कई बदलावों के साथ उभरी है आधुनिक कव्वाली

मेरठ

 08-01-2020 10:00 AM
ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

हम सब जानते ही हैं कि सूफी संगीत प्राचीन काल से ही लोकप्रिय है। वहीं कव्वाली संगीत सूफी परंपरा का एक भाव विभोर भरा गायन है, जिसका श्रवण करके लोग उस अवस्था में पहुँच जाते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में सूफीवाद और सूफी परंपरा के अंतर्गत कव्वाली भक्ति संगीत की एक धारा के रूप में उभर कर आई और यह विशेष रूप से पाकिस्तान के पंजाब और सिंध क्षेत्रों; हैदराबाद, दिल्ली और भारत के अन्य भागों में, विशेष रूप से उत्तर भारत; साथ ही बांग्लादेश के ढाका और चटगांव डिवीज़न में लोकप्रिय है।

मूल रूप से कव्वाली संगीत का पूरे दक्षिण एशिया में सूफी तीर्थस्थान या दरगाहों में प्रदर्शन किया जाता है। इसने 20वीं सदी के अंत में विशेष पक्ष की लोकप्रियता और अंतर्राष्ट्रीय दर्शक प्राप्त किये। दिल्ली के सूफी संत अमीर खुसरो को 13वीं शताब्दी के अंत में फारसी, अरबी, तुर्की और भारतीय संगीत की परंपराओं को जोड़कर भारत में कव्वाली बनाने का श्रेय दिया जाता है। ‘समा’ शब्द का उपयोग अक्सर मध्य एशिया और तुर्की में कव्वाली के समान रूपों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है, और भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में, कव्वाली की सभा के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला औपचारिक नाम “महफिल-ए-समा” है।

यह आमतौर पर एक प्रमुख गायक और सहगान के साथ किया जाता है, जो आह्वान-और-प्रतिक्रिया शैली में गाया जाता है। इन गायकों को संगीत वाद्ययंत्र (ढोलक या तबला, और एक सितार) बजाने वाले कलाकारों द्वारा समर्थित किया जाता है। औपचारिक यंत्र के अलावा, हाथ से ताली बजाना तालबद्ध संरचना पर ज़ोर देने और दर्शकों को संलग्न करने का काम करता है। आधुनिक काल में सितार की जगह हारमोनियम का उपयोग किया जाता है। तकनीकी रूप से, केवल पुरुष कव्वाली को गा सकते हैं, जिसमें महिला कलाकार सुफियाना कलाम, सूफी शब्द गाती हैं। कलाकार दो पंक्तियों में ज़मीन पर पालथी मारकर बैठते हैं, प्रमुख गायक, अतिरिक्त गायक और हारमोनियम बजाने वाले पहली पंक्ति में और अगली पंक्ति में सहगायक और अन्य वाद्ययंत्र बजाने वाले होते हैं।

समय के साथ-साथ कव्वाली ने अंतराल और संरचना के संदर्भ में कई महत्वपूर्ण बदलावों को देखा है। भारतीय उपमहाद्वीप में चार प्रमुख सूफी क्रमों ने एक मज़बूत आधार बनाया है, जो हैं: चिश्ती, कादरी, सुहरवर्दिया और नक्शबंदी कव्वाली। इन चार में से, चिश्ती क्रम ने उपमहाद्वीप में कव्वाली के संरक्षण और प्रसार में सबसे अधिक योगदान दिया है। जैसे-जैसे इस क्षेत्र में सूफीवाद फैलता गया, यह अपने स्थानीय स्वादों, भाषाओं, रीति-रिवाजों और सांस्कृतिक प्रथाओं को आत्मसात करता गया, जिसके चलते कव्वाली में भी कई बदलावों को देखा गया। वहीं भारतीय कव्वाली प्रदर्शन के पहले से मौजूद प्रदर्शनों की सूची में मराठी, दखिनी और बंगला कव्वाली को शामिल किया गया है।

वहीं भारतीय शास्त्रीय संगीत ने पारंपरिक कव्वाली प्रदर्शनों की संरचनात्मक अखंडता में योगदान दिया है। एक विशिष्ट कव्वाली का प्रदर्शन एक विशेष प्रभावी राग में आलाप का उपयोग करके शुरू होता है। हिंदुस्तानी शास्त्रीय प्रदर्शनों के विपरीत, कव्वाली में संबंधित रागों का मिश्रण होता है, आलाप के बाद एक कविता या पाठ सुनाया जाता है, फिर कव्वाली के मुख्य अंग का प्रदर्शन किया जाता है। कव्वाली की व्यवस्था समकालीन सम्मिश्रण संगीत के साथ कुछ नए प्रयोग करने तक बदल गई है। उदाहरण के लिए, कोक स्टूडियो (Coke Studio) पाकिस्तान के गीतों में कव्वाली और पश्चिमी संगीत के सम्मिश्रण को देखा जा सकता है। आबिदा परवीन, फरीद अयाज़ और राहत फतेह अली खान जैसे कव्वालों द्वारा कव्वाली को बरकरार रखते हुए इसको बिल्कुल नए अवतार में प्रस्तुत किया गया है।

संदर्भ:-
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/Qawwali
2. https://asiasociety.org/qawwali-and-art-devotional-singing
3. https://www.sahapedia.org/the-journey-of-qawwali-through-the-indian-subcontinent

RECENT POST

  • आइए देखें, अपने अस्तित्व को बचाए रखने की अनूठी कहानी, 'लाइफ़ ऑफ़ पाई' को
    द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

     24-11-2024 09:17 AM


  • आर्थिक व ऐतिहासिक तौर पर, खास है, पुणे की खड़की छावनी
    उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

     23-11-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, देवउठनी एकादशी के अवसर पर, दिल्ली में 50000 शादियां क्यों हुईं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     22-11-2024 09:23 AM


  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id