शुक्रवार को निर्धारित किया गया है। अधिकांश देशों में दो-दिवसीय सप्ताहांत को अपनाया गया है जोकि धार्मिक परंपरा के अनुसार अलग-अलग दिन होता है अर्थात शुक्रवार या शनिवार, या शनिवार और रविवार, या शुक्रवार और रविवार।
कारखाना अधिनियम 1948 के अनुसार भारत में कोई भी वयस्क व्यक्ति एक सप्ताह में 48 घंटे से अधिक और एक दिन में 9 घंटे से अधिक काम नहीं कर सकता है। अधिनियम की धारा 51 के अनुसार, इस समय सीमा का विस्तार केवल 1.5 घंटे अधिक किया जा सकता है। इस प्रकार भारत में कार्य करने की अधिकतम सीमा 9 घंटे प्रतिदिन निर्धारित की गयी है। 2016 में भारत में प्रति कर्मचारी औसतन 1,980 वार्षिक घंटे कार्य किया गया जिसके साथ भारत ओईसीडी रैंकिंग (OECD Ranking) में चौथे स्थान पर रहा।
संदर्भ:
1. https://paycheck.in/labour-law-india/work-and-wages/work-hours-in-india
2. https://hbr.org/2019/08/will-the-4-day-workweek-take-hold-in-europe
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Four-day_week
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Working_time
5. https://en.m.wikipedia.org/wiki/Workweek_and_weekend
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